वर्तमान समय में '''दिनार''' विश्व के अनेक देशों की [[मुद्रा|मुद्राओं]] का नाम है।
[[मुसलमान|मुसमालनों]] के आने के बहुत पहले से [[भारतवर्ष]] में दीनार चलता था। दीनार नामक सिक्के का प्रचार किसी समय [[एशिया]] और [[यूरोप]] के बहुत से भागों में था ।था। यह कहीं सोने का, कहीं चाँदी का होता था। हिंदुस्तान की तरह [[अरब]] और [[फारस]] में भी प्राचीन काल में दीनार नाम का सिक्का प्रचलित था ।था। अरबी फालकी के कोशकारों ने दीनार शब्द को अरबी लिखा है, पर फारस में दीनार का प्रचार बहुत प्राचीन काल में था ।था। इसके अतिरिक्त रोमन (रोमक) लोगों में भी यह सिक्का [[दिनारियस]] के नाम से प्रचलित था ।था। धात्वर्थ पर ध्यान देने से भी दीनार शब्द आर्यभाषा ही का प्रतीत होता है ।है। अब प्रश्न यह होता है कि यह सिक्का भारत से [[फारस]], [[अरब]] होते हुए [[रोम]] में गया अथवा रोम से इधर आया ।आया। यदि हरिवंश आदि [[संस्कृत]] ग्रंथों की अधिक प्राचीनता स्वीकार की जाय तो दीनार को भारत का मानना पडे़गा ।पडे़गा।
== भारतीय सन्दर्भ में 'दिनार' ==
'हरिवंश' और 'महावीरचरित्' में दीनार का स्पष्ट उल्लेख है ।है। [[साँची]] में बौद्ध स्तूप का जो बड़ा खंडहर है उसके पूर्वद्वार पर सम्राट् चंद्रगुप्त का एक लेख है ।है। उस लेख में 'दीनार' शब्द आया है ।है। [[अमरकोश]] में भी दीनार शब्द मौजूद है और निष्क के बरबर अर्थात् दो तोले का माना गया है ।है। [[रघुनंदन]] के मत से दीनार ३२ रत्ती [[सोना|सोने]] का होता था ।था। [[अकबर]] के समय में जो दीनार नाम का सोने का सिक्का जारी था उसका मान एक मिसकाल अर्थात् आधे तोले के अंदाज था।