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'''चन्द्रयान''' [[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]] के एक अभियान व यान का नाम है। चंद्रयान चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला [[भारत]] का पहला अंतरिक्ष यान है। इस अभियान के अन्तर्गत एक मानवरहित [[यान]] को [[२२ अक्तूबर]], [[२००८]] को [[चन्द्रमा]] पर भेजा गया, और यह [[३० अगस्त]], [[२००९]]<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.co.uk/hindi/science/2009/08/090829_chandrayan_fail_skj.shtml|accessdate=३१ अगस्त, २००९|title=चंद्रयान मिशन हुआ समाप्त}}</ref> तक सक्रिय रहा। यह यान [[पीएसएलवी|पोलर सेटलाईट लांच वेहिकल]] (पी एस एल वी) के एक परिवर्तित संस्करण वाले [[राकेट]] की सहायता से [[सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र]] से प्रक्षेपित किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र 'इसरो' के चार चरणों वाले ३१६ टन वजनी और ४४.४ मीटर लंबा अंतरिक्ष यान चंद्रयान प्रथम के साथ ही ११ और उपकरण एपीएसएलवी-सी११ से प्रक्षेपित किए गए जिनमें से पाँच भारत के हैं और छह अमरीका और यूरोपीय देशों के।<ref>{{cite web|url=http://thatshindi.oneindia.in/news/bizarre/2008/10/moon-mission-vv.html|accessdate=२९ अक्टूबर, २००८|title=चाँद की ओर भारत का पहला क़दम }}</ref> इसे चन्द्रमा तक पहुँचने में ५ दिन लगेंगे पर चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लग जाएगा ।जाएगा।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.co.uk/hindi/science/story/2008/10/081022_chandrayaan_launched_vv.shtml|accessdate=२९ अक्टूबर, २००८|title=चंद्रयान भेजा जाएगा 22 अक्तूबर को}}</ref> इस परियोजना में इसरो ने पहली बार १० [[उपग्रह]] एक साथ प्रक्षेपित किए।
 
चंद्रयान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के विस्तृत नक्शे और पानी के अंश और हीलियम की तलाश करना था। चंद्रयान-प्रथम ने चंद्रमा से १०० किमी ऊपर ५२५ किग्रा का एक उपग्रह ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया। यह उपग्रह अपने [[सुदूर संवेदन|रिमोट सेंसिंग]] (दूर संवेदी) उपकरणों के जरिये चंद्रमा की ऊपरी सतह के चित्र भेजे।