"चंपू": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार संस्कृत साहित्य में भावों के प्रकटन के निमित्त अनेक शताब्दियों तक लोकप्रिय माध्यम होने पर भी उत्तर भारतीय भाषासाहित्य में चंपू काव्य दृढमूल न हो सका। द्राविड़ी भाषा के साहित्य में सामन्यत:, [[केरल|केरली]] तथा [[आंध्र साहित्य]] में विशेषत:, चंपू काव्य आज भी लोकप्रिय है जिसके प्रण्यन की ओर कविजनों का ध्यान पूर्णत: आकृष्ट है।
== बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.kcgjournal.org/humanity/issue9/kamlesh.php त्रिविक्रमकृत नलचम्पू के मौलिक परिवर्तनों की समीक्षा]
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