"लुईस माउंटबेटन": अवतरणों में अंतर
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'''लुइस फ्रांसिस एल्बर्ट विक्टर निकोलस जॉर्ज माउंटबेटन, बर्मा के पहले अर्ल माउंटबेटन'''
== वंशानुक्रम ==
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भारत की स्वतंत्रता में अपनी स्वयं की भूमिका के आत्म-प्रचार—विशेषकर अपने दामाद लॉर्ड ब्रेबोर्न और डोमिनिक लापियर व लैरी कॉलिंस की अपेक्षाकृत सनसनीखेज पुस्तक ''फ्रीडम एट मिडनाइट'' में (जिसके मुख्य सूचनाकार वे स्वयं थे)—के बावजूद उनका रिकार्ड बहुत मिश्रित समझा जाता है. एक मुख्य मत यह है कि उन्होंने आजादी की प्रक्रिया में अनुचित और अविवेकपूर्ण जल्दबाजी कराई और ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि उन्हें यह अनुमान हो गया था कि इसमें व्यापक अव्यवस्था और जनहानि होगी और वे नहीं चाहते थे कि यह सब अंग्रेजों के सामने हो और इस प्रकार वे वास्तव में उसके, विशेषकर पंजाब और [[बंगाल]] में घटित होने का कारण बन गए.<ref>देखें, उदा., वोल्पार्ट, स्टेनली (2006). ''शेमफुल फ्लाइट: द लास्ट ईयर्स ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर इन इंडिया.'' </ref> इन आलोचकों का दावा है कि आजादी की दौड़ में और उसके बाद घटनाएं जिस रूप में उत्तरोत्तर बढ़ीं, उसकी जिम्मेदारी से माउंटबेटन बच नहीं सकते.
1950 के दशक में भारत सरकारों के सलाहकार रहे कनाडियन-अमेरिकी हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री जॉन केनेथ गालब्रेथ, जो नेहरू के आत्मीय बन गए थे और जिन्होंने 1961-63 में अमेरिकी राजदूत के रूप में कार्य किया, इस संबंध में माउंटबेटन के विशेष रूप से कड़े आलोचक थे. पंजाब-विभाजन की भयंकर दुर्घटनाओं का सनसनीखेज विवरण कॉलिंस और लापियर की पुस्तक ''फ्रीडम एट मिडनाइट''
=== भारत और पाकिस्तान के बाद करियर ===
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"उनका घमंड बच्चों की तरह लेकिन शरारती और महत्वाकांक्षा बेलगाम थी. उनके हाथों से सत्य का स्वरूप बड़ी आसानी से इस तरह बदल जाता था जैसा न वह पहले था और न ही हो सकेगा. अपनी उपलब्धियों को और उन्नत बनाने के लिए अपनी स्वाभाविक उदासीनता के साथ उन्होंने इतिहास को पुन: लिखने की अनुमति मांगी. एक वक्त था जब मैं काफी गुस्से में था और मुझे महसूस हुआ कि उसकी प्रवृत्ति मुझे धोखा देने की है, तब मुझे लगा कि अपनी डेस्क पर यह संदेश लिखना जरूरी है, जिसमें कहा गया है: “सबकुछ होने के बावजूद वह एक महान व्यक्ति था."<ref> ज़िग्लर, 1985, फिलिप ''माउंटबेटन'' न्यूयॉर्क. 17 पीपी</ref></blockquote>
पहले समुद्री रक्षक के रूप में काम करते हुए उसकी प्राथमिकता यह देखना थी कि अगर ब्रिटेन पर परमाणु हमला हो तो उससे निपटने के लिए उसकी शाही नौसेना के पास रणनीति होगी तथा उन्हें अपना नौवाहन रास्ता खुला रखना चाहिए या नहीं. आज यह समस्या भले ही अधिक महत्वपूर्ण न हो लेकिन उस समय कुछ लोग परमाणु हथियारों के जरिए तबाही मचाने में लगे हुए थे और इसके भयंकर परिणाम सामने आए थे. नौसैना अधिकारी परमाणु विस्फोटों में इस्तेमाल होने वाले भौतिक विज्ञान से अनभिज्ञ थे. इससे स्पष्ट था कि माउंटबेटन इस बात से पूरी तरह आश्ववस्त था कि बिकनी एटोल परीक्षण की विखंडन प्रतिक्रियाओं का प्रभाव न तो समुद्र पर पड़ेगा और न ही इस ग्रह पर विस्फोट होगा.<ref>ज़कर्मैन, 363.</ref> जैसे ही माउंटबेटन इस नए प्रकार के हथियार का जानकार हो गया, उसने युद्ध में इसके इस्तेएमाल का विरोध करना शुरू किया, दूसरी तरफ उसे समुद्री क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा की ताकत का एहसास हो चुका था, खासकर पनडुब्बियों के संबंध में. माउंटबेटन ने अपने आलेख में स्पष्ट रूप से युद्ध में परमाणु हथियारों के संबंध में अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं "परमाणु हथियारों की दौड़ में एक सैन्य अधिकारी का सर्वेक्षण" जो इनकी मृत्यु के कुछ दिनों बाद ''अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा'' में शीत ऋतु में 1979–80 में प्रकाशित हुआ था.<ref>माउंटबेटन, लुईस," ए मिलिट्री कमांडर सर्वेज द न्यूक्लियर आर्म्स रेस," ''इंटरनेशन सिक्युरटी''
माउंटबेटन 1969 से 1974 तक [[आइल ऑफ़ वाइट|आइल ऑफ वाइट]] के गर्वनर मनोनीत रहे फिर 1974 में [[आइल ऑफ़ वाइट|आइल ऑफ वाइट]] के पहले लॉर्ड लेफ्टिनेंट बने. अपनी मृत्यु तक वो इसी पद पर रहे.
