"स्वच्छन्दतावाद": अवतरणों में अंतर

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एक रोमानी चरित्र का आधुनिक पर्याय बायरन के गुणवान, या शायद गलत समझ लिए गए एकांकी व्यक्ति,की कल्पना के अनुसार व्यक्त किया जा सकता है, जो कि तात्कालिक समाज के ''रीति-रिवाज़'' की जगह अपनी रचनात्मक प्रेरणाओं के आदेश को सुनता है.
 
हालाँकि इस आन्दोलन की जड़ें जर्मन आन्दोलन ''स्टर्म एंड ड्रेंग'' से विकसित हैं, जो सहज ज्ञान और भावनाओं को ज्ञानोदय परिमेयकरण से बहमूल्य मानता है, [[फ़्रांसीसी क्रांति|फ़्रांसिसी क्रांति]] ने उन आदर्शों और घटनाओं की नीव रखी जिससे स्वछंदतावाद और प्रति-ज्ञानोदय के लिए पृष्ठभूमि तैयार हुई. औद्योगिक क्रांति की परिसीमाओं का भी स्वछंदतावाद पर प्रभाव पड़ा, जो एक प्रकार से आधुनिक वास्तविकताओं से पलायन था; वास्तव में, 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में "यथार्थवाद" को स्वछंदतावाद के ध्रुवीय विपरीत के रूप में प्रस्तुत किया गया<ref>"ए रिमार्केबल थिंग', बैज्रोव ने आगे कहा,'यह पुराने हास्यपूर्ण रोमानी! वे अपने तंत्रिका तंत्र से उत्तेजना की अवस्था तक काम करते हैं, इसलिए उनका साम्य बिगड़ जाता है." ([[इवान तुर्गेन्येव|इवान टर्गेनेव]], ''फादर्स एंड संस'' , अध्याय 4 [1862]) 4 [1862])</ref>. स्वछंदतावाद ने उन्ही की उपलब्धियों को आगे बढाया जिन्हें स्वछंदतावाद में वीर व्यक्तिवादी और कलाकार समझा जाता है, जिनका अग्रणी उदहारण समाज के स्तर को उठाने में सहायक होगा. इसने व्यक्ति विशेष की कल्पना को एक ऐसे विशिष्ट प्रभाव के रूप में वैधता प्रदान की जिसने कला में प्राचीन रूप के विचारों के भावों से मुक्ति की आज्ञा दे दी. वह ऐतिहासिक और प्राकृतिक अनिवार्यता का एक सशक्त अवलम्ब था, और अपने विचारों के प्रतिनिधित्व में एक ''युगचेतना'' .
 
== अभिलक्षण ==
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रोमानी काल के नृत्य नाटकों ने स्वयं को ओपेरा, जिसमे मात्र पैरिस में ही मध्यांतर के दौरान बैले प्रस्तुति का चलन शेष था, और कोर्ट फेते से मुक्त कर लिया था, और स्वतंत्र रूप से ओपेरा के विकास को स्पष्ट वर्णनात्मक संगीतिका पाठ के सामानांतर स्थापित किया, दुर्भाग्य पूर्ण युवा प्रेम या अविवेक की सार्वभौमिक उपस्थिति को मूकाभिनय के लम्बे गद्यों में व्यक्त किया, बैले नर्तकी के प्रभुत्व और अलौकिक विषयों: ''जिसेल'' (1841) के चुनाव अब तक के प्रमुख उदहारण रहे हैं.
 
संगीत में 1815 से 1848 तक के समय को वास्तव में स्वछंदतावाद का विशुद्ध समय कहा जा सकता है- बीथोवेन (डी. 1827) और शुबर्ट (डी. 1828),की आखिरी संगीत रचना का समय और शुमन (डी. 1856) आर चोपिन (डी. 1849) के कार्यों,बर्लियाज़ और रिचर्ड वैगनर के प्रारंभिक संघर्ष का समय, पगेनिनी (डी. 1840) जैसे महान गुणी, और युवा लिज्त और थेल्बर्ग का समय. अब जबकि हम मेंडलसोह्न की कृतियों को उसके साथ गलत तरीके से जुड़े बिडरमियर के नाम के बिना भी सुनाने में समर्थ हैं, तो अब हम उन्हें भी इस उचित प्रसंग में स्थान दे सकते हैं. इस समय के बाद, पेगानिनी और चोपिन की मृत्यु के पश्चात, लिज्त ने एक छोटी जर्मन बैठक में कार्यक्रम के मंच से अवकाश ले लिया, बावरिया में शाही संरक्षण प्राप्त करने के पूर्व तक वैगनर पूर्ण रूप से प्रवास में रहे, बर्लियाज़ अब तक भी उस रूढ़िगत उदारता से संघर्ष करते रहे जिसने यूरोप में स्वछान्द्भावी कलात्मक प्रयास को दबा कर समाप्त कर दिया, इस समय तक संगीत में स्वछंदतावाद निश्चित रूप से अपने सर्वोच्च समय को बिता चुका था- और संगीतमय रोमानी समय को आगे आने का अवसर दे रहा था. ''देखें लेख'' , रोमानी संगीत
 
