"उत्परिवर्तन": अवतरणों में अंतर

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'''किरणन''' या '''विकिरण''' (Irradiation)- द्वारा उत्परिवर्तन की संभावना पर एच. जे. मुलर ने सन् 1927 में कुछ प्रयोग किए थे। उन्होंने ड्रोसोफिला पर एक्स-किरणों का प्रक्षेपण करके अनेक प्रकार के उत्परिवर्तन उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त की। तब से अब तक मक्का, जौ, कपास, चुहिया आदि पर भी किरणन के प्रभावों का अध्ययन करने को जिस विधि को निकाला, उस सी.एल.बी (C.L.B.) विधि कहते हैं। इस विधि द्वारा ड्रोसोफिला के एक्स-गुणसूत्रों में नए घातक (lethal) जोनों की खोज की जाती है।
 
सी.एल.बी. का तात्पर्य है : '''सी''' = cross-over suppressor. '''एल''' = recessive lethal तथा '''बी''' = bar eyes ।eyes। मादा ड्रासाफ़िला के एक एक्स-गुणसूत्र में उपर्युक्त तीन विशेषताएँ (एक विनिमयज निरोधक जीन, एक अप्रभावी घातक जीन और बार नेत्रों का प्रभावी जीन) छाँटकर अलग कर ली जाती हैं और दूसरे एक्स-गुणसूत्र को सामान्य ही रखा जाता है। नर मक्खियों में एक्स-किरणें आरोपित कर उन्हें सी.एल.बी. मक्खियों से मैथुनरत किया जाता है। इनसे उत्पन्न बार मादा बच्चों में सी.एल.बी. गुणसूत्र रहते हैं, जो माता से प्राप्त होते हैं। पिता से उन्हें अभिकर्मित एक्स-गुणसूत्र मिलते हैं। इन बार मादाओं का किसी भी नर से संयोग कराने पर जो संतानें उत्पन्न होती हैं, उनमें आधे पुत्रों (द्वितीय पीढ़ी) में सी.एल.बी. गुण सूत्र होते हैं; यदि ये एक्स-सूत्र घातक हुए तो ये भी सभी पुत्र मर जाते हैं। किंतु सभी मादासंततियाँ जीवित रहती हैं, क्योंकि उनमें सामान्य एक्स-सूत्र रहता है। इस प्रकार, इस विधि द्वारा स्पष्ट और अस्पष्ट दोनों प्रकार के उत्परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
 
[[एक्स-किरण]] का प्रभाव उसकी मात्रा पर निर्भर करता है। मुलर ने मात्रा में वृद्धि करके उत्परिवर्तन दर में वृद्धि का प्रभाव देखा था। आगे चलकर उनके शिष्य ओलिवर ने और भी प्रयोग किए और अनेक प्रकार के तथ्य उपस्थित किए। एक्स-किरणों का प्रभाव इतना अधिक इसलिए पड़ता है कि वे गुणसूत्रों को भंग कर देती हैं, जिनसे भाँति भाँति के प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं। इनके अतंर्गत् स्थानांतरण प्रतिलोमन (inversion), डिलीशन (delition) द्विगुणन आदि समाविष्ट हैं। सच पूछिए तो किरणन, चाहे वह किसी भी प्रकार का हो, तभी उत्परिवर्तन करता है, जब उसमें आयन उत्पन्न करने की क्षमता हो। उदाहरण के लिए, रेडियम में तीन प्रकार के [[विकिरण]] (अल्फा, बीटा, गामा) उत्पन्न होते हैं। लैन्सन ने [[गामा विकिरण]] पर कई सफल प्रयोग किए हैं।