"संरचनावाद": अवतरणों में अंतर

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'''संरचनावाद''' मानव विज्ञान की एक ऐसी पद्धति है जो संकेत विज्ञान (यानी संकेतों की एक प्रणाली)और सहजता से परस्पर संबद्ध भागों की एक पद्धति के अनुसार तथ्यों का विश्लेषण करने का प्रयास करती है। स्वीडन के प्रसिद्ध भाषाविद फर्डिनेंड डी सौसर (1857-1913)[[FARDINAND DE SAUSSURE]] इसके प्रवर्तक माने जाते हैं,जिन्हें हिन्दी में '''सस्यूर ''' नाम से जाना जाता है । तर्क के संरचनावादी तरीके को विभिन्न क्षेत्रों जैसे, नृविज्ञान, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, साहित्यिक आलोचना और यहां तक कि वास्तुकला में भी लागू किया गया है. इसने एक विधि के रूप में नहीं बल्कि एक बौद्धिक आंदोलन के रूप में संरचनावाद की भोर में प्रवेश किया, जो 1960 के दशक में फ्रांस में अस्तित्ववाद की जगह लेने आया था.<ref name="Sturrock" />
 
1970 के दशक में, यह आलोचकों के आन्तरिक गुस्से का शिकार हुआ, जिन्होंने इस पर बहुत ही अनमनीय तथा अनैतिहासिक होने का आरोप लगाया. हालांकि, संरचनावाद के कई समर्थकों, जैसे कि जैक्स लेकन ने महाद्वीपीय मान्यताओं और इसके आलोचकों की मूल धारणाओं पर ज़ोर देकर प्रभाव डालना शुरू किया कि उत्तर-संरचनावाद संरचनावाद की निरंतरता है.<ref name="Sturrock">जॉन स्टुरॉक, ''स्ट्रक्चरालिज़म एण्ड सिंस'' , परिचय.</ref>
 
एलीज़न एसिस्टर के अनुसार, संरचनावाद से संबंधित चार आम विचार एक 'बौद्धिक प्रवृत्ति' की रचना करते हैं. सबसे पहले, संरचना वह है, जो पूर्णता के प्रत्येक तत्व की स्थिति को निर्धारित करता है. दूसरा, संरचनावादियों का मानना है कि हर प्रणाली की एक संरचना होती है. तीसरा, संरचनावादी 'संरचनात्मक' नियमों में ज्यादा रूचि लेते हैं जो बदलाव की जगह सह-अस्तित्व से संबंधित होते हैं. और आखिर में संरचनाएं वे 'असली वस्तुएं' है जो अर्थ के धरातल या सतह के नीचे विद्यमान रहती हैं.<ref>अस्सिटर, ए 1984, 'ऑल्टहज़र और संरचनावाद,' द ब्रिटिश जर्नल ऑफ सोशियोलॉजी, खंड. 35, नं. 2, ब्लैकवेल प्रकाशन, पीपी.272-296.</ref>
 
''संरचनावाद'' शब्द को अक्सर एक विशिष्ट प्रकार के मानववादी संरचनावादी विश्लेषण के सन्दर्भ में इस्तेमाल किया जाता है जहां तथ्यों को संकेतों के विज्ञान (यानी संकेतों की एक प्रणाली) से उल्लेखित किया जाता है. महाद्वीपीय दर्शन में इस शब्द का आम तौर पर इसी तरह प्रयोग किया जाता है. हालांकि, इस शब्द का प्रयोग संरचनात्मक दृष्टिकोण के विविध संदर्भ जैसे कि [[सामाजिक नेटवर्क|सामाजिक नेटवर्क विश्लेषण]] और वर्ग विश्लेषणमें भी किया जाता है.<ref name="Mayhew">मेह्यु, ब्रूस. 1979. "संरचनावाद बनाम व्यक्तिवाद: भाग 1, अंधेरे में शैडोबौक्सिंग." ''सोशियल फोर्सेस'' , 59:3 (मार्च 1981).</ref> इस अर्थ में संरचनावाद ''संरचनात्मक विश्लेषण'' या ''संरचनात्मक समाजशास्त्र'' का पर्याय बन गया है, जिनमें से बाद वाले को इस प्रकार परिभाषित किया गया है "एक ऐसी पहल जिसमें सामाजिक संरचना, अवरोध और अवसरों को अधिक स्पष्ट तौर पर देखा जाये
यह सांस्कृतिक मानदंडों या अन्य व्यक्तिपरक चीज़ों की तुलना में मानव व्यवहार पर अधिक प्रभाव डालता है."<ref name="Mizruchi">मिज्रूची, मार्क. 1994. "सामाजिक नेटवर्क विश्लेषण: हाल की उपलब्धियां और वर्तमान विवाद". ''एक्टा सोशियोलॉजिका'' (1994)37:329</ref>
 
