"बृहदीश्वर मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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'''बृहदेश्वर''' अथवा '''बृहदीश्वर''' मन्दिर [[तमिलनाडु]] के [[तंजावुर जिला|तंजौर]] में स्थित एक [[हिंदू]] [[मंदिर]] है जो 11वीं सदी के आरम्भ में बनाया गया था। इसे [[तमिल भाषा]] में बृहदीश्वर के नाम से जाना जाता है ।है। इसका निर्माण 1003-1010 ई. के बीच [[चोल]] शासक [[राजाराज चोल १]] ने करवाया था ।था। उनके नाम पर इसे '''राजराजेश्वर मन्दिर''' का नाम भी दिया जाता है ।है। यह अपने समय के विश्व के विशालतम संरचनाओं में गिना जाता था ।था। इसके तेरह (13) मंजिले भवन (सभी हिंदू अधिस्थापनाओं में मंजिलो की संख्या विषम होती है ।है।) की ऊंचाई लगभग 66 मीटर है ।है। मंदिर भगवान [[शिव]] की आराधना को समर्पित है ।है।
 
यह कला की प्रत्येक शाखा - [[वास्तुकला]], पाषाण व ताम्र में शिल्पांकन, प्रतिमा विज्ञान, चित्रांकन, [[नृत्य]], [[संगीत]], आभूषण एवं उत्कीर्णकला का भंडार है। यह मंदिर उत्कीर्ण [[संस्कृत]] व [[तमिल]] [[पुरालेख]] सुलेखों का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इस मंदिर के निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती। शिखर पर स्वर्णकलश स्थित है। जिस पाषाण पर यह कलश स्थित है, अनुमानत: उसका भार 2200 मन ( 80 टन) है और यह एक ही पाषाण से बना है। मंदिर में स्थापित विशाल, भव्य शिवलिंग को देखने पर उनका वृहदेश्वर नाम सर्वथा उपयुक्त प्रतीत होता है।