"लुईस माउंटबेटन": अवतरणों में अंतर
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== वंशानुक्रम ==
लॉर्ड माउंटबेटन का जन्म ''हिज सीरीन हाइनेस बैटनबर्ग के राजकुमार लुइस '' के रूप में हुआ, हालांकि उनके जर्मन शैलियां और खिताब 1917 में खत्म कर दिए गए थे. वह बैटनबर्ग के राजकुमार लुइस और उनकी पत्नी हीसे व राईन की राजकुमारी विक्टोरिया के दूसरे पुत्र और सबसे छोटी संतान थे. उनके नाना नानी लुडविग चतुर्थ, हीसे व राईन के ग्रांड ड्यूक और ब्रिटेन की राजकुमारी ऐलिस थे, जो महारानी विक्टोरिया और प्रिंस कंसोर्ट अल्बर्ट की बेटी थी. उनके दादा दादी हीसे के राजकुमार अलेक्जेंडर और बैटनबर्ग की राजकुमारी जूलिया थे. उसके दादा दादी की शादी असमान थी, क्योंकि उनकी दादी शाही वंश की नहीं थी, परिणामस्वरुप, उन्हें और उनके पिता को सीरीन हाइनेस की उपाधि दी गयी न की ग्रांड ड्युकल हाइनेस, वे हीसे के राजकुमार कहलाने के अयोग्य थे और उन्हें कम वांछनीय बैटनबर्ग उपाधि दी गयी. उसके भाई-बहन ग्रीस और डेनमार्क की राजकुमारी एलिस (राजकुमार फिलिप, एडिनबर्ग के ड्यूक), स्वीडन की रानी लुईस और मिल्फोर्ड हैवेन के मार्क्वेश जॉर्ज माउंटबेटन थे.
उनके पिता का पैंतालीस साल का कैरियर 1912 में अपने शिखर पर पहुंच गया जब उन्हें पहली बार नौवाहनविभाग में फर्स्ट सी लॉर्ड नियुक्त किया गया. हालांकि, दो साल बाद 1914 में, विश्व युद्ध के पहले कुछ महीनों के दौरान यूरोप भर में बढती जर्मन विरोधी भावनाओं और कई हारी हुई समुद्र लड़ाइयों के कारण, राजकुमार लुईस को लगा कि इस पद से हट जाना उनका कर्तव्य था.<ref>लॉर्ड ज़कर्मैन,''बर्मा के अर्ल माउंटबेटन, केजी, ओ एम 25 जून 1900-27'' अगस्त 1979, रॉयल सोसाइटी के सदस्यो6 की याद में, वोल. 27 (नव. 1981) पीपी 355-364. www.jstor.org/stable/769876 पर 13 मई 2009 तक पहुंचा</ref> 1917 में, जब शाही परिवार ने जर्मन नाम और खिताब का उपयोग बंद कर दिया तो बैटनबर्ग के राजकुमार लुइस, लुइस माउंटबेटन बन गए और उन्हें मिल्फोर्ड हैवेन का मार्क्वेश बनाया गया. उसके दूसरे बेटे को ''लॉर्ड लुईस माउंटबेटन '' की शिष्टाचारस्वरुप उपाधि मिली और वह अनौपचारिक रूप से उनकी मौत तक ''लॉर्ड लुईस '' कहा जाता रहा, भले ही बाद में उन्हें सुदूर पूर्व में युद्घकालीन सेवा के लिए वाइसकाउंट बनाया गया और फिर भारत के एक ब्रिटिश शासित देश से एक संप्रभु राज्य बनने में उनकी भूमिका के लिए अर्ल की उपाधि दी गयी. .
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== प्रारंभिक जीवन ==
जीवन के पहले दस वर्षों के लिए माउंटबेटन की पढाई घर पर ही हुई. उसके बाद उन्हें [[हर्टफ़र्डशायर|हर्टफोर्डशायर]] के लाकर्स पार्क स्कूल भेजा गया और अंततः अपने बड़े भाई का अनुसरण करते हुए वह वह नौसेना कैडेट स्कूल गए. बचपन में उन्होंने रूस में [[सेंट पीटर्सबर्ग]] के दरबार का दौरा किया और रूसी शाही परिवार के अंतरंग बन गए. राजपरिवार की हत्या के बाद बाद में उन्हें बची हुई ग्रांड डचेस अनास्तासिया होने का दावा करने वालो को गलत साबित करने के लिए बुलाया जाता रहा. युवावस्था में उनमे अनास्तासिया की बहन ग्रांड डचेस मारिया के प्रति रोमांटिक भावनाए थी और जीवन के अपने अंत तक वह बिस्तर के पास उसकी तस्वीर रखते रहे.
कहा जाता है कि अपने भांजे के नाम बदलने और भविष्य की रानी के साथ सगाई के बाद उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के वंश को भविष्य का 'माउंटबेटन घराना' कह दिया था, जबकि राजमाता रानी मेरी ने 'बैटनबर्ग बकवास' के साथ कुछ भी करने से इनकार कर दिया. एक आदेश के बाद शाही घराने का नाम विंडसर बना जो अभी भी कायम है. वैसे यह नाम सम्राट की इच्छा पर बदला जा सकता है. राजकुमार फिलिप और [[एलिजा़बेथ द्वितीय|एलिजाबेथ II]] की शादी के बाद यह फैसला सुनाया गया था कि उनके गैर-शाही अविवाहित वंशज "विंडसर-माउंटबेटन' उपनाम धारण करेंगे. सम्राट के अंतिम संस्कार के एक सप्ताह बाद ही नई रानी के चाचा डिकी ( लॉर्ड माउंटबेटन) ने ब्रोडलैंड्स में मेहमानों के सामने घोषणा की कि "माउंटबेटन का घराना अब राज कर रहा hai!
== करियर ==
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सन 1926 में, माउंटबेटन को एडमिरल सर रोजर कीज के कमान वाले भूमध्य बेड़े के सहायक फ्लीट वायरलेस और सिग्नल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया. लॉर्ड माउंटबेटन 1929 में वरिष्ठ वायरलेस प्रशिक्षक के रूप में सिग्नल स्कूल को लौटे. 1931 में, उन्हें फिर सैन्य सेवा के लिए बुलाया गया जब उन्हें भूमध्य बेड़े का फ्लीट वायरलेस अधिकारी नियुक्त किया गया. यही वह समय था जब उन्होंने माल्टा में एक सिग्नल स्कूल की स्थापना की और बेड़े के सभी रेडियो ऑपरेटरों के साथ परिचित हुए.
