"धूमकेतु": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Comet-Hale-Bopp-29-03-1997 hires adj.jpg|thumb| हेल-बॉप धुमकेतू २९ मार्च १९९७ में पेजिन
'''धूमकेतू''' [[सौरमण्डल|सौरमण्डलीय]] निकाय है जो [[पत्थर]], [[घूल]], [[बर्फ]] और [[गैस]] के बने हुए छोटे-छोटे खण्ड होते है। यह [[ग्रह|ग्रहो]] के समान [[सूर्य]] की परिक्रमा करते है। छोटे पथ वाले धूमकेतू सूर्य की परिक्रमा एक अण्डाकार पथ में लगभग ६ से २०० वर्ष में पूरी करते है । कुछ धूमकेतू का पथ परबलयाकार होता है और वो मात्र एक बार ही दिखाई देते है। लम्बे पथ वाले धूमकेतू एक परिक्रमा करने में हजारों वर्ष लगाते है।
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[[चित्र:PIA02127.jpg|thumb|टेम्पल १ धुमकेतू की नाभि जिसका व्यास लगभग ६ किलोमीटर है]]
: धुमकेतू की नाभि का विस्तार १०० मीटर से लेकर ४० किलोमीटर से अधिक तक माना जाता है | यह चट्टान
: इन्हें अक्सर '' गन्दी बर्फीली गेंद '' जैसे लोकप्रिय रूप में वर्णित किया जाता है | इनकी शुष्क धूल या चट्टानी सतहों के हाल के निरीक्षणों से पता चला है कि इनकी बर्फ परत के नीचे छिपी हुई रहती है | धुमकेतू में विभिन्न प्रकार के कार्बनिक यौगिक भी होते है | गैसों का वर्णन पहले ही किया जा चुका है | इनमे मिथेनोल
: आश्चर्यजनक रूप से धुमकेतू की नाभि हमारी सौर प्रणाली में पाए जाने वाले सबसे कम परावर्तक निकाय है | गिओटटो अंतरिक्ष यान ने पाया कि हेली धुमकेतू की नाभि आपतित प्रकाश का लगभग चार प्रतिशत भाग परावर्तित करता है तथा डीप स्पेस १ ने खोज की कि बोरेली धुमकेतू की सतह आपतित प्रकाश का केवल २.४ % से ३.० % ही परावर्तित करता है | इसी तरह एस्फाल्ट सात प्रतिशत प्रकाश परावर्तित करता है |
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कम द्रव्यमान और अंडाकार कक्षा के कारण धुमकेतू कभी कभी बड़े ग्रहों की तरफ आकर्षित होते है और इससे उसकी कक्षा पर असर पड़ता है | छोटी कक्षा वाले धुमकेतूओं का एक केंद्र ( परवलय के दो केंद्र होते है ) बड़े ग्रहों की कक्षा के अन्दर स्थित होता है | यह स्पष्ट है कि ऊर्ट बादल से आने वाले धुमकेतूओं की कक्षा पर बड़े ग्रहों का असर पड़ता है | बड़ी संख्या में ऐसे धुमकेतूओं पर विशेष रूप से बृहस्पति का असर पड़ता है जिसका द्रव्यमान सौरमंडल के अन्य सभी ग्रहों के द्रव्यमान से भी ज्यादा है |
परिक्रमा कक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण कभी कभी पहले से खोजे गए धूमकेतु खो जाते है | कभी कभी ऐसा होता है कि खोजे गए नए धूमकेतु के गहन अध्ययन के बाद यह गुमशुदा धूमकेतुओं के रूप में पहचाने जाते है | 11P/ टेम्पल - स्विफ्ट - लीनियर धूमकेतु इसका उदाहरण है | सन् १८६९ में उसको सबसे पहले देखा गया
== नामकरण ==
वैज्ञानिक पद्धति के विकास के पहले धुमकेतूओं के नाम कई तरीकों से रखे जाते थे | २० वीं सदी के पहले धुमकेतूओं के नाम वर्ष के आधार पर रखे जाते थे
२० वीं सदी के शुरुआत से धुमकेतूओं के नाम उसके खोजकर्ता पर से रखे जा रहे है और यह परम्परा आज भी जारी है | इसके नाम पहले के तीन खोजकर्ताओं पर रखे जाते है | कई धुमकेतूओं की खोज यांत्रिक साधनों से होती है ऐसे धुमकेतूओं के नाम इन साधनों पर से रखे जाते है | धुमकेतू ' '''आइ.आर.ए.एस.-आराकी-आलकोक''' ' की खोज आइ.आर.ए.एस. उपग्रह तथा शौकिया अवलोकनाकर्ता जेनिची आराकी और जोर्ज आलकोक ने स्वतन्त्र रूप से की थी | कभी कभी एक ही वैज्ञानिक या दल दो से ज्यादा धुमकेतूओं की खोज करते है ऐसे धुमकेतूओं के नाम के पीछे अंक लगाया जाता है जैसे कि '''शूमेकर-लेवी १''' | मई २००५ तक SOHO ने ९५० धुमकेतूओं की खोज की है |
बड़ी संख्या में धूमकेतु की खोजों ने नामकरण की प्रक्रिया को अव्यवहारिक बना दिया | सन् १९९४ में अन्तराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने नई नामकरण प्रणाली अनुमोदित की | धूमकेतुओं के नाम अब उसे खोजे गए वर्ष द्वारा
उपसर्ग इस प्रकार है -
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* P/ एक आवर्ती धुमकेतू दर्शाता है ( परिक्रमा की अवधि २०० वर्ष से कम ) |
* C/ एक अनावर्ती धुमकेतू दर्शाता है ( पूर्ववर्ती परिभाषा के अनुसार आवर्ती नहीं है ) |
* X/ एक धुमकेतू जिसकी कक्षा की गणना विश्वसनीय नहीं है को दर्शाता है ( साधारणतया
* D/ एक आवर्ती धुमकेतू जो गायब हो गया है
* A/ एक निकाय जिसे गलती से धुमकेतू के रूप में पहचाना गया परन्तु वास्तव में वह एक क्षुद्रग्रह है |
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== इतिहास ==
पौराणिक मान्यता के अनुसार धूमकेतु का आगमन अपशकुन लाने वाला माना जाता था | कुछ लोगो ने इसे गिरते तारे की संज्ञा दी थी | अरस्तू ने अपनी प्रथम पुस्तक मिट्रियोलोजी में धूमकेतु की चर्चा की थी | पहले के कई बुद्धिजीवियों ने इसे सौरमंडल के ग्रहों के रूप में मान्यता दी थी | परन्तु अरस्तू ने इस धारणा को नकार दिया क्योंकि ग्रह आकाश में एक निश्चित नक्षत्र में दिखाई देते है जबकि धूमकेतु आसमान में कहीं भी देखे जा सकते है | अरस्तू के अनुसार धूमकेतुओं का जन्म पृथ्वी के बाहरी वातावरण में हुआ था | धूमकेतुओं की तरह उल्का
== कुछ प्रसिद्घ धूमकेतू ==
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