"प्राकृत": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट से अल्पविराम (,) की स्थिति ठीक की। |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो अल्प चिह्न सुधार |
||
पंक्ति 1:
भारतीय आर्यभाषा के मध्ययुग में जो अनेक प्रादेशिक भाषाएँ विकसित हुई उनका सामान्य नाम '''प्राकृत''' है, और उन भाषाओं में जो ग्रंथ रचे गए उन सबको समुच्चय रूप से [[प्राकृत साहित्य]] कहा जाता है। विकास की दृष्टि से भाषावैज्ञानिकों ने [[भारत]] में आर्यभाषा के तीन स्तर नियत किए हैं - प्राचीन, मध्यकालीन और अर्वाचीन। प्राचीन स्तर की भाषाएँ [[वैदिक संस्कृत]] और [[संस्कृत]] हैं, जिनके विकास का काल अनुमानत: ई. पू. 2000 से ई. पू. 600 तक माना जाता है। मध्ययुगीन भाषाएँ हैं - [[मागधी]], [[अर्धमागधी]], [[शौरसेनी]], [[पैशाची भाषा]], [[महाराष्ट्री]] और [[अपभ्रंश]]
== मध्ययुगीन भाषाओं '''(प्राकृत)''' की मुख्य विशेषताएँ ==
|