सन् 1934 में माउंटबेटन अपने पहले कमान पर नियुक्त किया गया. उनका जहाज एक नया विध्वंसक था जिसे एक पुराने जहाज के बदले सिंगापुर जाना था. वह उस पुराने जहाज को सफलतापूर्वक माल्टा में बंदरगाह में वापस लाये. 1936 तक माउंटबेटन को व्हाइटहॉल में नौसेना विभाग की एयर बेड़े की शाखा के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया.
==== पेटेंट (एकस्वाधिकार) ====
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=== द्वितीय विश्व युद्ध ===
जब 1939 में जंग छिड़ी, तो माउंटबेटन को सक्रिय रूप से सेना में भेजते हुए उन्हें पांचवीं डिस्ट्रोयर फ्लोटिला के कमांडर के तौर पर एचएमएस केली में मौजूद उनके पोत/जहाज़ पर तैनात कर दिया गया, जो अनेक साहसिक कारनामों के लिए प्रसिद्ध था.
अगस्त 1941 में, माउंटबेटन को नोरफ्लोक, वर्जीनिया में स्थित एचएमएस ''इल्सट्रियस'' का कप्तान नियुक्त कर दिया गया, जिसका मकसद जनवरी के दौरान भूमध्य सागर में [[माल्टा]] पर हुए हमले के नुकसान की मरम्मत करना था. इस दौरान उनके पास अपेक्षाकृत ज्यादा खाली समय था, तो उन्होंने पर्ल हार्बर का अचानक ही मुआयना किया. यहां वो तत्परता की कमी, अमेरिकी थलसेना तथा अमेरिकी फ़ौज में सहयोग की कमी और एक साझा मुख्यालय न होने से नाराज़ थे.
माउंटबेटन [[विन्सटन चर्चिल|विंस्टन चर्चिल]] के चहेते थे (भले ही 1948 के बाद चर्चिल ने कभी भी माउंटबेटन से बात नहीं की, क्योंकि वे [[भारत]] और [[पाकिस्तान]] की आज़ादी में उनकी भूमिका से काफ़ी नाराज़ थे), और 27 अक्टूबर 1941 को रॉजर केयेस के स्थान पर माउंटबेटन को साझी कार्रवाई का प्रमुख बना दिया गया. इस भूमिका में उनके मुख्य काम थे इंग्लिश चैनल में कमांडो हमले की योजना बनाना और विरोधी देशों में कार्रवाई के सहयोग के लिए नई तकनीक का अविष्कार करना.
माउंटबेटन और उनके सहयोगियों की तीन प्रमुख तकनीकी उपलब्धियां हैं: 1) इंग्लैंड के तट से नोर्मंडी तक पानी के नीचे से तेल की पाईप-लाइन का निर्माण करना, 2) बारूद के बक्सों और डूबे हुए जहाजों से एक कृत्रिम बंदरगाह बनाना, और 3) धरती और पानी, दोनों जगह चलने वाले टैंक (ज़मीन पर आ सकने वाले पोत) का निर्माण.
माउंटबेटन ने एक और परियोजना, हाबाकुक परियोजना का प्रस्ताव चर्चिल को दिया था. यह था वायुयान को ले जाने वाला 600 मीटर का एक बड़ा और अभेद्य वाहक, जो भूसी और बर्फ़ से मिश्रित "पाय्क्रेट" से बनता था. बेहद खर्चीली होने के कारण हाबाकुक परियोजना कभी भी अमल में नहीं आ पाई.
[[चित्र:SE 000014 Mountbatten as SACSEA during Arakan tour.jpg|left|thumb|लॉर्ड लुइस माउंटबेटन, सुप्रीम एलाइड कमांडर, फरवरी 1944 में उनके अराकान मोर्चे के दौरे के दौरान देखे गए.]]
माउंटबेटन दावा था कि जो सबक डिएपे की विनाशक कार्रवाई से सीखे गए थे वो आने वाले दो साल बाद डी-डे पर नॉर्मेंडी आक्रमण के लिए आवश्यक थे. हालांकि, पूर्व रॉयल मरीन जूलियन थॉम्पसन जैसे इतिहासकारों ने लिखा है कि सबक सिखाने कि लिए डिएपे की विनाशनक कार्रवाई की जरूरत नहीं थी.
डिएपे की कार्रवाई की वजह से माउंटबेटन [[कनाडा]] में विवादास्पद व्यक्ति एक बन गए, उनके बाद के करियर में रॉयल कनाडियन लीजियन ने उनसे दूरी बनाए रखी, और कनाडा के अनुभवी सिपाहियों से भी उनके रिश्ते "ठंडे ही रहे".<ref>[http://archives.cbc.ca/IDC-1-71-2359-13811/conflict_war/dieppe/clip6 "डिपी के लिए कौन जिम्मेदार था?"][http://archives.cbc.ca/IDC-1-71-2359-13811/conflict_war/dieppe/clip6 सीबीसी अभिलेखागार, 9 सितम्बर १९६२ को प्रसारण.] . 27 अगस्त 2007 को पुनःप्राप्त.</ref><ref>{{Cite book| last= Villa| first = Brian Loring| title = Unauthorized Action: Mountbatten and the Dieppe Raid| location = Toronto| publisher = Oxford University Press| year = 1989| pages = 240–241 | isbn= 0195408047}}</ref> फिर भी, 1946 में उनके नाम पर एक शाही कनाडाई समुद्र कैडेट कोर (RCSCC #134 एडमिरल माउंटबेटन सडबरी, [[ओन्टारियो|ऑन्टारियो]]) बनाया गया.
अक्टूबर 1943 में, चर्चिल ने माउंटबेटन को दक्षिण पूर्वी एशिया कमान का प्रधान संबद्ध कमांडर नियुक्त किया. उनके कम व्यवहारिक विचारों को लेफ़्टिनेंट कर्नल जेम्स एलासन के नेतृत्व में योजना बनाने वाले अनुभवी कर्मचारियों ने दरकिनार कर दिया, हालांकि उनमें से कुछ प्रस्ताव को, जैसे कि रंगून के निकट जल और थल से हमला करना, चर्चिल के अंत के पहले, उनके समान ही पाया गया.