== इतिहास ==
20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में संरचनावाद को शिक्षा में शामिल किया गया और भाषा, संस्कृति तथा समाज के विश्लेषण से संबंधित शिक्षा के क्षेत्रों में यह सबसे अधिक लोकप्रिय तरीकों में से एक बन गया. फर्डिनेन्ड डी सौसर के भाषा शास्त्र से संबंधित कार्य को साधारण तौर पर संरचनावाद का प्रारंभिक बिंदु माना जाता है. फ्रांसीसी मानवविज्ञानी क्लॉड लेवी-स्ट्रॉस के कार्यों में खुद "संरचनावाद" शब्द प्रकट हुआ और [[फ़्रांस|फ्रांस]] में "संरचनावादी आंदोलन" को बढ़ावा दिया, जिसने लुई अल्थूजर , मनोविश्लेषक जैक्स लेकन जैसे विचारकों को ही नहीं संरचनावादी मार्क्सवादी निकोस पोलन्टज़ास के कार्यों को भी प्रेरित किया. इस आंदोलन के अधिकांश सदस्यों ने अपने को ऐसे किसी भी आंदोलन का एक हिस्सा होने के रूप में वर्णित नहीं किया है. संरचनावाद सांकेतिकता से बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है. उत्तर-संरचनावाद ने खुद को संरचनात्मक विधि के सरल प्रयोग से अलग करने का प्रयास किया. डिकन्शट्रक्शन(Deconstruction) संरचनात्मक विचारों से खुद को अलग करने की कोशिश थी. उदाहरण के लिए, जूलिया क्रिस्टेवा जैसे कुछ बुद्धिजीवियों ने बाद में उत्तर-संरचनावादी बनने के लिए संरचनावाद (और रूसी रीतिवाद) को एक प्रारंभिक बिंदु के रूप में लिया. सामाजिक विज्ञान में संरचनावाद के प्रभाव की कई स्थितियां हैं: जो समाजशास्त्र के क्षेत्र में काफी मायने रखता है.
 
== भाषा विज्ञान में संरचनावाद ==
 
{{see_also|Structural linguistics}}
संरचनावाद बताता है कि मानव संस्कृति को संकेतों की एक प्रणाली समझा जाना चाहिए. रॉबर्ट स्कोल्स ने संरचनावाद को आधुनिकतावादी अलगाव और निराशा की प्रतिक्रिया के रूप में परिभाषित किया है. संरचनावादियों ने एक सांकेतिक विज्ञान (संकेतों की प्रणाली) विकसित करने का प्रयास किया. फर्डिनेंड डी सौसर 20 वीं सदी के संरचनावाद के प्रवर्तक माने जाते हैं और इसके सबूत हमें उनकी मृत्यु के बाद उनके छात्रों के नोटों पर आधारित उनके सहयोगियों द्वारा लिखे गये ''कोर्स इन जनरल लिंग्विस्टिक'' में मिल सकते हैं, जिसमें उन्होंने भाषा (शब्द या ''भाषण'' ) के इस्तेमाल पर नहीं बल्कि भाषा (लैंगुए)की अंतर्निहित प्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया है और अपने सिद्धान्त को ''संकेत विज्ञान'' कहा है. हालांकि, ''भाषण'' (पेरोल) की जांच करने के माध्यम से ही अंतर्निहित प्रणाली की खोज की जा सकती है. जैसे कि संरचनात्मक भाषाविज्ञान असल में ''कोष भाषा विज्ञान '' (कारपस लिंग्विस्टिक्स) (प्रमात्रीकरण) का पूर्व स्वरूप है. इस दृष्टिकोण ने यह परीक्षण करने पर ध्यान केंद्रित किया कि वर्तमान में भाषा संबंधित तत्व आपस में किस तरह से जुडे़ हुए हैं, वह ये कि, कालक्रमिक तौर पर न कि 'समकालीन' तरीके से. अंत में, उन्होंने तर्क दिया कि भाषाई संकेत दो भागों में बने हैं, '''शब्द रूप''' (सिग्निफायर) (शब्द की ''ध्वनि के लक्षण'' , या तो मानसिक प्रक्षेपण में, जैसा कि हम कविता की पंक्तियां चुपचाप अपने लिए पढ़ते हैं- या फिर वास्तविक रूप में, वाचक के रूप में भौतिक तौर पर बोलते हुए) और एक '''अवधारणा''' (शब्द की अवधारणा या ''अर्थ'' का प्रारूप) के रूप में. यह पिछले दृष्टिकोणों से काफी अलग था जिसने दुनिया में शब्दों और उनसे सम्बंधित वस्तुओं के बीच के रिश्ते पर ध्यान केंद्रित किया (रॉय हैरिस और टैलबोट टेलर, लैंडमार्क्स इन लिंग्विस्टिक थॉट, प्रथम अंक [1989], पृ.)&nbsp;178-179).
 