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कुछ मायनों में, शुरुआत से यह जोड़ा असंगत प्रतीत होता था. लॉर्ड माउंटबेटन व्यवस्थित रहने के अपने जुनून के कारण एदविना पर हमेशा कद्ा नज़र रखते थे और उनका निरंतर ध्यान चाहते थे. कोई शौक या जुनून न होने के कारण शाही जीवनशैली अपनाने के लिए, एड्विना अपना खली समय ब्रिटिश और भारतीय कुलीन वर्ग के साथ पार्टियों में, समुद्री यात्रा करके और सप्ताहांतो में अपने कंट्री हाउस में बिताती थी. दोनों ओर से बढ़ती अप्रसन्नता के बावजूद, लुईस से तलाक देने से इंकार कर दिया क्योंकि उसे लगता था कि इससे वह सैन्य कमान श्रृंखला में आगे नहीं बढ़ पाएगा. एड्विना के कई बाहरी संबधों ने लुईस को योला लेतेलियर नामक फ्रेंच महिला से संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया. {{Citation needed|date=August 2010}} इसके बाद उनकी शादी लगातार आरोपों और संदेह से विघटित होती रही. 1930 के दशक के दौरान दोनों बाहरी संबंध रखने के पक्ष में थे. द्वितीय विश्व युद्ध ने एड्विना को 'लुईस की बेवफाई के अलावा कुछ अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर दिया. वे प्रशासक के रूप में सेंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड में शामिल हो गईं. इस भूमिका ने एड्विना को विभाजन अवधि के दौरान पंजाब के लोगों के दुख और दर्द को कम करने का उनके प्रयासों के कारण नायिका{{Who|date=August 2010}} के रूप में स्थापित कर दिया.{{Citation needed|date=August 2010}}
यह प्रलेखित है कि भारत की स्वतंत्रता के बाद भारत की पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ उनके अंतरंग संबंध थे. गर्मियों के दौरान, वह अक्सर प्रधानमंत्री निवास आया जाया करती थीं ताकि दिल्ली में गर्मियों के दौरान उनके बरामदे का आन6द ले सके. दोनों के बीच निजी पत्राचार संतोषजनक, लेकिन निराशात्मक रहा. एड्विना ने एक पत्र में कहा है कि " हमने जो भी किया है या महसूस किया है, उसका प्रभाव तुम पर या तुम्हारे कार्य अथवा मैं या मेरे कार्य पर नहीं पड़ना चाहिए -- क्योंकि यह सबकुछ खराब कर देगा. "<ref> बेली, कैथरीन, "इंडियाज़ लास्ट वॉइसराय," ''ब्रिटिश हेरिटेज''
1979 में उनकी हत्या किए जाने तक, माउंटबेटन अपनी कजिन रूस की ग्रैंड डचेच मारिया निकोलावेना अपने बिस्तर के पास रखते थे, ऐसा माना जाता है कि कभी वे उनके दीवाने हुआ करते थे.<ref>किंग एंड विल्सन (2003), पी. 49</ref>
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== अंतिम संस्कार ==
[[चित्र:Mountbatten's grave at Romsey Abbey.JPG|thumb|रोम्से एब्बे में माउंटबेटन का कब्र]]
आयरलैंड के राष्ट्रपति
माउंटबेटन को वेस्टमिंस्टर एब्बे मे6 टीवे पर प्रसारित अंतिम संस्कार, जो कि पूर्ण रूप से योजनाबद्ध थी, के बाद रोम्से एब्बे में दफनाया गया था.<ref>{{Cite journal| last = Hugo| first = Vickers| title = The Man Who Was Never Wrong| journal = Royalty Monthly| page = 42|date=November 1989| postscript = <!--None-->}}</ref>
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* 1956-1965: एडमिरल ऑफ द फ़्लीट ''द राइट ऑनरेबल'' द अर्ल माउंटबेटन ऑफ बर्मा, KG, GCB, GCSI, GCIE, GCVO, DSO, PC
* 1965-1966: एडमिरल ऑफ द फ़्लीट ''द राइट ऑनरेबल'' द अर्ल माउंटबेटन ऑफ बर्मा, KG, GCB, OM, GCSI, GCIE, GCVO, DSO, PC
* 1966-1979:, एडमिरल ऑफ द फ़्लीट ''द राइट ऑनरेबल'' द अर्ल माउंटबेटन ऑफ बर्मा, KG, GCB
== रैंक पदोन्नति ==
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* स्मिथ, एड्रियन. ''माउंटबेटन: अपरेंटिस वार'' (आईबी टोरिश, 2010) 384 पृष्ठ, 1943 की जीवनी.
* एंड्रयू रॉबर्ट्स ''एमिनेंट चर्चिलियंस,'' (फीनिक्स प्रेस, 1994).
* डोमोनिक लैपियर और लैरी कॉलिंस ''फ़्रीडम एट मिडनाइट''
* रॉबर्ट लैसीy ''रॉयल'' (2002)
* ए. एन. विल्सन'' आफ्टर द विक्टोरिया: 1901-1953''
* जॉन लैटिमर ''बर्मा: द फोरगोटन वार, '' (जॉन मूर्रे, 2004)
* मोंटगोमरी-मैसिंगबर्ड, ह्यूग (संपादक), '''' बुर्केस गाइड टू द फैमिली, बुर्केस पीरेज़, लंदन, 1973, ISBN 0-220-66222-3
* टोनी हैथकोट ''द ब्रिटिश एडमिरल्स ऑफ द फ्लीट 1734-1995''
* ''क्लीयर ब्लू स्काई से टिमोथी नैचबुल: सर्वाइविंग़ द माउंटबेटन बॉम्ब''
== बाह्य कड़ियां ==
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