उत्तर पूर्वी एशिया थियेटर के प्रधान संबद्ध कमांडर होने के दौरान, उनके आदेश के विरुद्ध जनरल विलियम स्लिम द्वारा [[म्यान्मार|बर्मा]] पर फिर से अधिकार कर लिया. जनरल “विनेगर जो” स्टिलवेल – उनके प्रतिनिधि और साथ ही अमेरिकी चीन बर्मा भारत थियेटर के कमांडिंग अधिकारी – और जनरेलिसिमो [[चेंग कै शेक|चिआंग काई-शेक]], [[गुओमिंदांग|चीनी राष्ट्रवादी]] बल के नेता, के साथ उनका कूटनीतिक रवैया वैसा ही था जैसा जनरल मॉन्टगमरी और विंस्टन चर्चिल का जनरल [[ड्वैट ऐज़नहौवर|इसेनहोवर]] के साथ था. {{Citation needed|date=August 2010}} एक व्यक्तिगत उच्च बिंदू वह था जब जापानियों ने [[सिंगापुर]] में आत्मसमर्पण किया, जब ब्रिटिश फ़ौज 12 सितंबर 1945 को जनरल इतागाकी सीशीरो के नेतृत्व वाले क्षेत्रों में जापानी बलों द्वारा औपचारिक आत्मसमर्पण के लिए द्वीप पर वापस पहुंची, जिसका कोड नाम ऑपरेशन टिडरेस था.
=== अंतिम वायसराय ===
[[क्लिमेण्ट रिचर्ड एट्ली|क्लीमेंट एटली]] को इस भूखंड में मिले अनुभव और उनके लेबर समर्थन की समझ के चलते लड़ाई के बाद उन्हें भारत का वायसराय नियुक्त किया गया. सन १९४८ तक उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र हो रहे भारत के निरीक्षक पद का कार्यभार सौंपा गया. माउंटबेटन के निर्देशों ने इस पर जोर दिया की सत्ता हस्तांतरण में भारत संगठित रहे, लेकिन यह भी निर्देश दिया कि तेज़ी से परिवर्तित हो रही स्थिति पर अनुकूल रवैया रखें ताकि ब्रिटेन की वापसी में उसके यश को क्षति न पहुंचे.
माउंटबेटन [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेसी]] नेता नेहरु के निकटवर्ती थे, उन्हें उनकी भारत के लिए उदारपंथी सोच पसंद थी. वह मुस्लिम नेता जिन्ना के प्रति अलग विचार रखते थे लेकिन वह जिन्ना की ताकत भलीभांति पहचानते थे. उनके शब्दों में "अगर कहा जा सकता हो की १९४७ में एक व्यक्ति के हाथों में भारत का भविष्य था तो वह आदमी मोहम्मद अली जिन्ना था.
यह देखते हुए कि ब्रिटिश सरकार तुरंत आजादी देने के लिए आग्रही है,<ref>ज़िग्लर, फिलिप, ''माउंटबेटन.'' ''भारत में वाइसराय के रूप में बिताए गए वर्षों सहित '' (न्यू योर्क: नोफ, 1985)</ref>
माउंटबेटन ने निष्कर्ष निकाला कि स्वतन्त्र भारत एक अप्राप्य लक्ष्य है और उन्होंने स्वतन्त्र भारत और [[पाकिस्तान]] के विभाजन की योजना मान ली.
भारतीय नेताओ में गांधी ने बलपूर्वक एक एकजुट भारत के सपने का समर्थन किया और कुछ समय तक लोगों को इस उद्देश्य के लिए एकत्र किया. लेकिन जब माउंटबेटन की सीमा ने जल्द स्वतंत्रता प्राप्त करने की सम्भावना पर मुहर लगायी तब लोगों के मत बदल गए. माउंटबेटन के निश्चय की दृढ़ता देखते हुए, मुस्लिम लीग से किसी भी तरह के समझौते में नेहरु और पटेल की असफलता और जिन्ना की जिद्द के चलते सभी नेताओ (गांधी को छोड़कर) ने जिन्ना के विभाजन के प्लान को मान लिया, जिसने माउंटबेटन के नियुक्त काम को आसान बना दिया.<ref>ज़िग्लर, ''माउंटबेटन.'' ''भारत में वाइसराय के रूप में बिताए गए वर्षों सहित,'' पी. 373</ref> इससे एक ऐसे प्रतिकूलता का असर पहुंचा की जिन्ना का सौदेकारी दर्ज़ा ऊंचा हो गया जो अंत में अपने आप में उसको मिली ज्यादा रियायतों का कारण बना.
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जब भारत और पाकिस्तान ने 14 से 15 अगस्त 1947 की रात स्वतंत्रता प्राप्त की, तो माउंटबेटन जून 1948 तक भारत के पहले गवर्नर जनरल के रूप में कार्य करते हुए दस महीने तक [[नई दिल्ली (प्रशासनिक राजधानी क्षेत्र)|नई दिल्ली]] में रहे.
भारत की स्वतंत्रता में अपनी स्वयं की भूमिका के आत्म-प्रचार—विशेषकर अपने दामाद लॉर्ड ब्रेबोर्न और डोमिनिक लापियर व लैरी कॉलिंस की अपेक्षाकृत सनसनीखेज पुस्तक ''फ्रीडम एट मिडनाइट'' में (जिसके मुख्य सूचनाकार वे स्वयं थे)—के बावजूद उनका रिकार्ड बहुत मिश्रित समझा जाता है. एक मुख्य मत यह है कि उन्होंने आजादी की प्रक्रिया में अनुचित और अविवेकपूर्ण जल्दबाजी कराई और ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि उन्हें यह अनुमान हो गया था कि इसमें व्यापक अव्यवस्था और जनहानि होगी और वे नहीं चाहते थे कि यह सब अंग्रेजों के सामने हो और इस प्रकार वे वास्तव में उसके, विशेषकर पंजाब और [[बंगाल]] में घटित होने का कारण बन गए.