== रोमानी साहित्य ==
{{See also|Romantic poetry}}
[[चित्र:El_Tres_de_Mayo,_by_Francisco_de_Goya,_from_Prado_in_Google_Earth.jpg|thumb|left|230px|फ्रांसिस्को गोया, द थर्ड ऑफ़ मे 1808, 1814]]
साहित्य में, स्वछंदतावाद को पिछले समय की आलोचना या पुनर्रचना के रूप में एक आवर्ती विषयवस्तु मिल गयी, जिनमे बच्चों व् महिलाओं पर विशेष महत्व के साथ "संवेदनशीलता" का मत , वर्णनकर्ता या कलाकार का नायकीय एकांकीपन, और एक नयी, अदभुद, अबाधित और "शुद्ध" प्रकृति के प्रति सम्मान आदि शामिल थे. इससे आगे, अनेकों रोमानी लेखकों ने जैसे [[एडगर ऍलन पो|एडगर एलन पो]] और नेथेनियल हौथोर्न , ने अपनी लेखनी को अलौकिक/गुप्त और मनोविज्ञान पर आधारित रखा. स्वछंदतावाद ने नए विचारों के उद्भव में भी सहयोग दिया, और इस प्रक्रिया में उन सकारात्मक आवाजों का भी जन्म हुआ जो समाज के अधिकारहीन वर्ग के लिए हितकर थी.
 
स्कॉटलैंड वासी कवि जेम्स मेकफर्सन ने 1762 मे प्रकाशित अपनी ओशियन साईकिल ऑफ़ पोयम्स की अंतर्राष्ट्रीय सफलता के द्वारा स्वछंदतावाद के प्रारंभिक विकासों को प्रभावित किया, और गोयेथ और युवा वाल्टर स्कॉट दोनों को ही प्रेरणा दी.
 
[[योहान वुल्फगांग फान गेटे|जोहान वुल्फगैंग वोन]] गोयेथ के माध्यम से प्रारंभिक जर्मन प्रभाव आया, जिनका 1774 मे प्रकाशित उपन्यास ''द सौरोस ऑफ़ यंग वर्थर'' ने पूरे यूरोप में युवा पुरुषों को अपने नायक के सामान कार्य करने के लिए प्रेरित कर दिया था, वह नायक एक युवा कलाकार था जो बहुत संवेदनशील और भावुक स्वभाव का था. उस समय जर्मनी छोटे छोटे पृथक राज्यों का एक समूह था, और गोयेथ का काम राष्ट्रवाद के एकीकृत प्रभाव को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता था. एक अन्य दार्शनिक प्रभाव जोहन गोतिलेब फिष्ट और फ्रेडरिक शैलिंग के जर्मन आदर्शवाद से आया, जिसने जेना (जहाँ फिष्ट, शैलिंग, हेगल, शिलर, और शेलेगल बंधु रहते थे) को प्रारंभिक स्वछंदतावाद ("जेनेर रोमेंटिक") का केंद्र बना दिया. इस काल के महत्त्वपूर्ण लेखक लुडविग टिक, नोवालिस (''हेनरिक वोन ओफेर डिंजेन'' , 1799), हेनरिक वोन क्लेस्ट और फ्रेडरिक होल्डर्लिन .
बाद में हेदेल्बर्ग जर्मन स्वछंदतावाद का केंद्र बन गया, जहाँ क्लेमेन्स ब्रेंटेनो,अशीम वोन अर्निम, और जोसेफ फ्रेहर वोन आयेशनडोर्फ़ जैसे लेखक और कवि साहित्यिक मंडली में नियमित रूप से मिला करते थे.
 
