"प्रकाश का वेग": अवतरणों में अंतर

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; फूको की घूर्ण-दर्पण-विधि :
दंतुरचक्र के स्थान पर फूको ने वेग से घूमनेवाले दर्पण का उपयोग किया ।किया। 1962 ई. में फूको ने प्रकाश वेग (c) का मान 2,98,009.500 किमी. प्रति सेकंड निकाला। सन् 1878-82 के बीच माइकेलसन (Michelson) ने इसी प्रयोग द्वारा वेग का मान 2,99,828 किमी. प्रति सेंकंड निकाला तथा साइमन न्यूकम (Simon Newcomb) ने 2,99,778।
 
; माइकेलसन की अष्टकोण दर्पण विधि :
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लुविग बर्गमैन ने 1937 ई. में बताया कि यदि क्वार्ट्ज पर उच्च आवृत्तिवाले प्रत्यावर्ती क्षेत्र को लगाया जाए, तो उसमें भी उच्च आवृत्तिवाले प्रत्यावर्ती क्षेत्र को लगाया जाए, तो उसमें भी उच्च आवृत्तिवाले दोलन उत्पन्न हो जाते हैं। उनमें बराबर दूरी पर निस्पंद तल बन जाते हैं उनमें बराबर दूरी पर निस्पंद तल बन जाते हैं और क्वार्ट्ज पट्टिका ग्रेटिंग बन जाती है। जब क्षेत्र उच्च होता है तब ग्रेटिंग बनती है और क्षेत्र शून्य होने पर वह नष्ट हो जाती है।
 
क्वार्ट्ज के उपर्युक्त गुण का उपयोग हाउस्टन ने 1941 एवं 1950 ई. में प्रकाशवेग निकालने के काम में किया ।किया। हाउस्टन ने प्रकाशवेग का मान 2,99,775.9 किमी. प्रति सेकंड निकाला।
 
== वैद्युत विधियाँ ==