"ओ. हेनरी": अवतरणों में अंतर
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== लिखने का अंदाज ==
[[न्यूयार्क]] में ओ० हेनरी, [[मैडिसन चौक]] और इरविंग प्लैस के मुहल्लों के कमरों में रहते और अपनी कहानियों से पैसा कमा-कमा कर किराया चुकाने के लिए भीषण संघर्ष करते रहते। [[राबर्ट एच० डेविस]], [[बार्टलेट मारिस]], [[इरविन एस० काब]] आदि मित्रों ने और दूसरे कई लिखकों और सम्पादकों ने उनके कमरों का वर्णन किया है। वे एक बाहर वाले कमरे में रहता थे। जिसकी खिड़कियां फ़र्श तक फ़ैली हुई थीं,। यहां बैठकर वह राहगीरों की ओर घूरते रहते और उनके इर्द-गिर्द जीवट के जाल बुनते रहते। उनहोने आशावादी, एकांकी सामान्य व्यक्तियों को अपनी कहानियों के पात्र बनाना शुरू किया। उन लड़कियों की कल्पना की, जो धंधा और प्यार पाने के लिए
यदि कथावस्तु दुखान्त हुई तो ओ० हेनरी उसमें स्थानीय बोलियों का नमक-मिर्च लगा देता। उसके लिए कोई घटना इतनी नीरस नहीं थी कि जिसमें वह चमक न पैदा कर सके। ठीक इसी जगह आकर उसने उस चरम बिन्दु या मोड़ का आविष्कार किया, जिससे उसकी अनेक कहानियों का अन्त अप्रत्याशित बनने लगा। "सजा हुआ कमरा,""छत पर का कमरा" और "वासन्ती मेनू" जैसी छोटी कहानियों में तो यह स्पष्ट है ही, कुछ बड़ी कहानियों में भी इस तत्व के दर्शन होते हैं। अमरीका के श्रोताओ मे, पुराने जमाने के आग के चारो ओर बैठकर कहानियां सुनने के युग से, इस प्रकार के किस्सों के प्रति विशेष लगाव रहा है। ओ० हेनरी की कहानियां इन्हीं परम्परागत कथाओं की विस्त्रत प्रतिक्रतियां मालूम देती है। कथानक के तो वह जादूगर थे और ऎसी-ऎसी कल्पनारम्य परिस्थितियां निर्माण करनें में वह सिद्धहस्त थे, जहां उसके पात्र जीवन
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