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एक नैतिक दर्शनशास्त्र के रूप में, श्रेष्ठातावाद न तो व्यवस्थित है और न ही तार्किक. इसने तर्क से अधिक महत्व भावनाओं को दिया और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को कानूनी और रूदिगत अवरोधों से ऊपर रखा. इसने उन लोगों को आकर्षित किया जो अपने धर्मनिष्ठ पुरखों के कठोर ईश्वर से घृणा करते थे , और उन्हें भी आकर्षित किया नव इंग्लैंड अद्वैतवाद के निष्प्रभ ईश्वर से घृणा करते थे.....[]...वे सांस्कृतिक कायाकल्प के लिए और अमेरिकी समाज के भौतिकवाद के विरोध के लिये चर्चा करते थे. वे "परमात्मा" की श्रेष्ठ में विशवास रखते थे, और मानते थे कि वह अच्छाई के लिए एक सर्वव्यापक शक्ति है जिसने सभी को जन्म दिया है और संसार की सभी वस्तुएं उसका ही एक भाग हैं{{Citation needed|date=January 2009}}.</blockquote>
 
अमेरिकी स्वछंदता ने व्यक्तियों का स्वागत किया और नव प्रचीन्वाद व् धार्मिक परम्पराओं के बंधन का विरोध किया. अमेरिका में रोमानी आन्दोलन ने एक नयी साहित्यिक विधा का रचना कर दी जो आधुनिक लेखकों को भी प्रभावित कर रही है.
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== रोमानी दृश्य कला ==
{{See also|German Romanticism|Victorian architecture|Gothic Revival architecture}}
फ़्रांसिसी स्कूल<ref>वाल्टर फ्राइडलेंडर, ''डेविड टू डेलाक्रोइक्स से'' , 1974, इस विषय पर उपलब्ध सबसे अच्छा वर्णन जो शेष रह गया.</ref> की नयी पीढ़ी के नेतृत्व में, यूरोपीय चित्रों में स्वछंदतावादी संवेदनशीलता और नव प्राचीनवाद के मध्य विषमता दिखाई पड़ती थी, क्यूंकि नव प्राचीनवादियों की शिक्षा प्रशिक्षण शाला में हो रही थी. रंग और डिजाइन, अभिव्यक्ति और रंगों के स्वभाव से सम्बंधित पुनर्जीवित संघर्ष में, जैसा कि जे.एम.डब्लू. टर्नर, [[फ्रांसिस्को डि गोया|फ्रांसिस्को गोया]], थियोडोर जेरिकाल्ट और यूजीन डेलाक्रोइक्स के काम में था, ब्रश के स्पर्श में नयी विशिष्टता पर जोर दिया और कलाकारों की मुक्त हस्त चित्रकारी पर भी रंग थोप दिया, जिसे एक सहज परिष्कृति के लिए नव प्राचीनवाद में दबाया जाता था.
[[चित्र:Othellopainting.jpg|thumb|upright|left|थिओडोर कैसेराऊ, ओथेलो एंड डेसडेमोना इन वेनिस, 1850 में, ऑयल ओन वुड, 25 x 20 सेमी, लोवर, पेरिस में, (शेक्सपियर से प्रेरित) कैसेराऊ का प्रतीकवादियों पर प्रभाव था.]]
जिस प्रकार इंग्लैंड में जे.एम.डब्लू. टर्नर और सैमुएल पाल्मर, जर्मनी में [[डेविड फ्रीडरिख|कैस्पर डेविड फ्रेडरिक]], नार्वे में जे.सी. दह्ल और हंस गुडे, स्पेन में [[फ्रांसिस्को डि गोया|फ्रांसिस्को गोया]], और फ़्रांस में थियोडोर जेरिकाल्ट, यूजीन डेलाक्रोइक्स, थियोडोर कैसेराऊ, और अन्य के साथ होता था; अमेरिकी दृश्य कला में भी स्वछंदतावाद का एक प्रतिरूप था, जो विशेषकर हडसन रिवर स्कूल के चित्रों में प्राप्त अमेरिकी मनोरम दृश्य के निर्बाध उन्नयन में था. थॉमस कोल, एल्बर्ट बियरस्टेड और फ्रेडरिक एडविन चर्च और अन्य प्रायः अपने चित्रों में रोमानी शैली की अभिव्यक्ति करते थे. वह कभी कभी प्राचीन विश्व के अवशेषों का भी चित्रण करते थे, जैसे कि फ्रेडरिक एडविन की चर्च कृति ''सनराइज़ इन सीरिया'' में. इन कृतियों में मृत्यु और पतन की गॉथिक भावना परिलक्षित होती थी. वह इस रोमानी आदर्श का भी प्रदर्शन करते थे कि प्रकृति सर्वशक्तिमान है और अंततः मनुष्य की सभी अस्थायी रचनाओं पर विजय पा लेगी. कई बार वह स्वयं को यूरोपीय प्रतिरूपों से भिन्न सिद्ध करने के लिए अनोखे अमेरिकी दृश्य व् प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण करते थे. कला जगत में अमेरिकी पहचान का यह विचार डब्लू.सी.,ब्राइएन्ट की कविता, ''टू कोल, द पेंटर, डिपार्टिंग फॉर यूरोप'' में दिखाई पड़ता है, जहाँ ब्राइएन्ट कोल को उन सुन्दर दृश्यों को याद करने के लिए प्रेरित करता है जो सिर्फ अमेरिका में ही पाए जाते हैं. यह कविता रोमानी काल के साहित्यिक और दृश्य कला के कलाकारों के मध्य सशक्त सम्ब्वंध को भी दिखाती है{{Citation needed|date=February 2010}}.
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शुरूआती रोमानी राष्ट्रवाद का रूसो ने अत्यधिक समर्थन किया, और जोहन गोटफ्राइड वों हर्डर के सुझावों द्वारा, जिन्होंने 1784 में यह तर्क दिया कि भूगोल व्यक्ति की प्राकृतिक अर्थव्यवस्था की रचना करता है, और उनके समाज व् रिवाजों को एक आकार प्रदान करता है.
 
