"उपभोक्ता": अवतरणों में अंतर

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ध्यान रखने योग्य बात है कि उपभोक्ता वह है, जो उपभोग के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय करता है। यदि कोई फुटकर व्यापारी किसी थोक विक्रेता से वस्तुएं (जैसे स्टेशनरी का सामानद) खरीदता है, तो वह उपभोक्ता नहीं है क्योंकि वह तो वस्तुओं का क्रय पुनः विक्रय के लिए कर रहा है।
 
== परिचय ==
क्या यह आवश्यक है कि एक क्रेता (जो केवल एक उपभोक्ता है) ही वस्तुओं का उपयोग करे? यह सदा नहीं होता। यदि आप अपने लिखने के लिए एक कापी खरीदते हैं तो आप क्रेता भी हैं और उपभोक्ता भी। माना आपके पिता खाद्य सामग्री का क्रय करते हैं, जिसका उपभोग परिवार के सभी सदस्य करते हैं या फिर जब वह कपड़े धोने का डिटरजैन्ट पाउडर खरीदते हैं तो इसका प्रयोग परिवार के सभी सदस्य कर सकते हैं तथा अन्य कोई भी (जो कपड़े धोने का कार्य कर रहा है) कर सकता है। इसका अर्थ यह हुआ कि एक उपभोक्ता जिन वस्तुओं का क्रय करता है उनका उपभोग उसके परिवार के सदस्य कर सकते हैं अथवा क्रेता की ओर से कोई अन्य व्यक्ति कर सकता है।
 
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इसके साथ-साथ जिन वस्तुओं का हम क्रय करते हैं, तो हम उनका उपभोग भी तुरंत कर सकते हैं अथवा कुछ समय के पश्चात् भी। हम अनाज का हफ्रतों, महीनों तक संग्रहण कर सकते हैं। एक रेफरीजरेटर की यदि समय-समय पर आवश्यक मरम्मत कराते रहें, तो उसका कई वर्षों तक उपयोग कर सकते हैं। लेकिन हम परिवहन सेवाओं अथवा मरम्मत, बिजली की आपूर्ति अथवा टेलीफोन सेवा अथवा फिल्म शो के सम्बंध में ऐसा नहीं कर सकते।
 
== उपभोक्तावाद ==
यदि उपभोक्ता चौकन्ने हो जाएं एवं इस प्रकार के गलत कार्यों के विरूद्ध मिलकर सामना करें तो इस प्रकार के शोषण को कम किया जा सकता है। अपनी रक्षा में स्वयं उपभोक्ताओं द्वारा किया गया प्रयत्न '''उपभोक्तावाद''' कहलाता है।
 
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'''उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986''' : उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, अन्य कानूनों की अपेक्षा उपभोक्ताओं को अधिक संरक्षण प्रदान करता है। उपभोक्ता अधिक विस्तार से अथवा विस्तृत तरह से बैंकिग, बीमा, वित्त, ट्रांसपोर्ट, होटल, टेलीफोन, बिजली की आपूर्ति या अन्य ऊर्जा, आवास, मनोरंजन अथवा अमोद-प्रमोद आदि में अधिक संरक्षण प्राप्त कर सकता है। यह अधिनियम राज्य व केन्द्रीय स्तर पर उपभोक्ता संरक्षण परामर्श समितियां बनाने का प्रावधान करती है। उपभोक्ता के विवादों का शीघ्र और उचित निपटारा करने के लिये अर्ध न्यायिक पद्धति को बनाया गया है। इसमें जिला फोरम, राज्य आयोग तथा राष्ट्रीय आयोग को शामिल करते हैं। इन्हें उपभोक्ता न्यायालय कहा जाता है।
 
