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[[चित्र:Pennisetum glaucum MHNT.BOT.2013.22.56.jpg|thumb|फल रूप में लगे बाजरे के दाने अथवा सीटे (''Pennisetum glaucum'')]]
 
'''बाजरा''' एक प्रमुख फसल है। एक प्रकार की बड़ी घास जिसकी बालियों में हरे रंग के छोटे छोटे दाने लगते हैं ।हैं। इन दानों की गिनती मोटे अन्नों में होती है ।है। प्रायाः सारे उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी भारत में लोग इसे खाते हैं। बाजरा मोटे अन्नों में सबसे अधिक उगाया जाने वाला अनाज है। इसे [[अफ्रीका]] और [[भारतीय उपमहाद्वीप]] में प्रागेतिहासिक काल से उगाया जाता रहा है, यद्यपि इसका मूल अफ्रीका में माना गया है। भारत में इसे बाद में प्रस्तुत किया गया था ।था। भारत में इसे इसा पूर्व २००० वर्ष से उगाये जाने के प्रमाण मिलते है। इसका मतलब है कि यह अफ्रीका में इससे पहले ही उगाया जाने लगा था। यह पश्चिमी अफ्रीका के सहल क्षेत्र से निकल कर फैला है।
 
बाजरे की विशेषता है सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी उग जाना, तथा ऊँचा तापक्रम झेल जाना। यह अम्लीयता को भी झेल जाता है। यही कारण है कि यह उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जहां [[मक्का]] या [[गेहूँ]] नही उगाये जा सकते ।सकते। आज विश्व भर में बाजरा २६०,००० वर्ग किलोमीटर में उगाया जाता है। मोटे अन्न उत्पादन का आधा भाग बाजरा होता है।
 
इस अनाज की खेती बहुत सी बातों में [[ज्वार]] की खेती से मिलती जुलती होती है ।है। यह [[खरीफ की फसल]] है और प्रायः ज्वार के कुछ पीछे वर्षा ऋतु में बोई और उससे कुछ पहले अर्थात् जाड़े के आरंभ में काटी जाती हैं ।हैं। इसके खेतों में खाद देने या सिंचाई करने की विशेष आवश्यकता नहीं होती ।होती। इसके लिये पहले तीन चार बार जमीन जोत दी जाती है और तब बीज बो दिए जाते हैं ।हैं। एकाध बार निराई करना अवश्य आवश्यक होता है ।है। इसके लिये किसी बहुत अच्छी जमीन की आवश्यकता नहीं होती और यह साधारण से साधारण जमीन में भी प्रायः अच्छी तरह होता है ।है। यहाँ तक कि राजस्थान की बलुई भूमि में भी यह अधिकता से होता है ।है। [[गुजरात]] आदि देशों में तो अच्छी करारी रूई बोने से पहले जमीन तयार करने के लिय इसे बोते हैं ।हैं। बाजरे के दानों का आटा पीसकर और उसकी रोटी बनाकर खाई जाती है ।है। इसकी रोटी बहुत ही बलवर्धक और पुष्टिकारक मानी जाती है ।है। कुछ लोग दानों को यों ही उबालकर और उसमें नमक मिर्च आदि डालकर खाते हैं ।हैं। इस रुप में इसे '[[खिचड़ी]]' कहते हैं ।हैं। कहीं कहीं लोग इसे पशुओं के चारे के लिये ही वोते हैं ।हैं। वैद्यक में यह वादि, गरम, रूखा, अग्निदीपक पित्त को कुपित करनेवाला, देर में पचनेवाला, कांतिजनक, बलवर्धक और स्त्रियों के काम को बढा़नेवाला माना गया है।
 
== प्रयोग ==
बाजरे का प्रयोग भारत तथा अफ्रीका में [[रोटी]], [[दलिया]] तथा [[बीयर]] बनाने में होता है। फसल के बचे भाग का प्रयोग [[चारा\चारे]], [[ईंधन]] तथा निर्माण कार्य में भी होता है। विश्व के विकसित भागों में इसका प्रयोग भोजन में ना होकर चारे के रूप में होता है। [[मुर्गी]] जो इसे चारे के रूप में खाती है के अंडो में ओमेगा ३ फैटी अम्ल ज्यादा पाया जाता है। दूसरे जंतु भी इसे चारे के रूप में खाकर अधिक उत्पादन करते है ।है।
 
== गुण ==
इसमे [[प्रोटीन]] तथा [[अमीनो अम्ल]] पर्याप्त मात्रा में मिल जाते है, इसमे [[कैंसर कारक]] टाक्सिन नही बनते है, जो की मक्का तथा[[ज्वार]] में बन जाते है ।है।
 
== यह भी देखें ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बजड़ी" से प्राप्त