संरचनात्मक भाषाविज्ञान में प्रतिमान, वाक्य विन्यास और मूल्य कुंजी या मुख्य विचार हैं, हालांकि सौसर के विचार में अभी तक इन विचारों को पूरी तरह से विकसित नहीं किया गया था. एक संरचनात्मक प्रतिमान असल में भाषाई इकाइयों (शब्दिम, रूपीम, यहां तक कि निर्माण भी) का एक वर्ग है, जो किसी निर्धारित स्थिति में दिए गए भाषाई पर्यावरण में (जैसे कि दिए गए वाक्य में) हो, जो सिन्टैम है. प्रतिमान के इन प्रत्येक सदस्यों के विभिन्न कार्यों की भूमिका को वैल्यू [[फ़्रांसीसी भाषा|(फ्रेंच]] में ''वैल्यूर) कहा जाता है.'' संरचनावादी आलोचना संरचना के एक बड़े व्यापक साहित्यिक पाठ से संबंधित है जो रूपांकन हो सकता है एक विशेष शैली, अंतर-वाचनिक संबंधों की श्रेणी, एक सार्वभौमिक वाचिक संरचना का नमूना या आवर्ती नमूनों या रूपांकन की एक व्यवस्था की कथा की एक धारणा भी हो सकती है.<ref>बैरी, पी 2002, 'संरचनावाद', आरम्भिक सिद्धांत: सांस्कृतिक सिद्धांत और साहित्यिक के लिए परिचय, मानचेस्टर यूनिवर्सिटी प्रेस, मैनचेस्टर, पीपी. 39-60.</ref>
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1960 के दशक के पूर्वार्द्ध तक संरचनावाद स्वयं एक आंदोलन के रूप में सामने आने लगा और कुछ लोगों का मानना था कि यह मानव जीवन के लिए एक ऐसा एकीकृत तरीका प्रस्तुत करता है जो सभी दृष्टिकोणों को गले लगाएगा. रोलाण्ड बर्थेस और [[डेरिडा|जैक्स डेरिडा]] ने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि संरचनावाद को किस तरह से साहित्य में प्रयोग किया जा सकता है.
 
फ्रायड और डी सौसर का सम्मिश्रण कर फ्रांसीसी (उत्तर) संरचनावादी जैक्स लेकन ने संरचनावाद को मनोविश्लेषण में प्रयुक्त किया और जीन पिगेट ने अलग तरीके से संरचनावाद को मनोविज्ञान के अध्ययन में प्रचलित किया. लेकिन जीन पिगेट जो खुद को बेहतर रचनावादी के रूप में परिभाषित करते हैं, संरचनावाद को "सिद्धांत नहीं एक विधि" मानते हैं क्योंकि उनके लिए "संरचना के बगैर कोई निर्माण नहीं होता, चाहे वह अमूर्त हो या आनुवंशिक"<ref>जीन पियगेट, ''ले स्ट्रक्चरालिज़म'' , एड. पीयुऍफ़ (PUF), 1968</ref>
 
[[मिशेल फूको|मिशेल फोकाल्ट]] की पुस्तक ''द ऑर्डर ऑफ़ थिंग्स'' ने यह पता लगाने के लिए विज्ञान के इतिहास की जांच की कि ज्ञानमिमांसा या ज्ञान की संरचनाओं ने किस तरह ऐसा मार्ग बनाया जिससे लोगों ने ज्ञान और जानकारी की कल्पना की (हालांकि फोकाल्ट ने बाद में स्पष्ट रूप से इसके साथ संबद्धता से इनकार कर दिया).
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==बाहरी कड़ियाँ==
* एलिज़ाबेथ रॉडीनेस्को, ''फिलोज़ौफी इन टरबुलेंट टाइम्स: कैंगुइल्हेम, सार्टट्रे, [[मिशेल फूको|फौकॉल्ट]], ऑल्टअशर, डेल्यूज़, डेर्रिडा'' , कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रेस, न्यूयॉर्क, 2008.
 
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