"काव्यमीमांसा": अवतरणों में अंतर
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काव्यमीमांसा में प्रत्यक्षकवि (समसामयिक कवि) के बारे में कहा है-
:''प्रत्यक्षकविकाव्यं च रूपं च
:''गृहवैद्यस्य विद्या च कस्यैचिद्यदि रोचते ॥''
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