== उपभोक्ता के अधिकार ==
आज उपभोक्ता को बाजार में प्रतियोगिता, गुमराह करने वाले विज्ञापन, घटिया वस्तुएं एवं सेवाएं तथा अन्य बहुत सी समस्याओं का समाना करना पड़ता है। इसलिए उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना सरकार एवं सार्वजनिक संस्थाओं के लिए एक गम्भीर चिंता का विषय बन गया है। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार ने उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को मान्यता प्रदान की है। दूसरे शब्दों में यदि उपभोक्ता अपने आपको शोषण एवं धोखे से बचाना चाहते हैं तो उन्हें कुछ अधिकारों को मान्यता प्रदान करनी होगी। दूसरे शब्दों में यदि उपभोक्ता अपने आपको शोषण एवं धोखे से बचाना चाहते हैं तो उन्हें कुछ अधिकार देने होंगे ताकि वे ऐसी स्थिति में हो कि वे वस्तुओं के विक्रेता एवं सेवा प्रदान करने वालों से व्यवहार करते समय सतर्क रह सकें। उदाहरण के लिए उपभोक्ताओं के अधिकारों में से एक अधिकार चयन का अधिकार है। यदि आप इस अधिकार की जानकारी रखते हैं तो आप दुकानदार से एक ही वस्तु के विभिन्न किस्में दिखाने के लिए कह सकते हैं, जिससे कि आप अपनी पसंद की वस्तु का चयन कर सकें। कभी-कभी दुकानदार उस ब्रांड की वस्तु को बेचने का प्रयत्न करता है जिस पर उसे अधिक कमीशन मिलता है। हो सकता है कि यह सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाली वस्तु न हो या फिर यह अपेक्षाकृत कम मूल्य पर उपलब्ध हो। इस व्यवहार को आप रोक सकते हैं। यदि आप अपने चयन के अधिकार का उपयोग करें तथा यदि एक दुकान पर अधिक किस्म के उत्पाद उपलब्ध नहीं है तो आप दूसरी दुकान पर जा सकते हैं।
 
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बहुत से उपभोक्ता संगठन उपभोक्ताओं को पर्चें, पत्रिकाओं एवं पोस्टरों के द्वारा शिक्षित करने की दिशा में पहले ही कदम उठा चुके हैं। इस सम्बन्ध में टी.वी. पर कार्यक्रम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
 
== उपभोक्ता के उत्तरदायित्व ==
कहावत है कि बिना उत्तरदायित्व के अधिकार नहीं हो सकते। उपभोक्ताओं के अधिकारों एवं इन अधिकारों के उद्देश्यों का मूल्यांकन करने के पश्चात यह समझ लेना आवश्यक है कि क्या उपभोक्ता के कुछ उत्तरदायित्व होने चाहिए, जिससे कि वे अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें। उदाहरण के लिए उपभोक्ता यदि यह चाहते हैं कि वे अपनी सुनवाई के अधिकार का प्रयोग कर सकें तो उनका यह भी उत्तरदायिव है कि वह अपनी समस्याओं को जानें तथा उनके सम्बन्ध में सूचनाओं को प्राप्त करते रहें। अपनी शिकायतों के निवारण के अधिकार का उपयोग करने के लिए उपभोक्ताओं को सही वस्तु को ही मूल्य पर चुनने के सम्बन्ध में सावधानी बरतनी चाहिए तथा उन्हें यह भी सीखना चाहिए कि किसी प्रकार की चोट अथवा हानि को रोकने के लिए उन वस्तुओं का कैसे उपयोग करें। उपभोक्ता के दायित्वों में विशेष रूप से निम्न दायित्व सम्मलित हैं :
 
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इन दायित्वों के अतिरिक्त उपभोक्ता के अन्य दायित्व भी हैं। उन्हें विनिर्माता, व्यापारी एवं सेवा प्रदानकर्ता के साथ अपने अनुबंध का सख्ती से पालन करना चाहिए। उधार क्रय की स्थिति में उसे समय पर भुगतान करना चाहिए। उन्हें सेवा के माध्यम जैसे बिजली एवं पानी के मीटर, बस एवं रेल गाड़ियों की सीटों के साथ छेड़-छाड़ नहीं करनी चाहिए। उन्हें याद रखना चाहिए कि वह अपने अधिकारों का उपयोग तभी कर सकते हैं जब वह अपने दायित्वों को निभाने के लिए तैयार अथवा इच्छुक हैं।
 
== इन्हें भी देखें==
*[[उपभोक्ता संरक्षण]]
*[[उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (1986)]]