"रणथम्भोर दुर्ग": अवतरणों में अंतर

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==परिचय==
किले से संबंधित प्रमुख ऐतिहासिक स्थानों में नौलखा दरवाजा, हाथीपोल, गणेशपोल, सुरजपोल और त्रिपोलिया प्रमुख प्रवेश द्वार है। त्रिपोलिया अंधेरी दरवाजा भी कहलाता है। इसके पास से एक सुरंग महलों तक गई है। किले तक पहुँचने के लिए कई उतार-चढाव , संकरे व फिसलन वाले रास्ते तय करने के साथ नौलखा, हाथीपोल, गणेशपोल और त्रिपोलिया द्वार पार करना पड़ता है। इस किले में हम्मीर महल, सुपारी महल, हम्मीर कचहरी, बादल महल, जबरा-भंवरा, ३२ खम्बों की छतरी, रनिहाड़ तालाब, महादेव की छतरी, गणेश मंदिर, चामुंडा मंदिर, ब्रह्मा मंदिर, शिव मंदिर, जैन मंदिर, पीर सहरुद्दीन की दरगाह, सामंतो की हवेलियाँ तत्कालीन स्थापत्य कला के अनूठे प्रतीक है। [[राणा सांगा]] की रानी कर्मवती द्वारा शुरू की गई अधूरी छतरी भी दर्शनीय है। दुर्ग का मुख्य आकर्षण हम्मीर महल है जो देश के सबसे प्राचीन राजप्रसादों में से एक है स्थापत्य के नाम पर यह दुर्ग भी भग्न-समृधि की भग्न-स्थली है।
 
=== निर्माण काल ===
इस किले का निर्माण कब हुआ कहा नहीं जा सकता लेकिन ज्यादातर इतिहासकार इस दुर्ग का निर्माण चौहान राजा रणथंबन देव द्वारा ९४४ में निर्मित मानते है , इस किले का अधिकांश निर्माण कार्य चौहान राजाओं के शासन काल में ही हुआ है। दिल्ली के सम्राट [[पृथ्वीराज चौहान]] के समय भी यह किला मौजूद था और चौहानों के ही नियंत्रण में था।
 
=== शासक ===