"महात्मा रामचन्द्र वीर": अवतरणों में अंतर

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== हिंदी साहित्य में योगदान ==
महात्मा वीर एक यशस्वी लेखक, कवि तथा ओजस्वी वक्ता थे. इन्होंने देश तथा धर्मके लिए बलिदान देने वाले हिन्दू हुतात्माओं का इतिहास लिखा. हमारी गोमाता, [[श्री रामकथामृत]] (महाकाव्य), हमारा स्वास्थ्य , वज्रांग वंदना समेत दर्जनों पुस्तके लिख कर साहित्य सेवा में योगदान दिया और लेखनी के माध्यम से जनजागरण किया. ‘श्री रामकथामृत’ हिन्दी साहित्य को वीरजी की अदभुत देन है।
 
रामचंद्र वीर ने गद्य और पद्य दोनों में बहुत अच्छा लिखा, उनकी अमर कृति [[‘विजय पताका’]] तो मुर्दों में जान फूंक देने में सक्षम है। [[अटल बिहारी वाजपेयी]] ने अपने बाल्यकाल में इसी पुस्तक को पढकर अपना जीवन देश सेवा हेतु समर्पित किया। इसमें लेखक ने पिछले एक हजार वर्ष के भारत के इतिहास को पराजय और गुलामी के इतिहास के बजाय संघर्ष और विजय का इतिहास निरूपित किया है। अपनी अधूरी आत्मकथा "'''विकट यात्रा'''" को महात्मा वीर जी ने संक्षेप में 650 पृष्ठों में समेटा है। वह भी केवल 1953 तक की कथा है। उनके पूरे जीवन वृत्तांत के लिये तो कोई महाग्रन्थ चाहिये।
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वीर जी महाराज ने देश की स्वाधीनता, मूक प्राणियों व गोमाता की रक्षा व हिन्दू हितों के लिए २८ बार जेल यातनाएं सहन कीं |
वीर जी [[स्वामी श्रद्धानन्द]], [[मदन मोहन मालवीय|पंडित मदन मोहन मालवीय| मदनमोहन मालवीय]], [[विनायक दामोदर सावरकर|वीर सावरकर]], [[भाई परमानन्द]] जी, [[केशव बलिराम हेडगवार]] जी के प्रति श्रद्धा भाव रखते थे। संघ के द्वितीय सरसंघचालक [[माधव सदाशिव गोलवालकर]] उपाख्य श्री गुरुजी, भाई [[हनुमान प्रसाद पोद्दार]], [[लाला हरदेव सहाय]], [[संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी]], [[स्वामी करपात्री]] जैसे लोग वीर जी के त्यागमय , तपस्यामय, गाय और हिन्दुओं की रक्षा के लिए किये गए संघर्ष के कारण उनके प्रति आदर भाव रखते थे।
 
== महाप्रयाण ==