राष्ट्रवाद की प्रकृति नाटकीय रूप से बदल गयी, हालाँकि [[फ़्रांसीसी क्रांति|फ़्रांसिसी क्रांति]] के बाद नेपोलियन के उत्थान के साथ, अन्य देशों की इसके प्रति प्रतिक्रिया में भी बदलाव आया. पहले तो नेपोलियन का राष्ट्रवाद और समाजवाद अन्य राष्ट्रों के आन्दोलनों के लिए प्रेरणादायक थे:स्व निर्धारण और राष्ट्रीय एकता के प्रति जागरूकता दो ऐसे कारण समझे जाते थे जिससे फ़्रांस युद्ध में अन्य देशों को पराजित करने में सफल हो सका. पर जैसे जैसे फ़्रांसिसी गणराज्य नेपोलियन के साम्राज्य में आ गया, नेपोलियन राष्ट्रीयता के लिए प्रेरणा के स्थान पर इसके संघर्ष का प्रतीक बन गए. [[प्रुशिया]] में, नेपोलियन के विरुद्ध संघर्ष में सम्मिलित होने के लिए आध्यात्मिक नवीकरण के विकास पर केन्त के शिष्य जोहान गोटीलेब फिष्ट तथा अन्य के द्वारा विचार किया गया. शब्द ''वोल्कस्टम'' , या राष्ट्रीयता, की शुरुआत जर्मनी में विजयी सम्राट के प्रतिरोध में की गयी थी. फिष्ट ने अपने 1806 के भाषण "टू द जर्मन नेशन" में भाषाओँ और राष्ट्र की एकता पर विचार व्यक्त किये.
[[चित्र:Gallen Kallela The Forging of the Sampo.jpg|right|thumb|अक्सेली गैलेन-कैलेला,द फोर्जिंग ऑफ़ द सैम्पो, 1893फिनलैंड का एक कलाकार जो कैलेवैला के संकलन से प्रेरणा ले रहा था.]]
<blockquote>''जो लोग एक ही भाषा बोलते हैं वह एक दूसरे से प्रकृति के अनेकों अदृश्य बंधनों के द्वारा जुड़े हैं,किसी मानव कला के विकसित होने से बहुत पहले ही; वह एक दूसरे को समझने लगते हैं और स्वयं को और भी अधिक स्पष्ट रूप से समझने योग्य बनाने लगते हैं; उनका अस्तित्व एक साथ रहने में ही है और वह पूर्णएक हैं जिसे अलग नहीं किया जा सकता.....'' ''मात्र तब ही जब प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं पर छोड़ दिया जायेगा, और वह अपनी विशिष्ट प्रतिभाओं के आधार पर स्वयं को बनाएगा, और सिर्फ तब ही, जब प्रत्येक व्यक्ति उन्ही उभयनिष्ठ विशिष्टताओं के आधार पर स्वयं को विकसित करेगा- तब, और सिर्फ तब ही, अपने सही मायनों में ईश्वरत्व का आविर्भाव होगा जैसा कि होना चाहिए.'' </blockquote>
 
