"एंटीमैटर": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:3D image of Antihydrogen.jpg|thumb|left|एंटीहाइड्रोजन परमाणु का त्रिआयामी चित्र]]
एंटीमैटर केवल एक काल्पनिक तत्व नहीं, बल्कि असली तत्व होता है। इसकी खोज [[बीसवीं शताब्दी]] के पूर्वाद्ध में हुई थी। तब से यह आज तक वैज्ञानिकों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। जिस तरह सभी भौतिक वस्तुएं मैटर यानी पदार्थ से बनती हैं और स्वयं मैटर में [[प्रोटोन]], [[इलेक्ट्रॉन]] और [[न्यूट्रॉन]] होते हैं, उसी तरह एंटीमैटर में एंटीप्रोटोन, पोसिट्रॉन्स और एंटीन्यूट्रॉन होते हैं।<ref name="नवभारत">[http://navbharattimes.indiatimes.com/rssarticleshow/3701517.cms?prtpage=1 आसमानी टक्कर में एंटीमैटर गायब]।नवभारत टाइम्स।१२ नवंबर, २००८</ref><ref name="हिन्दुस्तान ">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/gyan/67-75-105558.html एंटीमैटर]। हिन्दुस्तान
अंतरराष्ट्रीय स्तर के खगोलशास्त्रियों के एक समूह ने [[यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी]] (ईएसए) के [[गामा-किरण]] [[वेधशाला]] से मिले चार साल के आंकड़ों के अध्ययन के बाद बताया है कि आकाश गंगा के मध्य में दिखने वाले बादल असल में गामा किरणें हैं, जो एंटीमैटर के पोजिट्रान और इलेक्ट्रान से टकराने पर निकलती हैं। पोजिट्रान और इलेक्ट्रान के बीच टक्कर से लगभग ५११ हजार [[इलेक्ट्रान वोल्ट]] ऊर्जा उत्सर्जित होती है।इन रहस्यमयी बादलों की आकृति आकाशगंगा के केंद्र से परे, पूरी तरह गोल नहीं है। इसके गोलाई वाले मध्य क्षेत्र का दूसरा सिरा अनियमित आकृति के साथ करीब दोगुना विस्तार लिए हुए है।<ref name="याहू">[http://in.jagran.yahoo.com/news/international/general/3_5_4083253.html खुल गया आकाशगंगा के मध्य बादलों का रहस्य]।याहू जागरण।१४ जनवरी, २००९</ref>
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