"अपराजिता": अवतरणों में अंतर
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[[बंगाल]] या पानी वाले इलाकों में अपराजिता एक बेल की शक्ल में पायी जाती है। इसका पत्ता आगे से चौडा और पीछे से सिकुडा रहता है। इसके अन्दर आने वाले स्त्री की [[योनि]] की तरह से होते है इसलिये इसे ’भगपुष्पी’ और ’योनिपुष्पी’ का नाम दिया गया है। इसका उपयोग [[काली]] [[पूजा]] और नवदुर्गा पूजा में विशेषरूप में किया जाता है। जहां काली का स्थान बनाया जाता है वहां पर इसकी बेल को जरूर लगाया जाता है। गर्मी के कुछ समय के अलावा हर समय इसकी बेल फूलों से सुसज्जित रहती है।
== बाह्य सूत्र ==
*[http://ayurvedamkuk.weebly.com/23092346235223662332236723402366.html अपराजिता]
*[http://hindiarticlesonmartialart.blogspot.in/2013/03/blog-post.html पराजिता से उपचार] (स्वदेशी भारत)
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