"कथक": अवतरणों में अंतर

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* '''ठाट''', एक पारंपरिक प्रदर्शन जहां नर्तकी चक्कर के साथ नाटक कर सम पर आकर एक मुद्रा लेकर खड़ी होती है।
* '''आमद''', अर्थात 'प्रवेश' जो तालबद्ध बोल का पहला परिचय होता है।
* '''सलामी''' , मुस्लिम शैली में दर्शकों के लिए एक अभिवादन होता है।
* '''कवित्''', कविता के अर्थ को नृत्य में प्रदर्शन किया जाता है।
* '''पड़न''', एक नृत्य जहां केवल तबला का नहीं बल्कि पखवाज का भी उपयोग किया जाता है।
* '''परमेलु''', एक बोल या रचना जहां प्रकृति का प्रदर्शनी होता है।
* '''गत''', यहां दैनिक जीवन के सुंदर चाल-चलन दिखाया जाता है।
* '''लड़ी''' , एक विषय पर बदलाव फुटवर्क की रचना ।
* '''तिहाई''', एक रचना जहां फुटवर्क तीन बार दोहराया जाती है और सम पर नाटकीय रूप से समाप्त हो जाती है।
*'''नृत्य:''' भाव को मौखिक टुकड़े की एक विशेष प्रदर्शन शैली में दिखाया जाता है। मुगल दरबार में यह अभिनय शैली की उत्पत्ति हुई। इसकी वजह से यह महफिल या दरबार के लिए अधिक अनुकूल है ताकि दर्शकों को कलाकार और नर्तकी के चेहरे की अभिव्यक्त की हुई बारीकियों को देख सके।क ठुमरी गाया जाता है और उसे चेहरे, अभिनय और हाथ आंदोलनों के साथ व्याख्या की जाति है।
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=='''घराना'''==
===लखनऊ घराना===
अवध के नवाब [[वाजिद आली शाह]] के दरबार में इसका जन्म हुआ।लखनऊ शैली के कथक नृत्य में सुंदरता , प्राकृतिक संतुलन होती है। कलात्मक रचनाएँ, ठुमरी आदि अभिनय के साथ साथ होरिस (शाब्दिक अभिनय) और आशु रचनाएँ जैसे भावपूर्ण शैली भी होती हैं। वर्तमान में, पंडित बिरजु महाराज (अच्छन महाराजजी के बेटे) इस घराने के मुख्य प्रतिनिधि माने जाते हैं।
 
===जयपुर घराना===
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