1950 के दशक में भारत सरकारों के सलाहकार रहे कनाडियन-अमेरिकी हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री जॉन केनेथ गालब्रेथ, जो नेहरू के आत्मीय बन गए थे और जिन्होंने 1961-63 में अमेरिकी राजदूत के रूप में कार्य किया, इस संबंध में माउंटबेटन के विशेष रूप से कड़े आलोचक थे. पंजाब-विभाजन की भयंकर दुर्घटनाओं का सनसनीखेज विवरण कॉलिंस और लापियर की पुस्तक ''फ्रीडम एट मिडनाइट'' , जिसके माउंटबेटन स्वयं मुख्य सूचनाकर थे, और उसके बाद बापसी सिधवा के उपन्यास ''आइस कैंडी मैन'' (संयुक्त राज्य में ''क्रैकिंग इंडिया'' के रूप में प्रकाशित), जिस पर ''[[अर्थ (१९९८ फ़िल्म)|अर्थ]]'' फिल्म बनी, में दिया गया है. 1986 में आईटीवी ने अंतिम वायसराय के रूप में माउंटबेटन के दिनों का अनेक भागों में नाट्य रूपांतर प्रसारित किया''[[Lord Mountbatten: The Last Viceroy]]'' .
=== भारत और पाकिस्तान के बाद करियर ===
भारत के बाद, माउंटबेटन ने 1948–1950 तक भूमध्य बेड़े में एक क्रूजर स्क्वाड्रन के कमांडर के रूप में कार्य किया. उसके बाद वे नौवाहन विभाग में 1950-52 चौथे समुद्र रक्षक के रूप में कार्य करने गए और फिर तीन सालों तक भूमध्य सागर के बेड़े में कमांडर-इन-चीफ के रूप में कार्य करने के लिए भूमध्य सागर लौटे. माउंटबेटन ने 1955-59 तक नौवाहन विभाग में पहले समुद्र रक्षक के रूप में अपनी अंतिम पोस्टिंग में सेवा दी, उसी पोजीशन पर जहां करीब चालीस साल पहले उनके पिता नियुक्त थे. शाही नौसेना के इतिहास में यह पहलीबार था कि बाप और बेटे ने समान रैंक हासिल की थी.
माउंबेटन की आत्मकथा में फिलिप जिएगलर ने अपने महत्वाकांछी चरित्र पर टिप्पणी की है:
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"उनका घमंड बच्चों की तरह लेकिन शरारती और महत्वाकांक्षा बेलगाम थी. उनके हाथों से सत्य का स्वरूप बड़ी आसानी से इस तरह बदल जाता था जैसा न वह पहले था और न ही हो सकेगा. अपनी उपलब्धियों को और उन्नत बनाने के लिए अपनी स्वाभाविक उदासीनता के साथ उन्होंने इतिहास को पुन: लिखने की अनुमति मांगी. एक वक्त था जब मैं काफी गुस्से में था और मुझे महसूस हुआ कि उसकी प्रवृत्ति मुझे धोखा देने की है, तब मुझे लगा कि अपनी डेस्क पर यह संदेश लिखना जरूरी है, जिसमें कहा गया है: “सबकुछ होने के बावजूद वह एक महान व्यक्ति था."<ref> ज़िग्लर, 1985, फिलिप ''माउंटबेटन'' न्यूयॉर्क. 17 पीपी</ref></blockquote>
पहले समुद्री रक्षक के रूप में काम करते हुए उसकी प्राथमिकता यह देखना थी कि अगर ब्रिटेन पर परमाणु हमला हो तो उससे निपटने के लिए उसकी शाही नौसेना के पास रणनीति होगी तथा उन्हें अपना नौवाहन रास्ता खुला रखना चाहिए या नहीं. आज यह समस्या भले ही अधिक महत्वपूर्ण न हो लेकिन उस समय कुछ लोग परमाणु हथियारों के जरिए तबाही मचाने में लगे हुए थे और इसके भयंकर परिणाम सामने आए थे. नौसैना अधिकारी परमाणु विस्फोटों में इस्तेमाल होने वाले भौतिक विज्ञान से अनभिज्ञ थे. इससे स्पष्ट था कि माउंटबेटन इस बात से पूरी तरह आश्ववस्त था कि बिकनी एटोल परीक्षण की विखंडन प्रतिक्रियाओं का प्रभाव न तो समुद्र पर पड़ेगा और न ही इस ग्रह पर विस्फोट होगा.
माउंटबेटन 1969 से 1974 तक [[आइल ऑफ़ वाइट|आइल ऑफ वाइट]] के गर्वनर मनोनीत रहे फिर 1974 में [[आइल ऑफ़ वाइट|आइल ऑफ वाइट]] के पहले लॉर्ड लेफ्टिनेंट बने. अपनी मृत्यु तक वो इसी पद पर रहे.
1967 से 1978 तक माउंटबेटन संयुक्त विश्व महाविद्यालय संगठन के अध्येक्ष रहे, जो दक्षिण वेल्स के एकमात्र महाविद्यालय अटलांटिक महाविद्यालय का प्रतिनिधित्व करता था. माउंटबेटन ने संयुक्त विश्व महाविद्यालय का समर्थन किया और राज्य के प्रमुखों, राजनीतिज्ञों और विश्व की प्रमुख हस्तियों को अपनी-अपनी रुचियां बांटने के लिए प्रेरित किया. माउंटबेटन की अध्यक्षता और व्यक्तिगत सहभागिता के चलते ही 1971 में दक्षिण-पूर्वी एशिया में [[सिंगापुर]] में संयुक्त विश्व महाविद्यालय की स्थापना हुई थी, जो बाद में प्रशांत का संयुक्त विश्व महाविद्यालय (अब प्रशांत के लेस्टर बी पीयर्सन संयुक्त विश्व महाविद्यालय के नाम से जाना जाता है) विक्टोरिया, कनाडा में 1974 में स्थापित हुआ. 1978 में, बर्मा के लॉर्ड माउंटबेटन ने अपनी सत्ता वेल्स के युवराज एवं अपने महान भतीजे एचआरएच को सौंप दी.
=== हेरोल्ड विल्सन के खिलाफ कथित षड्यंत्र ===
अपनी पुस्तक स्पाईकैचर में, पीटर राइट ने दावा किया है कि 1967 में माउंटबेटन ने प्रेस व्यापारी और MI5 एजेंट सेसिल किंग, और सरकार प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, सोली ज़करमैन के साथ एक निजी बैठक की थी. किंग और पीटर राइट तीस M15 अधिकारियों के समूह के सदस्य थे, जो उस समय के हेरोल्ड विल्सन संकट-पीड़ित श्रम सरकार का तख्तापलट करना चाहते थे, और किंग ने कथित रूप से बैठक का उपयोग माउंटबेटन से यह आग्रह करने के लिए किया था कि वे नेशनल साल्वेशन के सरकार के नेता बन जाएं. सोली ज़करमैन ने इसे राजद्रोह बताते हुए कहा था कि यह विचार माउंटबेटन की अनिच्छा के कारण कारगर सिद्ध नहीं हुआ.
