"ऊष्मा": अवतरणों में अंतर

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इस उपशाखा में ऊष्मा ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए तापमापी बनाए जाते हैं। '''ऊष्मा''' या '''ऊष्मीय ऊर्जा''' ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है ।है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है ।है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं ।हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं ।हैं।
 
== तापमान ==
गर्म या ठंढे होने की माप [[तापमान]] कहलाता है जिसे '''तापमापी''' यानि थर्मामीटर के द्वारा मापा जाता है ।है। लेकिन तापमान केवल ऊष्मा की माप है, खुद ऊष्मीय ऊर्जा नहीं ।नहीं। इसको मापने के लिए कई प्रणालियां विकसित की गई हैं जिनमें [[सेल्सियस]](Celsius), [[फॉरेन्हाइट]](Farenhite) तथा [[केल्विन]](Kelvin) प्रमुख हैं ।हैं। इनके बीच का आपसी सम्बंध इनके व्यक्तिगत पृष्ठों पर देखा जा सकता है ।है।
 
ऊष्मा मापने का मात्रक [[कैलोरी]] है। विज्ञान की जिस उपशाखा में ऊष्मा मापी जाती है, उसको '''[[ऊष्मामिति]]''' (Clorimetry) कहते हैं। इस मापन का बहुत महत्व है। विशेषतया [[विशिष्ट ऊष्मा]] का सैद्धांतिक रूप से बहुत महत्व है और इसके संबंध में कई सिद्धांत प्रचलित हैं। ऊशमा का एस आई मात्रक जुल है
 
== ऊष्मा के प्रभाव ==
ऊष्मा के प्रभाव से पदार्थ में कई बदलाव आते हैं जो यदा कदा स्थाई होते है और कभी-कभी अस्थाई ।अस्थाई।
* [[ऊष्मीय प्रसार]] - गर्म करने पर ठोस, द्रव या गैस के आकार में विस्तार होता है ।है। पर वापस ठंढा करने पर ये प्रायः उसी स्वरूप में आ जाते हैं ।हैं। इस कारण से इनके घनत्व में भी बदलाव आता है ।है।
* '''अवस्था में परिवर्तन''' - [[ठोस]] अपने [[द्रवानांक]] पर [[द्रव]] बन जाते हैं तथा अपने [[क्वथनांक]] पर द्रव [[गैस]] बन जाते हैं ।हैं। यह क्वथनांक तथा द्रवनांक ठोस तथा द्रव के कुल दाब पर निर्भर करता है ।है। कुल दाब के बढ़ने से क्वथनांक तथा द्रवनांक भी बढ़ जाते हैं ।हैं।
* '''विद्युतीय गुणों में परिवर्तन''' - तापमान बढाने पर यानि गर्म करने पर किसी वस्तु की प्रतिरोधक क्षमता (Resistivity) जैसे गुणों में परिवर्तन आता है ।है। कई [[डायोड]] तथा [[ट्रांज़िस्टर]] उच्च तापमान पर काम करना बंद कर देते हैं ।हैं।
* '''रसायनिक परिवर्तन''' - कई अभिक्रियाएं तापमान के बढ़ाने से तेज हो जाती हैं ।हैं। उदाहरण स्वरूप 840<sup>0</sup>C पर [[चूनापत्थर]] का विखंडन -
CaCO<sub>3</sub> → CaO + CO<sub>2</sub>
 
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'''ऊष्मागतिकी के तीसरे नियम''' के अनुसार शून्य ताप पर किसी ऊष्मागतिक निकाय की एंट्रॉपी शून्य होती है। इसका अन्य रूप यह है कि किसी भी प्रयोग द्वारा शून्य परम ताप की प्राप्ति संभव नहीं। हाँ हम उसके अति निकट पहुँच सकते हैं, पर उस तक नहीं।
 
ऊष्मागतिकी के प्रयोग का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। विकिरण के ऊष्मागतिक अध्ययन द्वारा एक नवीन और क्रांतिकारी विचारधारा [[क्वांटम थ्योरी]] प्रस्फुटित हुई ।हुई।
 
== यह भी देखें ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/ऊष्मा" से प्राप्त