"इस्लामी वास्तुकला": अवतरणों में अंतर

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मुगल वंश आरंभ हुआ बादशाह [[बाबर]] से 1526 में। बाबर ने पानीपत में एक मस्जिद बनवाई, [[इब्राहिम लोधी]] पर अपनी विजय के स्मारक रूप में। एक दूसरी मस्जिद, जिसे [[बाबरी मस्जिद]] कहते हैं, [[अयोध्या]] में बनवाई। एक तीसरी मस्जिद उसने सम्भल, मुरादाबाद जिले में बनवाई।
[[चित्र:NorthIndiaCircuit 100.jpg|left|200px|thumb|बुलंद दरवाजा, फतेहपुर सीकरी, आगरा]]
बादशाह [[अकबर]] (1556-1605) ने बहुत निर्माण करवाया, एवं उसके काल में इस शैली ने खूब विकास किया। [[गुजरात]] एवं अन्य शैलियों में, मिस्लिम एवं हिंदु लक्षण, उसके निर्माण में दिखाई देते हैं। अकबर ने [[फतेहपुर सीकरी]] का शाही नगर 1500 में बसाया, जो कि [[आगरा]] से 26 मील (42 कि मी) पश्चिम में है। फतेहपुर सीकरी का अत्यधिक निर्माण , उसकी कार्य शैली को सर्वाधिक दर्शाता है। वहाँ की वृहत मस्जिद, उसकी कार्य शैली को सर्वोत्तम दर्शाती है, जिसका कि कोई दूसरा जोड़ मिलना मुश्किल है। यहाँ का दक्षिण द्वार, अति प्रसिद्ध है, एवं इसका कोई जोड़ पूरे भारत में नहीं है। यह विश्व का सर्वाधिक ऊँचा द्वार है, जिसे [[बुलन्द दरवाज़ा]] कहते हैं। मुगलों ने प्रभाचशाली मकबरे बनवाए, जिनमें अकबर के पिता [[हुमायूँ का मकबरा]], दिल्ली में, एवं [[अकबर का मकबरा]], सिकंदरा, आगरा के पास स्थित है। यह दोनों ही अपने आप में बेजोड़ हैं।
 
== संदर्भ ==