2006 में बीबीसी के वृत्तचित्र ''हेरोल्ड विल्सन के खिलाफ साजिश'' में आरोप लगाया गया कि माउंटबेटन ने अपने दूसरे कार्यकाल (1974-1976) के दौरान विल्सन को बेद्खल कर दिया था. अवधि को उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती बेरोजगारी और व्यापक औद्योगिक अशांति द्वार वर्गीकृत किया जाता था. कथित साजिश दक्षिणपंथी पूर्व सैन्य सेना के दिग्गज जो ट्रेड यूनियन और [[सोवियत संघ]] से होने वाले अनुमानित खतरे से बचने के लिए कथित रूप से अपनी निजी आर्मी बना रहे थे, पर केन्द्रित था. वे मानते थे कि लेबर पार्टी, जो आंशिक रूप से है संबद्ध ट्रेड यूनियन द्वारा वित्त पोषित था, इन विकासों को करने में असमर्थ और अनिच्छुक था, और विल्सन या तो सोवियत एजेंट था या साम्यवाद का समर्थक था, इन दावों का विल्सन ने पुरजूर खंडन किया था. वृत्तचित्र में आरोप लगाया था कि विल्सन का तख्तापलट करके, उसके स्थान पर माउंटबेटन को बिठाने के लिए सेना और MI5 में निजी आर्मी और समर्थकों का उपयोग कर एक घातक षड्यंत्र रचा गया था. वित्तचित्र में कहा गया था कि षड्यंत्र को माउंटबेटन और ब्रिटिश शाही परिवार के अन्य सदस्यों का असमर्थन प्राप्त था.
विल्सन लंबे समय से मानते थे कि उनके तख्तापलट करने के लिए MI5 द्वारा प्रायोजित कोई षड्यंत्र रचा जा रहा है. 1974 में यह संदेह बढ़ गया था जब सेना ने यह कहते हुए हीथ्रो हवाई अड्डे पर कब्जा कर लिया था कि यहां संभावित IRA हमले से बचने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. मेरिको फाल्केंडर वरिष्ठ सहयोगी और विल्सन के करीबी दोस्त, ने कहा था कि प्रधानमंत्री को इस अभ्यास की कोई सूचना नहीं दी गई थी और फिर भी इसे अभ्यास करने के लिए सैन्य अधिग्रहण का आदेश बताया गया था. विल्सन को भी यकीन हो गया था कि दक्षिणपंथी MI5 अधिकारियों का एक छोटा समूह उनके खिलाफ एक स्मियर अभियान चला रहा है. ऐसे आरोप विल्सन के संविभ्रम को पहले से जिम्मेदार ठहराया गया था, कम से कम एक बार 1988 में, पीटर राइट ने स्वीकार किया था कि उनकी किताब में आरोप "अविश्वसनीय" और बहुत अतिरंजित थे.
अत्यावश्यक रूप से, MI5 की पहली आधिकारिक इतिहास, ''द डिफेंस ऑफ द रीयल्म'' 2009 में प्रकाशित की गई थी, अकथित रूप से इसकी पुष्टि की गई थी कि विल्सन के खिलाफ साजिश रची जा रही है और MI5 के पास उनके नाम की एक फ़ाइल थी. अभी तक यह भी स्पष्ट कर दिया था कि षड्यंत्र आधिकारिक नहीं था और सभी गतिविधियां असंतुष्ट अधिकारियों के एक छोटे समूह के आसपास केंद्रित है. पूर्व केबिनेट सेकरेटरी लॉर्ड हंट ने पहले ही इतना खुलासा कर दिया था, जिन्होंने 1996 में आयोजित गुप्त पूछताछ में कह दिया था कि, " इसमें कोई संदेह नहीं है कि MI5 में कुछ, बहुत कम असंतुष्ट लोग.... पीटर राइट की तरह उनमें से कई जो दक्षिणपंथी, द्रोही थे और जिनके पास गंभीर व्यक्तिगत शिकायतें थी - ने इसका आधार रखा और उस लेबर सरकार के खिलाफ कई घातक हानिकारक कहानियों का दुष्प्रचार कर रहे हैं "
साजिश में माउंटबेटन की भूमिका अस्पष्ट बनी हुई है. ऐसे लोगों से उनके बहुत कम संबद्ध थे जो 1970 के दशक में देश के बारे में चिंतित थे और सरकार के खिलाफ कुछ आक्रामक करने की सोच रहे थे. ऐसा लगता है कि उन्होंने अपनी चिंताओं को साझा किया था. हालांकि, भले ही बीबीसी वृत्तचित्र ने आरोप लगाया था कि उन्होंने तख्तापलट के षड्यंत्रकारियों के लिए अपनी सेवाओं की पेशकश की थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती कि उन्होंने वास्तव में तख्तापलट के इस षड्यंत्र का नेतृत्व किया था. यह उल्लेखनीय है कि कोई भी षड्यंत्र, जिसकी कभी चर्चा नहीं की गई थी वास्तव में घटित हुआ था, शायद क्योंकि अत्यधिक संख्या में लोग इसमें शामिल थी इसलिए इसके सफल होने की उम्मीद बहुत कम थी. {{Or|date=August 2010}}
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कुछ मायनों में, शुरुआत से यह जोड़ा असंगत प्रतीत होता था. लॉर्ड माउंटबेटन व्यवस्थित रहने के अपने जुनून के कारण एदविना पर हमेशा कद्ा नज़र रखते थे और उनका निरंतर ध्यान चाहते थे. कोई शौक या जुनून न होने के कारण शाही जीवनशैली अपनाने के लिए, एड्विना अपना खली समय ब्रिटिश और भारतीय कुलीन वर्ग के साथ पार्टियों में, समुद्री यात्रा करके और सप्ताहांतो में अपने कंट्री हाउस में बिताती थी. दोनों ओर से बढ़ती अप्रसन्नता के बावजूद, लुईस से तलाक देने से इंकार कर दिया क्योंकि उसे लगता था कि इससे वह सैन्य कमान श्रृंखला में आगे नहीं बढ़ पाएगा. एड्विना के कई बाहरी संबधों ने लुईस को योला लेतेलियर नामक फ्रेंच महिला से संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया. {{Citation needed|date=August 2010}} इसके बाद उनकी शादी लगातार आरोपों और संदेह से विघटित होती रही. 1930 के दशक के दौरान दोनों बाहरी संबंध रखने के पक्ष में थे. द्वितीय विश्व युद्ध ने एड्विना को 'लुईस की बेवफाई के अलावा कुछ अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर दिया. वे प्रशासक के रूप में सेंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड में शामिल हो गईं. इस भूमिका ने एड्विना को विभाजन अवधि के दौरान पंजाब के लोगों के दुख और दर्द को कम करने का उनके प्रयासों के कारण नायिका{{Who|date=August 2010}} के रूप में स्थापित कर दिया.{{Citation needed|date=August 2010}}
