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'''उमर खय्याम''' ( 1048,-1131) [[फ़ारसी]] साहित्यकार, गणितज्ञ एवं ज्योतिर्विद थे। इनका जन्म उत्तर-पूर्वी [[फ़ारस]] के [[निशाबुर]] (निशापुर) में ग्यागरहीं सदी में एक ख़ेमा बनाने वाले परिवार<ref>{{cite book|title= उमर ख़ैय्याम की रुबाईयां|first= हरिवंश राय|last= बच्चन| पृष्ठ - ९५, |year=२००७ |publisher=हिन्द पॉकेट बुक्स|isbn=81-216-1097-4|}}</ref> में हुआ था ।था। इन्होंने इस्लामी ज्योतिष को एक नई पहचान दी और इसके सुधारों के कारण सुल्तान मलिकशाह का पत्रा (तारीख़-ए-मलिकशाही), [[जलाली संवत]] या [[सेल्जुक संवत]] का आरंभ हुआ ।हुआ। इनकी [[रुबाई|रुबाईयों]] (चार पंक्तियों में लिखी एक प्रकार की कविता) को विश्व स्तरीय करने में अंग्रेज़ी कवि [[एडवर्ड फ़िज़्ज़ेराल्ड]] का बहुत योगदान रहा है ।है।
 
खय्याम ने ज्यामिति बीजगणित की स्थापना की, जिसमें उसने अल्जेब्रिक समीकरणों के ज्यामितीय हल प्रस्तुत किये। इसमें हाइपरबोला तथा वृत्त जैसी ज्यामितीय रचनाओं द्बारा क्यूबिक समीकरण का हल शामिल है। उसने अलजेब्रा में व्यापक द्विघात समीकरण का भी विचार दिया।