"उपकार (1967 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
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== संक्षेप ==
फिल्म की कहानी राधा ([[कामिनी कौशल]])और उसके दो पुत्रों भारत ([[मनोज कुमार]]) व पूरन ([[प्रेम चोपड़ा]]) की कहानी है। राधा ग्रामीण महिला है जो अपने परिवार को खुशहाल देखना चाहती है। उसकी इच्छा अपने पुत्रों को पढ़ा-लिखा कर बड़ा आदमी बनाने की है। परन्तु वह दोनों की पढ़ाई का भार वहन नहीं कर पाती है। भारत ख़ुद की पढ़ाई रोककर पूरन को पढ़ने के लिए शहर भेजता है। पूरन जब शिक्षा पूरी करके वापस आता है तो उसे आसान पैसा कमाकर खाने की आदत पड़ जाती है और इसमें उसका भागीदार होता है चरणदास([[मदन पुरी]]), जो उसके परिवार में फूट डालने का कार्य भी करता है। वह चरणदास ही था जिसने उनके पिता को मारा था। चरणदास आग में घी का काम करता है और पूरन को जायदाद के बँटवारे के लिए उकसाता है। पापों की गर्त तले धँसा पूरन जायदाद के बँटवारे की मांग करता है। भारत स्वेच्छा से सभी सम्पत्ति छोड़ कर भारत-पाक युद्ध में लड़ने चला जाता है, जबकि पूरन एक ओर तो अनाज की कालाबाजारी तथा तस्करी का धंधा करता है और दूसरी ओर सीधे सादे गाँव वालों को मूर्ख बनाता है।<br />
लड़ाई में भारत दुश्मन के हाथों ज़ख़्मी हो जाता है और पकड़ा जाता है लेकिन किसी तरह दुश्मन को चकमा देकर अपने गांव की तरफ़ ज़ख़्मी हालत में है निकल पड़ता है। रास्ते में चरणदास ज़ख़्मी भारत को मारने का षड्यंत्र रचता है, परन्तु मलंग चाचा ([[प्राण]]), जो कि विकलांग है, उसको बचा लेता है और ख़ुद घायल हो जाता है। घायल भारत और मलंग चाचा को बचाने में डॉक्टर कविता ([[आशा पारेख]]) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उधर पूरन को भी गिरफ़्तार कर लिया जाता है। उसको अपनी ग़लती का अहसास हो जाता है और वह गोरख धंधा करने वालों को पकड़वाने में सरकार की सहायता करता है।
== चरित्र ==
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