यह प्रलेखित है कि भारत की स्वतंत्रता के बाद भारत की पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ उनके अंतरंग संबंध थे. गर्मियों के दौरान, वह अक्सर प्रधानमंत्री निवास आया जाया करती थीं ताकि दिल्ली में गर्मियों के दौरान उनके बरामदे का आन6द ले सके. दोनों के बीच निजी पत्राचार संतोषजनक, लेकिन निराशात्मक रहा. एड्विना ने एक पत्र में कहा है कि " हमने जो भी किया है या महसूस किया है, उसका प्रभाव तुम पर या तुम्हारे कार्य अथवा मैं या मेरे कार्य पर नहीं पड़ना चाहिए -- क्योंकि यह सबकुछ खराब कर देगा. "
1979 में उनकी हत्या किए जाने तक, माउंटबेटन अपनी कजिन रूस की ग्रैंड डचेच मारिया निकोलावेना अपने बिस्तर के पास रखते थे, ऐसा माना जाता है कि कभी वे उनके दीवाने हुआ करते थे.<ref>किंग एंड विल्सन (2003), पी. 49</ref>
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=== अवकाश के क्षण ===
शाही परिवार के कई सदस्यों की तरह, माउंटबेटन पोलो के बहुत बड़े प्रशंसक थे, और 1931 में एक पोलो स्टीक के लिए उन्हें यू.एस. पेटेंट 1,993,334 भी मिला था.
=== प्रिंस ऑफ वेल्स के गुरू के रूप में ===
[[चित्र:Lord Mountbatten Navy Allan Warren.jpg|thumb|लॉर्ड माउंटबेटन इन 1976, एलेन वारेन द्वारा लिखित.]]
[[चित्र:Loire Stained Glass.jpg|thumb|right|200px|लॉर्ड माउंटबेटन की स्मृति में सेंट जॉर्ज कैथेड्रल, केप टाउन, दक्षिण अफ्रीका,में गैबरियल लोइरे की क्राइस्ट इन ट्रिम्फ ओवर डार्कनेस एंड एविल (1982).]]
माउंटबेटन का अपने महान भतीजे, प्रिंस ऑफ वेल्स की परवरिश में अत्यधिक प्रभाव था और बाद में वे उसके गुरू बनें -- जोनाथन डिम्बलेबी के प्रिंस की जीवनी के अनुसार इन्हें एक साथ "होनोररी ग्रैंडफादर" और " होनोररी ग्रैडसन"" के रूप में जाना जाता था - हालांकि ज़िगलर के माउंटबेटन की r जीवनी और डिम्बलेबी के प्रिंस की जीवनी मिश्रित हैं. उन्होंने समय समय पर प्रिंस ऑफ वेल्स किंग एडवर्ड VIII जिन्हें बाद में ड्यूक ऑफ विंडसर के नाम से जाना जाने लगा, जिन्हें माउंटबेटन अपनी युवावस्था में जानते थे, के रूप में उसके पूर्वजों के आदर्श शांति देने वाले कलाप्रेम के प्रवृति को दिखाते हुए बड़ा किया. यहां तक कि उन्होंने प्रिंस को युवा जीवन का आनंद लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया ताकि जब वह युवा और अनुभवहीन लड़की से शादी करें, तो एक स्थिर दांपत्य जीवन जी सके.
माउंटबेटन की सिंहासन के वारिस को विशेष सलाह देने की योग्यता अद्वितीय थी; 22 जुलाई 1939 को डार्टमाउथ रॉयल नेवल कॉलेज में किंग जॉर्ज VI और क्वीन एलिजाबेथ की यात्रा अयोजित करने के पीछे इन्हीं का हाथ था, इस बात का भी विशेष ध्यान रखा गया था कि इस यात्रा में युवा राजकुमारी एलिजाबेथ और मार्गरेट को भी आंमत्रित किया जाए, लेकिन जब उनके माता पिता कॉलेज की सुविधाओ6 को जायजा ले रहे हो6, उस दौरान उनके भतीजे, कैडेट प्रिंस फिलीप ऑफ ग्रीस, को इनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी दी गई थी. . चार्ल्स के भविष्य के माता पिता की यह पहली बैठक थी.
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1974 में माउंटबेटन चार्ल्स के साथ उनकी पोती, माननीय अमांडा नैचबुल के साथ करवाने का प्रयास करने लगे.
चार्ल्स ने अमांडा की माता (जो उनकी दादी थी), लेडी ब्रेबॉर्न, को अपनी रुचि के बारे में पत्र लिखा. उनका उत्तर पक्ष में था, लेकिन उन्होंने सलाह दी थी कि उनके हिसाब से उनकी बेटी राजगृह में जाने के लिए अभी छोटी हैं.<ref name="JD">{{Cite book| last=Dimbleby| first = Jonathan| authorlink = Jonathan Dimbleby| title = The Prince of Wales: A Biography| location = New York| publisher = William Morrow and Company| year = 1994| pages = 263–265|isbn =0-688-12996-X}}</ref>
चार साल बाद माउंटबेटन ने 1980 की उनकी भारत की योजनाबद्ध यात्रा के लिए स्वंय और चार्ल्स का साथ देने के लिए अमांडा का आंमत्रण सुरक्षित कर लिया.
