"हस्तरेखा शास्त्र": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Michelangelo Caravaggio 031.jpg|thumb|300px|कारावागियो द्वारा द फोर्च्यून टेलर (1594-95; कैनवास, लौवर), ज्योत्षी हथेली पढ़ने का चित्रण]]
'''हस्तरेखा शास्त्र''' या '''काइरमैन्सी''' (जिसे'''केरोमन्सी''' ऐसे भी लिखा जाता है, जो यूनानी शब्द ''चेइर(cheir)'' (χειρ) "हाथ" और ''मंटिया (manteia )'' (μαντεία) ([[अनुमान]]) से बना है) '''हथेली को पढ़कर''' लक्षण का वर्णन और भविष्य बताने की कला है जिसे '''हस्तरेखा अध्ययन''' या '''हस्तरेखा शास्त्र''' भी कहा जाता है. इस कला का प्रयोग कई सांस्कृतिक विविधताओं के साथ दुनिया भर में देखा जाता है. जो हस्तरेखा पढ़ते हैं, उन्हें आम तौर पर ''हस्तरेखाविद्''
हस्तरेखा शास्त्र को आम तौर पर [[छद्म विज्ञान]] माना जाता है. नीचे उल्लिखित जानकारी संक्षेप में आधुनिक हस्तरेखा शास्त्र के मुख्य तत्व है, जिनमें से कई विभिन्न रेखाओं की व्याख्या अक्सर विरोधाभासी होती हैं और हस्तरेखाविद विभिन्न "स्कूलों"(धाराओं या खेमों)में बंटे होते हैं.
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