"सिद्धान्त ज्योतिष": अवतरणों में अंतर

छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की।
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बोडे ने ग्रहों की सूर्य से दूरियाँ ज्यौतिषीय इकाई में ज्ञात करने के लिये निम्नलिखित नियम बताया था--
 
दू 0.4 + 0.3 ´ 2न , जहाँ न = - ¥ , 0,1,2,3,4,........इससे बुध की दूरी 0.4, शुक्र की दूरी = 0.7, पृथ्वी की दूरी --1.0 तथा मंगल की दूरी 1.6 प्राप्त हुई।
 
यहाँ तक तो प्राय: ठीक है, किंतु गुरु की दूरी इस नियम से ठीक नहीं बैठती। परंतु यदि हम बीच में किसी और ग्रह की कल्पना कर लें, तो शेष ग्रहों की दूरियाँ इस नियम से ठीक बैठ जाती हैं। इसलिये ज्योतिषियों ने मंगल तथा गुरु की कक्षा के बीच अन्य ग्रह की खोज शुरू की। इससे उन्हें बहुत से क्षुद्रग्रह मिले। सर्वप्रथम क्षुद्रग्रह सीटो का आविष्कार जनवरी, 1801 ईसवी में इटली के ज्योतिषी पियाज़ी ने किया था। सन्‌ 1950 में क्षुद्रग्रहों की संख्या 1,600 तक पहुँच गई थी। अनुमान है कि इनकी संख्या 1,00,000 होगी।