"चिकनगुनिया": अवतरणों में अंतर

छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की।
छो पूर्णविराम (।) से पूर्व के खाली स्थान को हटाया।
पंक्ति 21:
'''चिकनगुनिया''' लम्बें समय तक चलने वाला जोडों का रोग है जिसमें जोडों मे भारी दर्द होता है। इस रोग का उग्र चरण तो मात्र २ से ५ दिन के लिये चलता है किंतु जोडों का दर्द महीनों या हफ्तों तक तो बना ही रहता है।<ref name="१">[http://www.globalpulse.net/archives/diseases/chikungunya_inf_1_000156.php चिकनगुनिया व दवा], बिमारी</ref>
 
चिकनगुनिया [[विषाणु]] एक [[अर्बोविषाणु]] है जिसे [[अल्फाविषाणु]] परिवार का माना जाता है ।है। यह [[मानव]] में एडिस [[मच्छर]] के काटने से प्रवेश करता है। यह [[विषाणु]] ठीक उसी लक्षण वाली बीमारी पैदा करता है जिस प्रकार की स्थिति [[डेंगू]] रोग मे होती है ।है।
 
 
== लक्षण तथा दशा ==
इस रोग को शरीर मे आने के बाद २ से ४ दिन का समय फैलने मे लगता है। रोग के लक्षणों मे ३९ डिग्री (१०२.२ फा) तक का [[ज्वर]], धड और फिर हाथों एवं पैरों पे चकते बन जाना, शरीर के विभिन्न जोडॉं मे पीडा होना शामिल है। इसके अलावा सिरदर्द, [[प्रकाश से भय]] लगना, आँखों मे पीडा भी होती है ।है। [[ज्वर]] आम तौर पर दो से ज्यादा दिन नहीं चलता तथा अचानक समाप्त होता है, लेकिन अन्य लक्षण जिनमें [[अनिद्रा]] तथा [[निर्बलता]] भी शामिल है। आम तौर पर ५ से ७ दिन तक चलतें है। रोगियों को लम्बे समय तक जोडों की पीडा हो सकती जो उनकी उम्र पर निर्भर करती है।
 
== कारण ==
पंक्ति 43:
== उपचार ==
इस रोग का कोई उपचार नहीं है,ना ही इसके विरूद्ध कोई टीका मिलता है. सिर्फ एक अनुसंधान जिसे अमेरिकी सरकार से पैसा मिला है जो चल रहा है।
चिकनगुनिया के विरूद्ध एक [[सीरोलोजिकल परीक्षण]] उपलब्ध है जिसे [[मलाया विश्वविधालय]] कुआलालापुंर मलेशिया ने विकसित किया है ।है।
[[क्लोरोक्वीन]] इस रोग के लक्षणों के विरूद्ध प्रभावी औषधि सिद्ध हो रही है इसका प्रयोग एक [[एण्टीवायरल]] एजेंट के रूप मे हो सकता है। पीडा की दशा जो [[गठिया]] के समान होती है तथा जो [[एस्परीन]] से समाप्त नही की जा सकती है को [[क्लोरोक्वीन फास्फेट]]की खुराक से सही किया जा सकता है मलाया विश्वविधालय के इस अध्ययन की पुष्टि इटली तथा [[फ्रांस]] सरकार के रिपोर्ट भी करते है.इस रोग के आंकडें बताते है कि [[एस्परीन]],[[इबूफ्रिन]]तथा[[नैप्रोक्सीन]] जैसी औषधिया असफल रहती है। रोगी यदि हल्की फुल्की कसरत करे तो उसे लाभ मिलता है। किंतु भारी कसरत से पीडा बढ जाती है [[अस्थि]] पीडा 8 मास बाद तक बनी रहती है, [[केरल]] में लोगों द्वारा [[शहद]]-[[चूना]] मिश्रण प्रयोग किया है कुछ लोगों को कम मात्रा मे हल्दी प्रयोग से भी लाभ होता देखा गया है।
 
पंक्ति 49:
इस रोग से रोगी का ठीक होना उसकी उम्र पर निर्भर करता है जवान लोग 5 से 15 दिन में,मध्य आयु वाले 1 से 2.5 मास में तथा बुजुर्ग और भी ज्यादा समय लेते है, गर्भवती महिला पे भारी दुष्प्रभाव नहीं देखें गये है।
इस रोग से नेत्र संक्रमण भी हो सकता है।
पैरों की सूजन भी देखी जाती है जिसका कारण दिल,गुर्दे तथा यकृत रोग से नहीं होता है ।है।
यह विषाणु [[अल्फाविषाणु है]] जो [[ओन्योगोंग विषाणु]] से निकटवर्ती रूप से संबंध रखता है यही विषाणु [[रोस रिवर बुखार]] तथा [[इनसेप्टाइलिस]] फैलाता है।
यह रोग सामान्य रूप से एडिस एजेपटी नामक मच्छर से फैलता है किंतु [[पास्चर संस्थान]] ने अध्ययन से बताया है कि 2005-06 मे इसने उत्परिवर्तन करके [[एडिस एल्फोपिक्टस]] जिसे टाइगर मच्छर भी कहते है के माध्यम से फैलने की क्षमता हासिल कर ली है।