"विरचना": अवतरणों में अंतर
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''' विरचना ''' (डिकंस्ट्रक्शन) के सिद्धान्त फ्रांसिसी दार्शनिक ज़ाक [[डेरिडा]] द्वारा प्रस्तुत सिद्धांत है।
जिनका जन्म अल्जीरिया मे हुआ था. डेरिडा (१९३० – २००४) के विशाल कृतियों का सबसे ज़यादा प्रभाव साहित्यिक सिद्धान्त और महाद्वीपी दर्शनशास्र पर हुआ हे। उनके निर्मित कुछ कृतियों के नाम है: स्पीच एंड फिनामिना (बोली और घटना), ऑफ़ ग्रम्माटोलॉजी (व्याकरण का अध्ययन), राइटिंग एंड डिफरेंस (लेखन और अंतर) और डिससेमिनेशन (विकीर्णन)।
{{Infobox philosopher
|region = पश्चिमी दार्शन
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==पोस्ट-स्ट्रकचरलिस्म और विरचना==
डेरिडा इस स्थिर रिश्ते को चुनौती देते हुए कहते हें की चूँकि एक शब्द का अर्थ कभी उस शब्द के अन्दर कैद नहीं किया जा सकता, और उसका मतलब तभी समझा जा सकता हें जब उसे बाकी शब्दों के अंतर मे देखा जाए, इसीलिए एक शब्द का अर्थ सम्भंदित रूप मे ही समझा जा सकता हें। वह कहते हें की हम लाल रंग को सही ढंग से पहचान पातें हें क्यूंकि वह नीले या हरे रंग से अलग है। हम इस अंतर को पहचानतें है और इसीलिए उन्हें अलग अलग रंगों के रूप मे जानते हैं।<ref name=book>{{cite book|last=Chandra|first=Joseph|title=Classical to Contemporary Critical Theory - A Demystified Approach|date=10 February, 2014|publisher=Atlantic Publisher and Distributors Pvt Ltd.|location=New Delhi|isbn=9788126913497|pages=55 - 67}}</ref>
डेरिडा के मुताबिक हर वास्तु का एक द्विचर विपरीत होता हें, जैसे उजाला और अँधेरा, सफेद और काला, अच्छाई और बुरे इत्यादि। इसे और विस्तार मे समझाते हुए वह कहते हें की एक शब्द का पूरा अर्थ कभी उस शब्द मे समाया नहीं होता है। और चूँकि पूरा अर्थ नहीं समाया है हम यह कह सकते हें की अर्थ की अनुपस्थित है। ततः एक द्विचर विपरीत को डीकंस्ट्रक्ट करने के लिए आवश्यक है की हाशिए अवधि (मारजिनलाईजड् टर्म) के महत्व को पहचाना जाये, क्योंकि इसी शब्द के आधार पर विशेषाधिकृत अवधि को अर्थ मिलता है। एक द्विचर अर्थ उस बात कि भी निशानी हे जो अनुपस्थित है। हम एक कुर्सी को कुर्सी मानते हें क्योंकि वह एक मेज़ से अलग है। इस अनुपस्थिथि को डेरिडा डिफ्फेरांस (différance) का नाम देते हें। उनके मुताबिक डिफ्फेरांस बनता है डिफरेंस (अंतर) और डेफेर्रल (अर्थ को टालना) के संघटन से। एक चिन्ह का अर्थ हमेशा उससे परे होता हें। अतः एक चिन्ह पूरी तरह अपने मे समाया नहीं होता, वह हमेशा एक दुसरे चिन्ह या वास्तु पे निर्भर रहता हें, अपने से परे की तरफ इशारा करता है। इसी वजह से डेरिडा कहतें हें की एक चिन्ह का पूरा मतलब उसके द्विचर विपरीत (डिफरेंस) और उसके अर्थ के टालने (डेफेर्रल) के आधार पर ही समझा जा सकता है, और अर्थ मात्र एक हलके निशाने (ट्रेस) की तरह रह जाता है।
फलतः डेरिडा कहते हें की एक ट्रांससेंडेंटल (उत्तोतम) सिग्नीफाईड (हर शब्द के लिए एक ऐसी वास्तु या चिन्ह जो और किसी भी वास्तु या चिन्ह के तरफ इशारा न करे) ढूँढने की आवश्यकता हें, अर्थात एक ऐसा चिन्ह या सिग्नीफाईयर जिसको अपने अर्थ के लिए दुसरे सिग्नीफाईयर पर निर्भर न होना पड़े। हालांकि यह साफ़ ज़ाहिर है की यह मुमकिन नहीं हो सकता।
==विरचना की परिभाषा==
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