"ज्यां-पाल सार्त्र": अवतरणों में अंतर
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ज्यां-पाल सार्त्र [[अस्तित्ववाद]] के पहले विचारकों में से माने जाते
अपनी पुस्तक "ल नौसी" में सार्त्र एक ऐसे अध्यापक की कथा सुनाते हैं जिसे ये इलहाम होता है कि उसका पर्यावरण जिससे उसे इतना लगाव है वो बस किञचित् निर्जीव और तत्वहीन वस्तुइएँ से निर्मित है। किन्तु उन निर्जीव वस्तुओं से ही उसकी तमाम भावनाएँ जन्म ले चुकी थीं।
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