"गुप्तचर": अवतरणों में अंतर

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गुप्त रूप से राजनीतिक या अन्य प्रकार की सूचना देनेवाले व्यक्ति को '''गुप्तचर''' (spy) या जासूस कहते हैं। गुप्तचर अति प्राचीन काल से ही [[शासन]] की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता माना जाता रहा है। [[भारत|भारतवर्ष]] में गुप्तचरों का उल्लेख [[मनुस्मृति]] और [[कौटिल्य]] के [[अर्थशास्त्र]] में मिलता है। कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में गुप्तचरों के उपयोग और उनकी श्रेणियों का विशद वर्णन किया है।{{cn}} राज्याधिपति को राज्य के अधिकारियों और जनता की गतिविधियों एवं समीपवर्ती शासकों की नीतियों के संबंध में सूचनाएँ देने का महत्वपूर्ण कार्य उनके गुप्तचरों द्वारा संपन्न होता था। [[रामायण]] में वर्णित [[दुर्मुख]] ऐसा ही एक गुप्तचर था जिसने [[राम|रामचंद्र]] को [[सीता]] के विषय में (लंका प्रवास के बाद) जनापवाद की जानकरी दी थी।
 
== भारतीय इतिहास में उल्लेख ==
अर्थशास्त्र में उल्लेख है कि राजा के पास विश्वासपात्र गुप्तचरों का समुदाय होना चाहिए और इन गुप्तचरों को योग्य एवं विश्वस्त मंत्रियों के निर्देशन में काम करना चाहिए। अर्थशास्त्र में समष्ट एवं संचार नामक दो प्रकार के गुप्तचरों का उल्लेख मिलता है। समष्ट कोटि के गुप्तचर स्थानीय सूचनाएँ देते थे और संचार कोटि के गुप्तचर विभिन्न स्थानों का परिभ्रमण करके सूसचनाएँ एकत्र करते थे। समष्ट कोटि के गुप्तचरों के अनेक प्रकार होते थे, यथा कापातिक, उष्ठित, गृहपतिक, वैदाहक तथा तापस। संचार नामक गुप्तचर में सत्रितिक्ष्ण, राशद एवं स्त्री गुप्तचर जैसे भिक्षुकी, परिव्राजिका, मुंड, विशाली भी होती थीं। [[चंद्रगुप्त मौर्य]] के युग में सुदूर स्थित अधिकारियों पर नियंत्रण करने के लिये गुप्त संवाददाता एवं भ्रमणशील निर्णायकों का उपयोग किया जाता था। ये संवाददाता अथवा निर्णायक उन अधिकारियों के कार्यकलापों का भलीभाँति निरीक्षण एवं मूल्यांकन करते थे और राजा को इस संबंध में गुप्त रूप से सूचनाएँ भेजते थे। हिंदूकाल में इस प्रकार के गुप्तचरों का वर्ग अशोक के काल तक सुचारु रूप से कार्य करता रहा। उसके बाद भी शासन में गुप्तचरों का महत्व बना रहा। इन गुप्तचरों का पद राज्य के अत्यंत विश्वासपात्र व्यक्तियों को ही दिया जाता था।
 
== मुस्लिम और मुगलकाल ==
गुप्तचरों का उपयोग संगठित रूप से और विस्तृत पैमाने पर मुस्लिम और मुगलकाल में नहीं हुआ। मुस्लिम और मुगलकालीन पुलिस शासन, जिसकी नींव शेरशाह ने डाली थी, स्थानीय मुखिया, प्रधान अथवा स्थानीय पुलिस अधिकारियों के दायित्वों के सिद्धांतों पर आधारित था। किंतु थोड़ी सी संख्या में शासन के अधिकारियों एवं प्रजाजनों की मनोवृत्तियों तथा कार्यकलापों की सूचना देने के लिये राजा द्वारा अपने विश्वासपात्र और चतुर अनुचरों का प्रयोग मात्र होता रहा।
 
== आधुनिक काल ==
=== विश्वयुद्ध ===
वर्तमान समय में राजनीतिक प्रयोजनों के निमित्त देश के भीतर और बाहर गुप्तचरों का प्रयोग एक सर्वमान्य राजनीतिक धारणा है। [[जर्मनी]] के [[गेस्टापो]] दल ने नात्सी शासन को देश के भीतर सुदृढ़ बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण योग दिया। नात्सी-शासन-विरोधी तत्वों का दमन करने की जो नीति [[हिटलर]] और उसके प्रमुख सहायक हिमलर ने अपनाई उसकी सफलता का श्रेय गेस्टापो दल को ही है जिसके गुप्तचरों द्वारा प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में आतंक और भय की भावनाएँ निरंतर बनी रहती थीं। जर्मनी में इस गुप्तचर दल का संगठन इतना व्यापक था कि नागरिकों की शासन विरोधी प्रत्येक गतिविधि की सूचना सरकार को तुरंत मिल जाती थी और वह व्यक्ति अभियुक्त बनकर दंड का भागी होता था। जारशाही और उसके बाद कम्यूनिस्ट शासन की स्थापना की अवधि में रूस में गुप्तचर दलों ने शासनविरोधी कार्यकलापों की सूचनाएँ देने का कार्य किया जिसके परिणामस्वरूप जनता शासनविरोधी कथन और कार्य से सदैव ही डरती रही।
 
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* [[मोसाद]]
 
== कुछ प्रसिद्ध जासूस ==
* [[किम फिल्बी]], गाय बर्गेस, मॅकलीन,
* [[नूर इनायत खान]]
* [[माता हारी]]
 
== कुछ प्रसिद्ध जासूसी काँड ==
* [[साम्बा जासूसी काँड]]
* [[किम फिल्बी काँड]]
 
== प्रसिद्ध काल्पनिक जासूस ==
* [[जेम्स बाँड]]
 
पंक्ति 52:
* [[नूर इनायत खान]]
 
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}