"गुरु हरगोबिन्द": अवतरणों में अंतर

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{{सिक्खी}}
[[चित्र:Hargobind Singh.jpg|thumb|300px|left|]]
[[हरगोबिन्द सिंह]] या [[गुरू हरगोबिन्द सिंह]] [[सिख|सिखों]] के एक गुरू थे ।थे।
साहिब की सिक्ख इतिहास में गुरु अर्जुन देव जी के सुपुत्र गुरु हरगोबिन्दसाहिबकी दल-भंजन योद्धा कहकर प्रशंसा की गई है। गुरु हरगोबिन्दसाहिब की शिक्षा दीक्षा महान् विद्वान् भाई गुरदास की देख-रेख में हुई। गुरु जी को बराबर बाबा बुड्डाजी का भी आशीर्वाद प्राप्त रहा। छठे गुरु ने सिक्ख धर्म, संस्कृति एवं इसकी आचार-संहिता में अनेक ऐसे परिवर्तनों को अपनी आंखों से देखा जिनके कारण सिक्खीका महान् बूटा अपनी जडे मजबूत कर रहा था। विरासत के इस महान पौधे को गुरु हरगोबिन्दसाहिब ने अपनी दिव्य-दृष्टि से सुरक्षा प्रदान की तथा उसे फलने-फूलने का अवसर भी दिया। अपने पिता श्री गुरु अर्जुन देव की शहीदी के आदर्श को उन्होंने न केवल अपने जीवन का उद्देश्य माना, बल्कि उनके द्वारा जो महान कार्य प्रारम्भ किए गए थे, उन्हें सफलता पूर्वक सम्पूर्ण करने के लिए आजीवन अपनी प्रतिबद्धता भी दिखलाई।
 
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दल भंजन गुर सूरमा वडयोद्धा बहु-परउपकारी॥
[[सिखों के दस गुरू]] हैं ।हैं।
 
== "दाता बन्दी छोड़" ==