"तड़ित": अवतरणों में अंतर

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यह स्पष्ट है कि वायु से होकर बादलों और पृथ्वी के बीच विद्युद्विसर्जन वहीं अधिक संभाव्य होगा जहाँ विद्युत्‌ को वायु का प्रतिरोध कम से कम पार करना पड़ेगा। इसलिये ऊँची मीनारों, ऊँचे भवनों, एकाकी वृक्ष (चाहे मैदान में हो या पहाड़ी पर) तथा पताकादंड इत्यादि पर तड़ितपात अधिकतर होता है इसका एक कारण यह भी है कि कोई वस्तु बादल से जितनी ही अध्कि निकट होगी, उसपर उतना ही अधिक प्ररित आवेश उत्पन्न होगा। इसके अतिरिक्त सपाट मैदान की अपेक्षा मीनारों, वृक्षों की चोटियों आदि के नुकीले होने के कारण उन पर विद्युत आवेश अधिक मात्रा में एकत्र होता है।
 
तड़िताघातजनित विद्युद्धारा एकदिश होती है। आघात के लगभाग पाँच माइक्रोसेकंड की अवधि में ही इसका मान घातीय (exponential) क्रम से बढ़ता हुआ अधिकतम हो जाता है और लगभग २५ माइक्रोसेकंड के अंदर घटकर आधा मात्र रह जाता है ।है। यह प्रबल धारा प्राय: १०० माइक्रोसेकंड तक रहती है। इसके पश्चात्‌ क्रमश: घटती हुई कुछ सहस्त्र एंपियर तक पहुँच जाती है और कुछ सहस्राशं सेकंड (मिलिसेकंड) तक ऐसी ही बनी रहती है। यदि तड़िताघात की पुनरावृति नहीं हुई तो कम होते होते यह धारा निशेष हो जाती है।
 
== तड़ित के प्रकार ==
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