"किला": अवतरणों में अंतर

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वैदिककालीन साहित्य में पुरों का जिस रूप में उल्लेख है उससे ज्ञात होता है कि उन दिनों दुर्ग से घिरी बस्तियाँ हुआ करती थीं।
 
[[ऋग्वेद]] तक में दुर्ग का उल्लेख है ।है। दस्युओं के ९६ दुर्गों को इंद्र ने ध्वस्त किया था ।था। [[मनु]] ने छह प्रकार के दुर्ग लिखे हैं-
* (१) धनुदुर्ग, जिसके चारों ओर निर्जल प्रदेश हो,
* (२) महीदुर्ग, जिसके चारो ओर टेढ़ी मेढ़ी जमीन हो,
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* (६) गिरिदुर्ग, जिसके चारों ओर पहाड़ हो या जो पहाड़ पर हो।
 
[[महाभारत]] में [[युधिष्ठिर]] ने जब [[भीम]] से पूछा है कि राजा को कैसे पुर में रहना चाहिए तब भीष्म जी ने ये ही छह प्रकार के दुर्ग गिनाए हैं और कहा है कि पुर ऐसे ही दुर्गों के बीच में होना चाहिए। [[मनुस्मृति]] और महाभारत दोनों में कोष, सेना, अस्त्र, शिल्पी, ब्राह्मण, वाहन, तृण, जलाशय अन्न इत्यादि का दुर्ग के भीतर रहना आवश्यक कहा गाय है ।है। [[अग्निपुराण]], [[कल्किपुराण]] आदि में भी दुर्गों के उपर्युक्त छह भेद बतलाए गए हैं।
 
पुरातात्विक उत्खनन से [[मोहनजोदड़ो]], हड़प्पा, रूपड़ आदि पुरा-ऐतिहासिक नगरों के जो अवशेष प्रकाश में आए हैं उनसे ज्ञात होता हैं कि उन दिनों नगरों के दो खंड होते थे; एक खंड ऊँचे प्राचीरों से घिरा होता था। ऐतिहासिक काल के किले के प्राचीनतम अवशेष [[राजगृह]] में पत्थरों से बने प्राचीर के रूप में प्राप्त हुए हैं। [[पाटलिपुत्र]] के किले के जो कुछ थोड़े से चिह्न मिले हैं, उनसे ऐसा जान पड़ता हैं कि प्राचीरों के निर्माण में लकड़ी का प्रयोग किया गया था। [[मौर्य वंश|मौर्यकाल]] में [[मेगास्थनीज]] नामक जो यवन राजदूत आया था उसने इस किले का विशद वर्णन किया हैं। उसने लिखा है कि पाटलिपुत्र नगर नौ मील लंबा और लगभग दो मील चौड़ा है जो चारों ओर 600 हाथ चौड़ी और 30 हाथ गहरी खाँईं से घिरा है। इसके चारों ओर काठ की सुदृढ़ दीवार बनाई गई है जिसमें 500 बुर्ज हैं और 64 मजबूत फाटक लगे हैं। [[कौशांबी]] के उत्खनन में किले की दीवार के जो अंशप्रकाश में आए हैं, वे पक्की ईटों से जड़े हुए हैं। [[राजघाट]] ([[वाराणसी]]) के उत्खनन में गंगा के किनारे कच्ची मिट्टी के ठोस प्राचीर के अंश प्रकाश में आए थे। किंतु इन सबसे प्राचीन किलों का पूर्ण स्वरूप सामने नहीं आता। [[एरण]] (जिला [[सागर]], [[मध्य प्रदेश]]) में, जो गुप्त काल में एक प्रसिद्ध नगर था, काफी दूर तक दुर्ग के अवशेष मिले हैं। उनके अध्ययन से ज्ञात होता है कि उस नगर को इस प्रकार बसाया गया था कि नदियाँ खाईं का काम दें। तीन ओर से वह [[वीणा नदी]] से घिरा हुआ था, चौथी ओर दो अन्य छोटी नदियाँ थीं, जो नगर के पश्चिमी भाग में बहती थीं और चौथी ओर वीणा नदी में गिरती थीं। नदियों द्वारा बने इस प्राकृतिक खाई के भीतर दुर्ग का प्राचीर था जो कदाचित्‌ एकदम खड़ी दीवारों से बना था और उनमें ऊँची गोल बुर्जियाँ रही होगी।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/किला" से प्राप्त