चार्ल्स की भारत की यात्रा को पुनः निर्धारित की गई, लेकिन प्रस्थान के योजना की तिथि तक माउंटबेटन जीवित नहीं रहे. जब 1979 में, चार्ल्स ने अंततः अमांदा के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन उस समय तक परिस्थितियां नाटकीय रूप से बदल गई थीं, और अमांडा ने चार्ल्स का विवाह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया.
== टेलीविज़न प्रस्तुतियां ==
1969 में, अर्ल माउंटबेटन ने 12-भागों वाले आत्मकथात्मक टेलीविजन श्रृंखला ''लॉर्ड माउंटबेटन: ए मैन फ़ोर द सेंचुरी'' में हिस्सा लिया, जिसे ''द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ लॉर्ड माउंटबेटन'' जे नाम से भी जाना जाता है, इसके निर्माता एसोसिएटेड-रेडिफशन थे, और इसकी पटकथा इतिहासकार जॉन टेराइन ने लिखी थी.
# द किंग्स शिप्स वर एट सी (1900-1917)
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# ए मैन ऑफ दिस सेंचुरी (1900-1968)
अपने जन्मदिन 77 कुछ ही अरसे पहले, 27 अप्रैल 1977 को, माउंटबेटन टीवी अतिथि शो दिस इज योर लाइफ में दिखाई देने वाले रॉयल परिवार के पहले सदस्य थे.
== हत्या ==
माउंटबेटन आमतौर पर छुट्टियां मनाने मुलघमोर, काउंटी सिल्गो के अपने ग्रीष्मकालीन घर जाते थे, यह आयरलैंड के उत्तरी समुद्री तट बुंड्रोन, काउंटी डोनेगल और सिल्गो, काउंटी सिल्गो के बीच बसा एक छोटा समुद्रतटीय गांव है. बुंड्रोन मुलघमोर आईआरए के स्वयंसेवकों में बहुत लोकप्रिय अवकाश गंतव्य था, उनमें से कई वहां माउंटबेटन की उपस्थिति और मुलघमोर के आंदोलनों से अवगत हो सकते हैं. {{Citation needed|date=December 2009}} गार्डा सिओचना के सुरक्षा सलाह और चेतावनियों के बावजूद, 27 अगस्त 1979 को, माउंटबेटन एक तीस फुट (10 मीटर) लकड़ी की नाव, ''शेडो वी'' में लॉबस्टर के शिकार और टुना मछली पकड़ने के लिए potting बंदरगाह पर और टूना मछली पकड़ने गए, जो मुलघमोर के बंदरगाह में दलदल में फ6स गया था. थॉमस मैकमोहन नामक एक आईआरए सदस्य उस रात सुरक्षा रहित नाव से फिसल कर गिरते गिरते एक रेडियो नियंत्रित पचास पाउंड (२३ किग्रा) का बम नाव में लगा गया. जब माउंटबेटन नाव पर डोनेगल बे जा रहे थे, एक अज्ञात व्यक्ति ने किनारे से बम को विस्फोट कर दिया. मैकमोहन को [[लॉंगफ़र्ड, लंदन|लॉगफ़ोर्ड]] और ग्रेनार्ड के बीच गार्डा नाके पर पहले ही गिरफ्तार किया गया था. माउंटबेटन, उस समय 79 वर्ष के थे, गंभीर रूप से घायल हो गए थे और विस्फ़ोट के तुरंत बाद बेहोश होकर गिर गए और उनकी मृत्यु हो गई. विस्फ़ोट में मरने वाले अन्य लोगों में निकोलस नैचबुल, उनके बद्ी बेटी का 14 साल का बेटा; पोल मैक्सवेल, काउंटी फेर्मानघ का 15 वर्षीय युवा जो क्रू सदस्य के रूप में कार्य कर रहा था; और बैरोनेस ब्रेबॉर्न, उनकी बड़ी बेटी की 83 वर्षीय सास जो कि विस्फ़ोट में गंभीर रूप से घायल हुई थीं, और विस्फ़ोट के दूसरे दिन चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई.
निकोलस नैचबुल के माता और पिता, उसके जुड़वें भाई तीमुथि सहित, विस्फ़ोट में बच गए थे लेकिन गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
सिन फेन के उपाध्यक्ष गेर्री एडम्स ने माउंटबेटन की मृत्यु पर कहा:
<blockquote>आईआरए ने निष्पादन के लिए स्पष्ट कारण दिए हैं. मुझे लगता है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने लोग मारे गए, लेकिन माउंटबेटन की मृत्यु पर हंगामा मीडिया की स्थापना के कपटी प्रवृति को दर्शाता है. हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य के रूप में, माउंटबेटन ब्रिटिश और आयरिश राजनीति दोनों में एक भावनात्मक व्यक्ति थे. आईआरए ने जो किया वही माउंटबेटन अपने पूरे जीवन में अन्य लोगों के साथ करते थे; और उनके युद्ध के रिकॉर्ड देखकर मुझे नहीं लगता कि युद्ध जैसी स्थिति में मरने पर उन्हें कोई आपत्ति हुई होगी. वे इस देश में आने के खतरों को जानते थे. मेरी राय में, आईआरए ने अपना उद्देश्य पूर कर लिया है: लोग अब इस पर ध्यान दे रहे हैं कि आयरलैंड में क्या हो रहा है.
जिस दिन माउंटबेटन की हत्या हुई थी, उसी दिन, आईआरए भी ताक में था, और अठारह ब्रिटिश आर्मी के सैनिकों को मार गिराया था, उनमें से सोलह वार्रेनपॉइंट, काउंटी डाउन के पैराशूट रेजिमेंट से थे, जिसके कारण उसे वार्रेनपॉइंट एम्ब्यूस के नाम से जाना जाती है.
प्रिंस चार्ल्स ने माउंटबेटन को गंभीर बताया, और मित्रों के चर्चा की थी कि गुरू के जाने के बाद चीजें पहले जैसी नहीं रह गई हैं.<ref>2002, रॉबर्ट लैसी द्वारा ''रॉयल'' </ref>
इस बात का खुलासा किया गया था कि माउंटबेटन आयरलैंड के संभावित एकीकरण के पक्ष में थे.
== अंतिम संस्कार ==
[[चित्र:Mountbatten's grave at Romsey Abbey.JPG|thumb|रोम्से एब्बे में माउंटबेटन का कब्र]]
आयरलैंड के राष्ट्रपति , पैट्रिक हिलेरी और टाओइसीच, जैक लिंच, ने डबलिन में सेंट पट्रिक के कैथेड्रल में माउंटबेटन की यादगार सेवा में भाग लिया.
