छो कोष्टक से पहले खाली स्थान छोड़ा।
छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की।
पंक्ति 58:
१.आवरण
२. विक्षेप
आवरण का अर्थ है पर्दा , जो दृष्टि में अवरोधक बन जाय. जिसके कारण वास्तविकता नहीं दिखायी दे. जैसे बादल का एक टुकड़ा पृथ्वी से कई गुने बड़े सूर्य को ढक लेता है उसी प्रकार माया की आवरण शक्ति सीमित होते हुए भी परम आत्मा के ज्ञान हेतु अवरोधक बन जाती है. परमात्म को जानने वाली बुद्धि है, अज्ञान का आवरण बुद्धि और आत्मतत्त्व के बीच आ जाता है.
विक्षेप शक्ति - माया की यह शक्ति भ्रम पैदा करती है. यह विज्ञानमय कोश में स्थित रहती है. आत्मा की अति निकटता के कारण यह अति प्रकाशमय है. इससे ही संसार के सरे व्यवहार होते हैं. जीवन की सभी अवस्थाएं, संवेदनाएं इसी विज्ञानमय कोश अथवा विक्षेप शक्ति के कारण हैं.यह चैतन्य की प्रतिविम्बित शक्ति चेतना है. यह विक्षेप शक्ति सूक्ष्म शरीर से लेकर ब्रह्मांड तक संसार की रचना करती है.
सन्दर्भ - सरल वेदांत -बसंत प्रभात जोशी
"https://hi.wikipedia.org/wiki/माया" से प्राप्त