"प्रोटॉन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Quark structure proton.svg|right|thumb|200px|प्राणु संरचना]]
'''प्राणु''' (प्रोटॉन) एक धनात्मक विध्युत आवेशयुक्त [[मूलभूत कण]] है, जो [[परमाणु]] के नाभिक में [[न्यूट्रॉन]] के साथ पाया जाता हैं ।हैं। इसे p प्रतिक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। इस पर 1.602E−19 कूलाम्ब का धनावेश होता है। इसका [[द्रव्यमान]] 1.6726E−27 किग्रा होता है जो [[इलेक्ट्रॉन]] के द्रब्यमान के लगभग १८३७ गुना है। '''प्राणु''' तीन प्राथमिक कणो दो अप-क्वार्क और एक डाउन-क्वार्क से मिलकर बना होता है। स्वतंत्र रुप से यह [[हाइड्रोजन|उदजन]] [[आयन]] H<sup>+</sup> के रुप में पाया जाता है।
 
== विवरण ==
'''प्राणु'''[[फर्मिऑन]] होते है, जिनकी [[प्रचक्रण (भौतिकी)|प्रचक्रण]] १/२ होती है और यह तीन [[क्वार्क]] से मिलकर बने होते है अर्थात यह [[बेर्यॉन]] ([[हेड्रॉन]] का एक प्रकार ) के रुप में होते है। इनके दो अप-क्वार्क एवं एक डाउन-क्वार्क आपस में सशक्त बल ( strong force ) से जुडे होते है जो[[ग्लुऑन]] द्वारा लागू होते है। '''प्राणु''' और [[न्यूट्रॉन]] का जोडा [[न्युक्लिऑन]] कहलाता है जो कि[[परमाणु]] नाभिक में नाभकीय बल ( nuclear force ) से आपस में बंधे होते है। [[हाइड्रोजन|उदजन]] ही एक मात्र ऐसा तत्व है जिसके परमाणु नाभिक में '''प्राणु''' अकेला पाया जाता है अन्यथा अन्य सभी परमाणु के नाभिक में प्राणु न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता है। [[हाइड्रोजन|उदजन]] [[परमाणु]] के नाभिक में केवल एक प्राणु होता है[[न्यूट्रॉन]] नहीं होता है जबकि इसके दो भारी समस्थानिक [[ड्यूटेरियम]] में एक प्राणु व एक [[न्यूट्रॉन]] एवं [[ट्रिटियम]] में एक प्राणु व दो [[न्यूट्रॉन]] होते है।
 
== स्थायित्व ==
प्राणु, [[इलेक्ट्रॉन]] ( ऋणात्मक बीटा-क्षय ) का अवशोषण कर [[न्यूट्रॉन]] में बदल जाता है।
 
p<sup>+</sup> + e<sup>-</sup> → n<sup>o</sup> + v<sub>e</sub>
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जहॉ p प्राणु, e [[इलेक्ट्रॉन]], n [[न्यूट्रॉन]], और v<sub>e</sub> इलेक्ट्रॉन न्यूट्रीनो है।
 
इसके विपरित न्यूट्रॉन इलेक्ट्रॉन ( ऋणात्मक [[बीटा क्षय]] ) का उत्सर्जन कर प्राणु में बदल जाता है।
 
n<sup>o</sup> → p<sup>+</sup> + e<sup>-</sup> + v<sub>e</sub><sup>-</sup>
 
प्राणु की [[अर्ध-आयु]] बहुत लम्बी होती है ( आज के [[ब्रह्माण्ड]] की आयु से भी अधिक )
 
== इतिहास ==
प्राणु का नामकरण ग्रीक शब्द प्रोटोस protos से हुआ है जिसका अर्थ होता है "प्रथम्" । १९२० में [[रदरफोर्ड]] ने इसकी खोज की थी।
{{कण}}
[[श्रेणी:भौतिकी]]