माउंटबेटन को वेस्टमिंस्टर एब्बे मे6 टीवे पर प्रसारित अंतिम संस्कार, जो कि पूर्ण रूप से योजनाबद्ध थी, के बाद रोम्से एब्बे में दफनाया गया था.
23 नवम्बर 1979 को, थॉमस मैकमोहन को बम विस्फोट कर हत्या करने का दोषी पाया गया था. गुद फ़्राइडे समझौते की शर्तों के अंतर्गत उसे 1998 में छोड़ दिया गया.
माउंटबेटन की हत्या की सुनवाई पर, उस समय के क्वीन्स म्युजिक के मास्टर, मैल्कम विलियमसन को ''बर्मा के लॉर्ड माउंटबेटन की याद में वायोलिन और स्ट्रिंग ऑर्केस्ट्रा के लिए एक शोकगीत'' लिखने के लिए बुलाया गया था. 11 मिनट के इस कार्य को पहली बार 5 मई 1980 को स्कोटिश बारोक्यू एंसेम्बल द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसका आयोजन लियोनार्ड फ्राइडमैन ने किया था.
== जन्म से मृत्यु तक की पदवी ==
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* 1956-1965: एडमिरल ऑफ द फ़्लीट ''द राइट ऑनरेबल'' द अर्ल माउंटबेटन ऑफ बर्मा, KG, GCB, GCSI, GCIE, GCVO, DSO, PC
* 1965-1966: एडमिरल ऑफ द फ़्लीट ''द राइट ऑनरेबल'' द अर्ल माउंटबेटन ऑफ बर्मा, KG, GCB, OM, GCSI, GCIE, GCVO, DSO, PC
* 1966-1979:, एडमिरल ऑफ द फ़्लीट ''द राइट ऑनरेबल'' द अर्ल माउंटबेटन ऑफ बर्मा, KG, GCB ,OM, GCSI, GCIE, GCVO, DSO, FRS
== रैंक पदोन्नति ==
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** ''सक्रिय एडमिरल,'' आर एन-1952
* एडमिरल, आर.एन.-1953
* एडमिरल ऑफ द फ़्लीट, आर.एन.-1956
== सम्मान ==
=== ब्रिटिश ===
* 1937: नाइट ग्रैंड क्रॉस ऑफ द रॉयल विक्टोरियन ऑर्डर - GCVO
* 1940: नाइट ऑफ़ जस्टिस ऑफ सेंट जॉन - KJStJ
* 1941: कंपेनियन ऑफ डिस्टिंगुइस्ड सर्विस ऑर्डर - DSO
* 1946: नाइट ऑफ द गार्टर - KG
* 1947: [[ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया|नाइट ग्रैंड कमांडर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया]] - GCSI
* 1947: नाइट ग्रैंड कमांडर ऑफ द इंडियन एम्पायर - GCIE
* 1955: नाइट ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ द बाथ - GCB (1943: CB, 1945: KCB
* 1965 मेंम्बर ऑफ द ऑर्डर ऑफ मेरिट - OM
=== विदेश ===
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* 1941: वार क्रॉस (ग्रीस)
* 1943: चीफ कमांडर ऑफ द लिजन ऑफ मैरिट, [[संयुक्त राज्य अमेरिका]]
* 1945: स्पेशल ग्रैंड कार्डन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द क्लाउड एंड बैनर ऑफ [[चीन|चाइना]]
* 1945: विशिष्ट सेवा मेडल, [[संयुक्त राज्य अमेरिका]]
* 1945: एशियाई प्रशांत अभियान पदक, [[संयुक्त राज्य अमेरिका]]
* 1946: ग्रैंड क्रॉस ऑफ़ द लिजन द'होनेरे ऑफ़ [[फ़्रांस|फ्रांस]]
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* 1948: ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नीदरलैंड्स लायन<ref>{{London Gazette|issue=38176|date=13 January 1948|startpage=274|accessdate=13 March 2010}}</ref>
* 1951: ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ एविज ऑफ [[पुर्तगाल]] - GCA
* 1952: [[स्वीडन|नाइट ऑफ द [[रॉयल ऑर्डर ऑफ़ द सेरफिम]] ऑफ [[स्वीडन]] - RSerafO
* 1956: ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ थिरी थुधम्मा([[म्यान्मार|बर्मा]])
* 1962 : ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ द डान्नेब्रोग ऑफ [[डेनमार्क]] - SKDO
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1986 में, ITV ने ''लॉर्ड माउंटबेटन : द लास्ट वायसराय'' का का निर्माण और प्रसारण किया, जिसमें निकोल विलियमसन और जेनेट सुज़मैन, क्रमशः लॉर्ड और लेडी माउंटबेटन की भूमिका में नज़र आए. यह भारत में बिआताए गए वर्षों पर केंद्रित था और इसमें नेहरू के साथ लेडी माउंटबेटन के रिश्ते का संकेत दिया गया था. अमेरिका में इसे मास्टरपीस थियेटर में दिखाया गया था.
लॉर्ड माउंटबेटन (क्रिस्टोफर ओवेन द्वारा अभिनीत) {2008 के फ़िल्म ''द बैंक जॉब '' में दिखाई दिए, इसमें 1970 में सरकार-स्वीकृत बैंक डकैती की कहानी प्रदर्शित की गई है. पैडिंगटन स्टेशन पर आश्रय स्थल में, माउंटबेटन को ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में चित्रित किया गया है और वे राजकुमारी मारग्रेट की नग्न तस्वीरों, जो शाही परिवार के लिए शर्मनाक थी, के बदले अभियोजन से गारंटीयुक्त मुक्ति के दस्तावेजों डकैतों के देते हैं. माउंटबेटन ने चुटकी ली "मैं नहीं युद्ध के बाद से ऐसी उत्तेजना नहीं देखी थी".
2008 में टेलिविजन फिल्म ''इन लव विथ बारबरा,'' में लॉर्ड माउंटबेटन ब्रिटेन की भूमिका डेविड वार्नर ने निभाई थी, यह रोमांटिक उपन्यासकार बारबरा कार्टलैंड की एक जीवनी फिल्म थी जिसे यूके में [[बीबीसी फ़ोर|बीबीसी फॉर]] पर दिखाया गया था.
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