"त्रैराशिक नियम": अवतरणों में अंतर

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इसमें तीन राशियों का समावेश रहता है। अत: इसे त्रैराशिक कहते हैं। जैसे यदि प्र (प्रमाण) में फ (फल) मिलता है तो इ (इच्छा) में क्या मिलेगा?
 
त्रैराशिक प्रश्नों में फल राशि को इच्छा राशि से गुणा करना चाहिए और प्राप्त गुणनफल को प्रमाण राशि से भाग देना चाहिए। इस प्रकार भाग करने से जो परिणाम मिलेगा वही इच्छा फल है। उदाहरण के लिए उपरोक्त प्रशन में ५१ प्रमाण है; ३ किलो फल है। इच्छा राशि ८५ रूपए है। अतः इसका उत्तर है : ''' (८५ x ३) / ५१ = ५ ''' किलो ।किलो।
 
[[भारत]] से अरब देशों में यह नियम आठवीं शताब्दी में पहुंचा। अरबी गणितज्ञों ने त्रैराशिक को ‘फी राशिकात अल्‌-हिन्द‘ नाम दिया। बाद में यह यूरोप में फैला जहां इसे 'गोल्डन रूल' की उपाधि दी गई।