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फर्स्ट इंटरमीडिएट पीरियड का एक विवरण कहता है, "संपूर्ण ऊपरी मिस्र में भूख की वजह से मौतें हो रही थीं और लोग अपने बच्चों को खा रहे थे." 1680 के दशक में अकाल का विस्तार संपूर्ण सहेल में हो गया था और 1738 में [[टिम्बकटू]] की आधी आबादी अकाल मृत्यु का शिकार हो गई थी.<ref>[http://ag.arizona.edu/~lmilich/desclim.html लेन मिलिच: एन्थ्रोपोगेनिक डेजर्टफिकेशन वर्सेज 'नेचुरल' क्लाइमेट ट्रेंड्स]</ref> [[मिस्र]] को 1687 और 1731 के बीच छः अकालों का सामना करना करना पड़ा था.<ref>{{cite book|name=Donald Quataert|title=The Ottoman Empire, 1700-1922|publisher=Cambridge University Press|year=2005|isbn=0521839106|page=115}}</ref> वह अकाल जिसने 1784 में मिस्र को विपदा में डाला उसमें इसकी लगभग छठे हिस्से की आबादी को अपनी जान गंवानी पड़ी.<ref>"[http://www.sciencedaily.com/releases/2006/11/061121232204.htm आइसलैंडिक वोल्कानो कौज्ड हिस्टोरिक इन इजिप्ट, स्टडी शॉज]". ''साइंसडेली.'' 22 नवम्बर, 2006</ref> 18वीं सदी के अंत में<ref>"''[http://books.google.com/books?id=etf7xP841skC&amp;pg=PA25&amp;dq&amp;hl=en#v=onepage&amp;q=&amp;f=false मेडिसिन एंड पावर इन ट्यूनीशिया, 1780-1900]'' ". नैन्सी एलिजाबेथ गल्लाघेर (2002). पी.25. कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी प्रेस. आईएसबीएन 0521529395</ref> और इससे भी अधिक उन्नीसवीं की शुरुआत में [[मग़रेब]] को प्लेग और अकाल के संयुक्त रूप से घातक खतरे का सामना करना पड़ा.<ref>"''[http://books.google.com/books?id=_dyeFP5Hyc4C&amp;pg=PA309&amp;dq&amp;hl=en#v=onepage&amp;q=&amp;f=false बार्बरी कॉर्सेर: दी एंड ऑफ ए लिजेंड, 1800-1820]'' ". डैनियल पंज़क (2005). पी.309. आईएसबीएन 9004125949</ref> त्रिपोली और ट्यूनिस ने क्रमशः 1784 और 1785 में अकाल का सामना किया.<ref>"''[http://books.google.com/books?id=c00jmTrjzAoC&amp;pg=PA651&amp;dq&amp;hl=en#v=onepage&amp;q=&amp;f=false एन इकॉनोमिक एंड सोशल हिस्ट्री ऑफ दी ऑटोमन एम्पायर]'' ". सुरैया फरोक्ही, हलील इनाल्किक, डोनाल्ड क्वाटेर्ट (1997). कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस. पी.651. आईएसबीएन 0521574552</ref>
 
जॉन इलिफे के अनुसार, "16वीं सदी के [[अंगोला]] के पुर्तगाली अभिलेख दर्शाते हैं कि एक औसतन हर सत्तर साल के बाद एक भीषण अकाल पड़ा है; जिसके साथ-साथ महामारी के रोग की वजह से इसकी एक तिहाई या आधी आबादी काल के गाल में समा गयी होगी जिससे एक पीढ़ी का जनसांख्यिकीय विकास नष्ट हो गया और उपनिवेशवादियों को वापस नदी घाटियों की और रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा." <ref>जॉन लीफ (2007) [http://books.google.com/books?id=bNGN2URP_rUC&amp;pg=&amp;dq&amp;hl=en#v=onepage&amp;q=&amp;f=false ''अफ्रीकन्स: दी हिस्ट्री ऑफ ए कॉनटिनेंट'' ]. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस. पी.68. आईएसबीएन 0521682975</ref>
 
अफ्रीकी अकाल के इतिहासकारों ने [[इथियोपिया]] में बार-बार हुए अकाल को प्रलेखित किया है. संभवतः सबसे बुरी स्थितियां 1888 और उसके बाद के वर्षों में उत्पन्न हुई थीं क्योंकि [[इरीट्रिया|इरिट्रिया]] में संक्रमित पशुओं द्वारा फैलाया गया एपिज़ोओटिक रिंडरपेस्ट दक्षिण दिशा की ओर फ़ैलाने लगा और अंततः दूर [[दक्षिण अफ़्रीका|दक्षिण अफ्रीका]] तक पहुंच गया. इथियोपिया में यह अनुमान लगाया गया था कि देश के पशुओं के झुंड में अधिक से अधिक 90 प्रतिशत की मौत हो गई थी जिससे समृद्ध किसान और चरवाहे रातोंरात बेसहारा हो गए थे. इसके अलावा सूखे के साथ-साथ अल नीनो दोलन, [[चेचक]] की मानवीय महामारी और कई देशों में जबरदस्त [[संग्राम|युद्ध]] की घटनाएं एक साथ घटित हुईं. इथियोपिया का भीषण अकाल जिसने 1888 से 1,892 तक इथियोपिया को सताया था इसमें मोटे तौर पर इसे
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