"द्रव्यगुण विज्ञान": अवतरणों में अंतर

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'''द्रव्यगुण''' [[आयुर्वेद]] का मूल विषय है। इसके अन्तर्गत औषधीय पादपों - उनकी पहचान, गुण तथा उपचारात्मक उपयोगों का अध्ययन किया जाता है। इसे आयुर्वेद का 'मैटेरिया मेडिका' कह सकते हैं। इस विज्ञान में [[भेषजगुण विज्ञान]] (फर्माकोलॉजी), [[भेषज-अभिज्ञान]] (pharmacognosy) तथा पादपों के चिकित्सीय उपयोग शामिल है। इसकी आठ शाखाएं हैं।
 
'द्रव्यगुण' दो शब्दों से मिलकर बना है - 'द्रव्य' (matter) तथा 'गुण' (properties) । द्रव्य के अन्तर्गत जीवित और निर्जीव दोनो वस्तुएँ आ जाती हैं।
 
[[चरक]] का कहना है कि कुछ भी ऐसा नहीं है जो 'औषधि' न हो। आयुर्वेद का मत है कि किसी औषधि का प्रभाव उसके किसी एक घटक के अकेले के प्रभाव से प्रायः भिन्न होता है। औषधियों के कार्य और प्रभाव को जानने के लिये उनके रस (taste), गुण (properties), वीर्य (biological properties) और विपाक (attributes of drug assimilation) का ज्ञान अति आवश्यक है।