"देवदार": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो Bot: Migrating 36 interwiki links, now provided by Wikidata on d:q146935 (translate me) |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो सन्दर्भ की स्थिति ठीक की। |
||
पंक्ति 16:
| binomial_authority = ([[:en:William Roxburgh|रॉक्सब.]]) [[:en:George Don|जॉर्ज डॉन]]
}}
'''देवदार''' ( [[वैज्ञानिक नाम]]:सेडरस डेओडारा, [[अंग्रेज़ी]]: डेओडार, [[उर्दु]]: ديودار ''देओदार''; [[संस्कृत]]: देवदारु) एक सीधे तने वाला ऊँचा [[शंकुधारी]] पेड़ है, जिसके पत्ते लंबे और कुछ गोलाई लिये होते हैं तथा जिसकी लकड़ी मजबूत किन्तु हल्की और सुगंधित होती है। इनके [[शंकु]] का आकार [[सनोबर]] (फ़र) से काफी मिलता-जुलता होता है। इनका मूलस्थान पश्चिमी हिमालय के पर्वतों तथा भूमध्यसागरीय क्षेत्र में है, (१५००-३२०० मीटर तक हिमालय में तथा १०००-२००० मीटर तक भूमध्य सागरीय क्षेत्र में)।<ref name=farjon>Farjon, A. (1990). ''Pinaceae. Drawings and Descriptions of the Genera''. Koeltz Scientific Books ISBN 3-87429-298-3.</ref> यह इमारतों में काम आती है।<ref>[http://hi.w3dictionary.org/index.php?q=cedar हिन्दी शब्दकोष पर देवदार]</ref> यह पश्चिमी [[हिमालय]] , पूर्वी [[अफगानिस्तान]], उत्तरी [[पाकिस्तान]], [[उत्तरी भारत|उत्तर]]-[[मध्य भारत]] के [[हिमाचल प्रदेश]], [[उत्तराखंड]], [[जम्मू एवं कश्मीर]] तथा दक्षिण-पश्चिमी [[तिब्बत]] एवं पश्चिमी [[नेपाल]] में १५००-३२०० [[मीटर]] की ऊंचाई पर पाया जाता है। यह एक [[शंकुधारी वृक्ष]] होता है, जिसकी ऊंचाई ४०-५० मी. तक, और कभी-कभार ६० मी. तक होती है। इसके तने २ मीटर तक और खास वृक्षों में ३ मीटर तक के होते हैं।
पहाड़ी संस्कृति का अभिन्न अंग देवदार का वृक्ष सदा से कवियों तथा लेखकों का प्रेरणा स्रोत रहा है।<ref>[http://www.anubhuti-hindi.org/kavi/purnima/devdar.htm पूर्णिमा वर्मन की रचना पर्वत के देवदार]</ref><ref>[http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0_/_%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE_%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A5%80 कविताकोश पर देवदार]</ref> देवदार के पत्ते हरे रंग के और कुछ लाली लिए हुए होते है। देवदार तीखा तेज स्वाद और कर्कश सुगंन्ध वाला होता है। इसकी तासीर गर्म होती है इस कारण अधिक मात्रा में उपयोग फ़ेफ़ड़ों के लिए हानिकारक होता है। देवदार के दोषों को कतीरा और बादाम का तेल नष्ट करता है। इसकी तुलना अधाख से की जा सकती है। इसे अनेक दोषों को नष्ट करनेवाला कहा गया है। यह सूजन को पचाता है, सर्दी से उत्पन्न होने वाली पीड़ा को शांत करता है, पथरी को तोड़ता है और इसकी लकड़ी के गुनगुने काढ़े में बैठने से गुदा के सभी प्रकार के घाव नष्ट हो जाते है।<ref>[http://www.healthandtherapeutic.com/readarticle.php?article_id=1453 देवदार - हैल्थ एंड थेराप्यूटिक]</ref>
|