3,99,252
सम्पादन
Sanjeev bot (चर्चा | योगदान) छो (सन्दर्भ की स्थिति ठीक की।) |
Sanjeev bot (चर्चा | योगदान) छो (बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की।) |
||
== पारंपरिक वृतांत ==
''तिरुवल्लुवर'' (तिरु वल्लुवर) नाम ''तिरु'' (एक तमिल शब्द जिसका अर्थ ''माननीय'' होता है, जो ''श्री'' के समान है)<ref>काल्डवेल
तिरुवल्लुवर के जन्म के बारे में कुछ किंवदंतियां रही हैं. शैव, वैष्णव, जैन, [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]] सम्प्रदायों का तर्क है कि तिरुवल्लुवर उनसे संबंधित हैं. तिरुवल्लुवर के जन्म के बारे में कुछ किंवदंती भी रही हैं जिसमें उन्हें एक जैन समानार संत या एक हिंदू कहा गया है. लेकिन उनके धर्म के बारे में कोई सबूत उपलब्ध नहीं है [कमात्ची श्रीनिवासन "कुरल कुराम समयम", तिरुक्कुरल प्रकाशन, मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, 1979]. इस कृति का आरम्भ सर्वशक्तिमान भगवान को सादर प्रणाम करते हुए एक अध्याय से होता है. इसीलिए कहा जा सकता है कि तिरुवल्लुवर आस्तिक थे. लेकिन उनके परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं, सारे संसार के निर्माता हैं, और जो अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. दरअसल कुरल किसी भी विशिष्ट या सांप्रदायिक धार्मिक आस्था की वकालत नहीं करता है. एक कथा में उन्हें पंड्या शासकों की प्राचीन राजधानी मदुरै से जोड़ा जाता है, जिन्होंने [[तमिल साहित्य]] को सख्ती से बढ़ावा किया था. एक अन्य के अनुसार उनका जन्म और लालन-पालन [[मयलापुर|मायलापुर]] में हुआ था जो वर्तमान में मद्रास शहर का एक हिस्सा है, और उन्होंने अपनी कृति ''थिरुकुरल'' को जमा करने के लिए मदुरै की यात्रा की ताकि वे राजा (पंडियन) और उनके कवियों के समूह से अनुमोदन प्राप्त कर सकें. उनकी पत्नी का नाम वासुकी है<ref>{{cite book
तिरुक्कुरल तीन वर्गों में विभाजित है.
पहले खंड में ''अरम''
खंड दो में ''पारुल'' सांसारिक मामलों की सही ढंग से चर्चा की गई है, और
तीसरे अनुभाग ''इनबम''
प्रथम खंड में 38 अध्याय हैं, दूसरे में 70 अध्याय और तीसरे में 25 अध्याय हैं.
प्रत्येक अध्याय में कुल 10 दोहे या ''कुरल'' है और कुल मिलाकर कृति में 1330 दोहे हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप (कन्याकुमारी) के दक्षिणी सिरे पर संत तिरुवल्लुवर की 133 फुट लंबी प्रतिमा बनाई गई है जहां अरब सागर, [[बंगाल की खाड़ी]] और हिंद महासागर मिलते हैं.
133 फुट, तिरुक्कुरल के 133 अध्यायों या ''अथियाकरम'' का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी तीन अंगुलिया ''अरम''
== इन्हें भी देखें ==
* http://www.Thirukural.com Thirukural.com तमिल और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में
* थर्सटन, एडगर और कादम्बि रंगाचारी. 1909. कास्ट्स एंड ट्राइब्स ऑफ साउद्रन इंडिया, वॉल्यूम VI. सरकारी प्रेस: मद्रास. पृष्ठ 82
* [http://content.cdlib.org/xtf/view?docId=ft038n99hg&chunk.id=s1.4.11&toc.depth=1&toc.id=ch04&brand=eschol डायलॉग एंड हिस्टरी कंसट्रकटिंग साउथ इंडिया
* www.theologie.uni-hd.de/rm/online-artikel/bergunder-2004-contested-past.pdf पृष्ठ 70
* कार्ल ग्रौल, रीज इन ओस्टीडियन (लेपज़िग 1855) वोल्यूम. IV, पृष्ठ 193, (नेहरिंग 2000: 77) में उद्धृत.
|