"वनस्पति": अवतरणों में अंतर

→‎संदर्भ और आगे पढ़ें: सही वर्तनी वाली श्रेणी
छो कोष्टक से पहले खाली स्थान छोड़ा।
पंक्ति 25:
 
=== सामयिक गतिकी ===
सामयिक रूप से, अनेक प्रकार की प्रक्रियाएं या घटनाएं परिवर्तन ला सकती हैं किंतु सरलता के लिये उन्हें अचानक या धीमी श्रेणियों में बांटा जा सकता है. अचानक होने वाले परिवर्तन सामान्यतः [[उपद्रव]] कहलाते हैं – इनमें [[जंगल की आग]], [[तेज हवाएं]], [[भूस्खलन]], [[बाढ़]], [[हिमस्खलन]] जैसी घटनाएं शामिल हैं. इनके कारण साधारणतः समुदाय के बाहर ([[बहिर्जात]]) होते हैं—ये प्राकृतिक प्रक्रियाएं होती हैं जो (अधिकतर) समुदाय की प्राकृतिक प्रक्रियाओं (जैसे अंकुरण, विकास, मृत्यु आदि) से स्वतंत्र होती हैं. ऐसी घटनाएं वनस्पति रचना और जाति की संरचना में बहुत तेजी से और लंबी समयावधि के लिये परिवर्तन ला सकती हैं, और विशाल क्षेत्र को प्रभावित कर सकती हैं. ऐसे बहुत कम परितंत्र हैं जिनमें नियमित रूप से और बार-बार किसी तरह के उपद्रव नहीं होते और ये हर दीर्घकालिक गतिशील [[तंत्र]] का हिस्सा होते हैं. [[आग]] और हवा के उपद्रव विश्व भर में अनेक वनस्पति प्रकारों में विशेष रूप से आम हैं. आग खास तौर पर प्रबल होती है क्यौंकि यह न केवल जीवित पेड़-पोधों बल्कि बीजों, बीजाणुओं और जीवित [[मेरिस्टेमों]], जो अगली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, को भी नष्ट कर सकती है और जीव-जन्तुओं, मिट्टी के गुणों और अन्य परितंत्रीय तत्वों व प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकती है. (इस विषय पर अधिक चर्चा के लिये देखें, [[आग परितंत्र]]).
 
धीमी गति से सामयिक परिवर्तन सर्वव्यापी होता है –इसमें [[परितंत्रीय आवर्तन]] का क्षेत्र निहित होता है. आवर्तन रचना और वर्गीकरण के संयोजन में अपेक्षाकृत धीमा परिवर्तन होता है जो समय के साथ वनस्पति द्वारा स्वयं प्रकाश, जल और पोषण स्तरों जैसे पर्यावरण के विभिन्न परिवर्तनशील घटकों में लाए गए [[संशोधनों]] के कारण उत्पन्न होता है. ये संशोधन किसी भी क्षेत्र में बढ़ने, बचने और प्रजनन में सर्वाधिक योग्य जाति को बदल देते हैं, जिससे फ्लोरा में परिवर्तन होते हैं. इन फ्लोरिस्टिक परिवर्तनों के कारण वे ऱचनात्मक परिवर्तन होते हैं जो पौधे के विकास में जाति के परिवर्तनों के अभाव की स्थिति में भी स्वाभाविक रूप से होते हैं, जिससे वनस्पति में धीमे और पूर्वज्ञात परिवर्तन (विशेषकर ऐसे पौधे जिनका बड़ा अधिकतम आकार होता है, अर्थात् वृक्ष) आते हैं. आवर्तन में किसी भी समय उपद्रव द्वारा रूकावट हो सकती है जिससे तंत्र वापस अपनी पूर्व दशा में लौट जाता है या और किसी [[मार्ग]] पर चल पड़ता है. इसके कारण आवर्ती प्रक्रियाएं किसी स्थिर, [[अंतिम दशा]] में पहंच या न पहुंच सकती हैं. इसके अलावा, ऐसी दशाओं के गुणों की भविष्यवाणी, भले वह न घटे, हमेशा संभव नहीं है. संक्षिप्त में, वनस्पति समुदाय अनेक परिवर्तकों पर निर्भर होते हैं जो मिलकर भविष्य की दशाओं की संभावनाओं की सीमाएं निश्चित करते हैं.