"धर्मनिरपेक्षता": अवतरणों में अंतर

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'''धर्मनिरपेक्षता''', '''पंथनिरपेक्षता''' या '''सेक्युलरवाद''' एक आधुनिक राजनैतिक एवं संविधानी सिद्धान्त है । धर्मनिरपेक्षता के मूलत: दो प्रस्ताव <ref>[http://www.imsc.res.in/~jayaram/Articles/lfrontline/node1.html धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा]</ref> है 1) [[राज्य]] के संचालन एवं नीति-निर्धारण में मजहब (रेलिजन) का हस्तक्षेप नही होनी चाहिये। 2) सभी धर्म के लोग कानून, [[संविधान]] एवं सरकारी नीति के आगे समान है।
 
== इतिहास ==
धर्मनिरपेक्षता (सेक्यूलरिज़्म) शब्द का पहले-पहल प्रयोग बर्मिंघम के जॉर्ज जेकब हॉलीयाक ने सन् 1846 <ref>Feldman, Noah (2005). Divided by God. Farrar, Straus and Giroux, pg. 113</ref> के दौरान, अनुभवों द्वारा मनुष्य जीवन को बेहतर बनाने के तौर तरीक़ों को दर्शाने के लिए किया था. उनके अनुसार, “आस्तिकता-नास्तिकता और धर्म ग्रंथों में उलझे बगैर मनुष्य मात्र के शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक, बौद्धिक स्वभाव को उच्चतम संभावित बिंदु तक विकसित करने के लिए प्रतिपादित ज्ञान और सेवा ही धर्मनिरपेक्षता है”
 
== छद्म धर्मनिरपेक्षता ==