"अबू बक्र": अवतरणों में अंतर
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'''अबू बक्र''' (५७३-६३४) पैगंबर [[मुहम्मद]] के ससुर और उनके प्रमुख साथियों में से थे। वह मुहम्मद साहिब के बाद मुसल्मानों के पहले [[खलीफा]] चुने गये। [[सुन्नी मुसलमान]] इनको चार प्रमुख पवित्र खलीफाओं में अग्रणी मानतें हैं। ये पैगंबर मुहम्मद के प्रारंभिक अनुयायियों में से थे और इनकी पुत्री [[आयशा]] पैगंबर की चहेती पत्नी थी।
== परिचय ==
अबू बक्र उस्मान के पुत्र थे। इनके उपनाम 'सिक' और 'अतीक' भी थे। उन्होंने ४०,००० दिरहम की पूँजी से व्यापार आरंभ किया था जो उस समय घटकर ५००० दिरहम रह गई थी जब उन्होंने पैगंबर के साथ [[मदीना]] को प्रस्थान किया। पैगंबर की मृत्यु (जून, ८, ६३२ ई.) के पश्चात् मदीना के आदिवासियों ने एक सभा में लंबे विवाद के पश्चात् अबू बक्र को पैगंबर का खलीफा (उत्तराधिकारी) स्वीकार किया।
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शासनव्यवस्था में अबू बक्र ने पैगंबर द्वारा प्रतिपादित गरीबी और आसानी के सिद्धांतो का अनुकरण किया। उनका कोई सचिवालय और नाजकीय कोष नहीं था। कर प्राप्त होते ही व्यय कर दिया जाता था। वह ५,००० दिरहम सालाना स्वयं लिया करते थे, किंतु अपनी मृत्यु से पूर्व उन्होंने इस धन को भी अपनी निजी संपत्ति बेचकर वापस कर दिया।
== सन्दर्भ ग्रंथ ==
* म्योर: कैलिफेट;
* इब्ने अहसीर (हैदराबाद में मुद्रित)
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