"ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स": अवतरणों में अंतर

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'''ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स''' भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का एक प्रमुख बैंक है जिसकी स्थापना 19 फरवरी, 1943 को लाहौर में हुई ।हुई।
 
== प्रधान कार्यालय ==
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== इतिहास ==
बैंक के संस्थापक व प्रथम चेअरमैन स्वर्गीय राय बहादुर लाला सोहन लाल थे ।थे। स्थापना के चार वर्ष के भीतर ही भारत विभाजन हो गया ।गया। नवनिर्मित पाकिस्तान कि सभी शाखाऐं बंद करनी पड़ीं तथा मुख्यालय लाहौर से अमृतसर बदल दिया गया। तत्कालीन चेअरमैन स्वर्गीय लाला करम चंद थापर ने अद्वितीय सद्भावना का परिचय देते हुए, उन सभी जमाकर्ताओं का भी पूरा धन लौटाया जो नवनिर्मित पाकिस्तान से विदा हो रहे थे। इस प्रकार ग्राहक सेवा की जो नींव डाली गई वह आज तक सहेजी गई है।
 
बैक ने अपनी स्थापना के बाद कई उतार चढ़ाव देखे हैं। १९७०-७६ का समय सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण था। एक समय में लाभ केवल १७५ रु पर सिमट गया था, जिसके कारण मालिकों ने बैंक को बेचने अथवा बंद करने का निर्णय लिया। तब बैंक के कर्मचारी तथा उनके नेता बैंक को बचाने के लिये आगे आये। इससे मालिकों का हृदय परिवर्तन हो गया और उन्होनें कर्मचारियों के साथ मिल कर आगे बढ़ने का निश्चय किया। इसके सुखद परिणाम सामने आए और बैंक के प्रदर्शन में खासा सुधार हुआ। यह बैक के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ।
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== उपलब्धियां ==
गरीबी उन्मूलन की समस्या का सामना करने के लिए आधारभूत स्तर पर आयोजना प्रक्रिया में जन-सहभागिता के लिए एक ओर कार्यकम्रम शुरू किया ।किया। ग्रामीण प्रोजेक्ट का उद्देश्य गरीबी का उन्मूलन करना है और सफलता अथवा असफलता के लिए जिम्मेवार कारणों को चिन्हित करना है ।है।
ओरियन्टल बैंक ऑफ कामर्स जिला देहरादून (उत्तर प्रदेश) और जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान) में ग्रामीण प्रोजेक्ट चला रहा है ।है। बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के ढांचे पर बनाई गई इस योजना में 75/-रु0 (2 अमरीकी डालर) व इससे अधिक राशि के छोटे ऋणों का संवितरण करने की अनूठी विशेषता है ।है। ग्रामीण प्रोजेक्ट के लाभग्राही अधिकांशतः महिलाएं हैं ।हैं। बैंक ग्रामीणों को प्रशिक्षण देता है ताकि वह स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल से अचार, जैम इत्यादि बना सके ।सके। इससे ग्रामीणों को स्व-रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं और उनकी आय में वृद्धि होने से उनके जीवन स्तर में सुधार आया है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों को भी बढ़ावा मिला है ।है।
ओबीसी ने बैसाखी के पावन दिवस पर 13 अप्रैल, 1997 को पंजाब के तीन गांवों में अर्थात् रूड़की कलान (जिला संगरूर., राजे माजरा (जिला रोपड़) और खैरा माझा (जिला जालंधर) और हरियाणा के दो गांवों अर्थात खुंगा (जिला जींद) और नरवाल (जिला कैथल) में 'व्यापक ग्रामीण विकास कार्यक्रम' नामक एक और अनूठी योजना आरंभ की ।की। पायलट आधार पर प्रवर्तित यह योजना अत्यन्त सफल हुई ।हुई। इसकी सफलता से उत्साहित होकर बैंक ने इस कार्यक्रम का विस्तार अन्य गांवों में भी किया ।किया। इस समय यह कार्यक्रम 15 गांवों में लागू है जिसमें से 10 पंजाब में, 6 हरियाणा में और 1 राजस्थान में है ।है। इस कार्यक्रम में ग्रामीण विकास को केद्रित करते हुए ग्रामवासियों को ग्राम वित्त प्रदान करने हेतु व्यापक और समेकित पैकेज प्रदान करने पर जोर दिया गया है ।है। इस प्रकार यह कार्यक्रम गांव के प्रत्येक किसान की आय बढ़ाने और बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए सहायता प्रदान करता है ।है। बैंक ने महिलाओं को ऋण देने में तेजी लाने के लिए 14 सूत्री कार्ययोजना लागू की है और 5 शाखाओं को महिला उद्यमियों के लिए विशेषीकृत शाखाओं के रूप में नामित किया गया है ।है।