"वाक्यपदीय": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की। |
||
पंक्ति 1:
{{स्रोतहीन|date=दिसम्बर 2011}}
'''वाक्यपदीय''', [[संस्कृत]] [[व्याकरण]] का एक प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसे '''त्रिकाण्डी''' भी कहते हैं। वाक्यपदीय
इसका प्रथम काण्ड '''ब्रह्मकाण्ड''' है जिसमें '''शब्द''' की प्रकृति की व्याख्या की गयी है। इसमें शब्द को '''ब्रह्म''' माना गया है और ब्रह्म की प्राप्ति के लिये शब्द को प्रमुख साधन बताया गया है।
पंक्ति 6:
दूसरे काण्ड में '''वाक्य''' के विषय में भर्तृहरि ने विभिन्न मत रखे हैं।
तीसरे काण्ड में अन्य दार्शनिक रीतियों के विषयों
== प्रथम काण्ड (ब्रह्मकाण्ड) ==
|