राष्ट्रवाद के दृष्टिकोण ने लोकसाहित्य के संकलन को ब्रदर्स ग्रिम जैसे लोगों द्वारा प्रोत्साहित किया, पुराने महाकाव्यों का राष्ट्रीय के रूप में पुनः प्रचलन, ऐसे नए महाकाव्यों की रचना जो पुरानी शैली के हों, जैसे कि ''कैल्वाला'' , जोकि फिन्लैंड की कथाओं और लोक साहित्य से संकलित था, या ''ओशियन'' , जिसमे कि उन प्राचीन जड़ों की खोज की गयी है जिन पर दावे किये गए हैं. यह विचार कि परी-कथाएं, जब तक कि वह बाहरी साहित्यिक स्त्रोत द्वारा दूषित न की जाएँ, तब तक वह हजारों वर्ष से उसी रूप में रहती हैं, यह मात्र रोमानी राष्ट्रवादियों में विशेष नहीं था, लेकिन उनके इस विचार के साथ आसानी से सामंजस्य बना लेता था कि ऐसी कथाएं लोगों के मौलिक स्वभाव को व्यक्त करती हैं. उदहारण के लिए, ब्रदर्स ग्रिम ने अपने द्वारा संकलित कई कथाओं को अस्वीकृत कर दिया क्यूंकि वह चार्ल्स परौल्ट की कहानियों के सामान थीं, जी उनके अनुसार यह प्रदर्शित करता था कि यह कथाएं पूर्ण रूप से जर्मन नहीं हैं; उनके संकलन में ''स्लीपिंग ब्यूटी'' का स्थान बना रहा क्यूंकि ब्राइनहिल्ड्र की कहानी ने उन्हें इस बात के लिए सहमत कर लिया कि निद्रामग्न राजकुमारी का चरित्र प्रमाणिक रूप से जर्मन है.
 
