"यूक्रेन-संकट": अवतरणों में अंतर

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==यूरोपीय या अमेरीकी पक्ष के कारण==
यूक्रेन को अमेरिकी प्रभुत्व वाले पश्चिमी खेमे [[नाटो]] में शामिल कर रूस को सैन्य रूप से घेरना।<ref>[http://www.dw.de/रूस-और-नाटो-में-तनातनी/a-17894826 रूस-और-नाटो-में-तनातनी] </ref> <refef name=autogenerated2 /><ref>[http://www.thenewamerican.com/world-news/europe/item/17843-george-soros-s-giant-globalist-footprint-in-ukraine-s-turmoil?no_redirect=true George Soros’ Giant Globalist Footprint in Ukraine’s Turmoil<!-- Bot generated title -->]</ref> इसके अलवा [[अमेरिका ]]के भूतपर्व[[ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार]] [[ज़्बिग्नियेव ब्रेज़िन्स्की ]] अपनी पुस्तक ‘द ग्रैंड चेस बोर्ड' में वर्षों पहले कहा हैं कि[[ अमेरिका ]] क्यों यूक्रेन का साथ देगा ‘यूक्रेन के बिना [[रूस]] मिल-मिलाकर बस एक एशियाई साम्राज्यवादी देश रह जायेगा.’ मध्य एशियाई देशों के झगड़ों में घसीटे जाने का खतरा तब उस पर मंडराया करेगा. लेकिन, यदि यूक्रेन को वह अपने नियंत्रण में रख पाता है, तो वह एक ‘शक्तिशाली साम्रज्यवादी सत्ता’ कहलाएगा. ब्रेज़िन्स्की का यह कथन [[अमेरिका ]] की [[विदेशनीति ]] का आज भी आधारभूत सिद्धांत है. यानी, [[रूस ]] को कमजोर करना है, तो यूक्रेन को उससे अलग करना होगा।<ref name="tehelkahindi2" /><ref name=autogenerated1 />
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