"खंड-२": अवतरणों में अंतर

{{विकिस्रोत में ले जाएँ}}
छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की।
पंक्ति 1:
{{विकिस्रोत में ले जाएँ}}
'पूछो मेरी जाति , शक्ति हो तो, मेरे भुजबल से'
 
रवि-समान दीपित ललाट से और कवच-कुण्डल से,
पंक्ति 35:
कर्ण हतप्रभ हुआ तनिक, मन-ही-मन कुछ भरमाया,
 
सह न सका अन्याय , सुयोधन बढ़कर आगे आया।
 
बोला-' बड़ा पाप है करना, इस प्रकार, अपमान,
"https://hi.wikipedia.org/wiki/खंड-२" से प्राप्त