केंद्रीय यूरोप के अनेकों लोगों, जिनके पास अपना राष्ट्रीय राज्य नहीं था, उनके राष्ट्रीय जागरण में स्वछंदतावाद ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, और सिर्फ [[पोलैंड]] में ही नहीं, जिसने हाल में ही अपनी स्वतंत्रता खो दी थी जब रशिया की सेना ने निकोलस 1 के नेतृत्व में पोलैंड के क्रांतिकारियों को समाप्त कर दिया था. रोमानी कवियों और चित्रकारों द्वारा प्राचीन मिथकों, रिवाजों और परम्पराओं का पुनः प्रचलन और पुनाराभिव्यक्ति ने प्रभावी देशों में से उनके मौलिक संस्कृति का भेद कर पाने और रोमानी राष्ट्रवाद के मिथकलेख का क्रिस्टलीकरण कर पाने में सहायता की. स्वतंत्रता के लिए देशभक्ति, राष्ट्रवाद, क्रांति और सैन्य संघर्ष भी इस काल की कला की प्रचलित शैली बन गयी. विवादस्पद रूप से, एडम मिकिविज़ यूरोप के इस भाग के सर्वाधिक विशिष्ट कवि रहे, जिन्होंने यह विचार विकसित किया कि पोलैंड राष्ट्रों का मसीहा था, और कष्ट सहना उसी प्रकार उसके भाग्य में लिखा था जिस प्रकार [[ईसा मसीह|यीशु]] को सभी लोगों को बचाने के लिए कष्ट सहना पड़ा था.
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File:Palmer. A Dream in the Appenine c.1864 (watercolor and gouache on paper laid on wood) Tate Britain.jpg|सैमुएल पाल्मर, सी.1864, ए ड्रीम इन द एपेनाइन टेट ब्रिटेन
File:corot.villedavray.750pix.jpg|जीन-बैप्टिस्ट-केमिले कोरोट, सी. 1867, विले डी'एवरे गैलेरी ऑफ़ आर्ट, वाशिंगटन, डीसी.
[[चित्र:लिया एफिमोविच रेपिन (1844-1930) - वोल्गा बोटमैन (1870-1873).जेपीजीलिया रेपिन, ''बार्ज हौलर्स ओन द वोल्गा'' , 1870-73 (स्टेट रशियन म्यूजियम, सेंट पीट्सबर्ग)]]
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* सियोफेलो, जॉन जे न्यायालय और अकादमी में प्रतिभा की चढ़ाई. " द एसेंट ऑफ़ जीनियस इन द कोर्ट एंड अकैडमी.' ''द सेल्फ पोर्ट्रेट्स ऑफ़ फ्रांसिस्को गोया.'' कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, 2001.
* फे, एलिज़ाबेथ, ''रोमांटिक मेडिवलइस्म'' .''हिस्टरी एंड द रोमांटिक लिटररी आइडियल.'' हाउंड्समिल्स,बसिंगस्टोक: पल्ग्रेव, 2002.
* फ्राइडलेंडर, वाल्टर, ''डेविड टू डेलाक्रोइक्स'' , (वास्तव में जर्मन भाषा में प्रकशित; पुनः प्रकाशन 1980) 1952.
* गैलेस्पी, जेराल्ड/मेंफ्रेड एंगेल/बैरनार्ड डायाट्रेल (ईडीएस.), ''रोमांटिक प्रोज फिक्शन'' (= ऐ कम्पेरेटिव हिस्ट्री ऑफ़ लिट्रेचर्स इन यूरोपियन लैंग्वेजेस, बीडी.XXIII; इडी. द्वारा द इंटरनैशनल कम्पेरेटिव लिटरेचर एसोसियेशन एम्स्टर्डम, फिलाडेल्फिया: जॉन बैन्जमिंस 2008, पीपी 263-295. आइएसबीऍन 978-9027234568
* होम्स, रिचर्ड. ''द एज ऑफ़ वंडर: द रोमांटिक जनरेशन एंड द डिस्कवरी ऑफ़ द ब्यूटी एंड टेरर ऑफ़ साइंस'' (2009) आईएसबीऍन 978-1-4000-3187-0
* हनर, हघ, ''रोमेंटिसिज्म'' (वेस्टव्यू प्रेस) 1979 .
* लिम, क्विस्फा, ''रोमेंटिसिज्म- द डाउन ऑफ़ ए न्यू एरा'' , 2002. (पुनः प्रकाशन 2006)
* मेसन, स्कॉट, 'रोमेंटिसिज्म', सीएच. 7 ''द ऑक्सफोर्ड हैंडबुक ऑफ़ इंग्लिश लिटरेचर एंड थियोलोजी'' , (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस) 2007 .
* मौस्कोविकी, क्लौडिया "रोमेंटिसिज्म एंड पोस्टरोमेंटिसिज्म," (लेक्सिंगटन बुक्स, हार्डकवर 2007, पेपरबैक 2010). आईएसबीऍन 978-0-7391-1675-3.
* मूर्र, क्रिस्टोफर, इडी. ''ऍनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ द रोमेंटिक एरा, 1760 -1850'' (अंक 2 2004 ); विशेषज्ञों द्वारा 850 लेख; 1600 पीपी
* नोवोत्नी, फ्रिट्ज, ''पेंटिंग एंड स्कल्पचर इन यूरोप, 1780-1880'' , 1971.(दूसरा संस्करण 1980)
* मेक कैलमेन, लेन, इडी.''ऍन ऑक्सफोर्ड कम्पेनियन टू द रोमांटिक एज'' (2009) [http://www.oxfordreference.com/pages/Subjects_and_titles__t285 Oxford Reference Online] पर ऑनलाइन
* रेडहेड इट. एएल., "नार्टन एंथोलोजी ऑफ़ इंग्लिश लिटरेचर,"द रोमांटिक पीरियड - वॉल्यूम डी" (डब्लू.डब्लू. नार्टन & कंपनी लिमि.) 2006 2006
* रोसेंब्लम, रॉबर्ट, ''माडर्न पेंटिंग एंड द नार्दर्न रोमांटिक ट्रेडिशन: फ्रेडरिक टू रोथको'' , (हैपर & रो) 1975
* शेंक, एच.जी., ''द माइंड ऑफ़ द यूरोपियन रोमान्टिक्स: ऍन एस्से इन कल्चरल हिस्ट्री'' , (कोंस्टेबल) 1966.
* टेकिनर, डेनिज, ''माडर्न आर्ट एंड द रोमांटिक विज़न'' , (यूनिवर्सिटी प्रेस ऑफ़ अमेरिका) 2000.
* वर्कमैन, लेसली जे., "मेडिवलइज्म एंड रोमेंटिसिज्म," ''पोयेटिका'' 39-40 (1994): 1-34