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'''चांसलर''' (Chancellor) एक आधिकारिक पद जिसका प्रयोग अधिकतर उन राष्ट्रों में होता है जिनकी सभ्यता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में [[रोमन साम्राज्य]] से पैदा हुई है। मौलिक रूप में, चांसलर रोमन न्यायाधीश थे जिनके लिये न्यायालयों में एक पर्दे के पीछे बैठने की व्यवस्था थी। यह पर्दा श्रोताओं और न्यायाधीशों के बीच हुआ करता था।
 
== परिचय ==
[[इंग्लैंड]] में चांसलर का पद [[एडवर्ड दि कन्फ़ेसर]] के समय स्थापित हुआ। एडवर्ड पहला अंग्रेज राजा था जिसने राजपत्रों पर हस्ताक्षर करने के बजाय उनपर राजमुद्रा अंकित करने की नार्मन प्रथा अपनाई। इंग्लैंड में प्रारंभ में, चांसलर एक धार्मिक पदाधिकारी था जो एक ओर राजपुरोहित के रूप में धार्मिक कार्य संपन्न करता था दूसरी ओर राजकीय क्षेत्र में राजा का सचिव तथा राजमुद्रा का संरक्षक होता था। राजपुरोहित के रूप में वह राजा के 'न्यायाचार का संरक्षक' था, सचिव के रूप में उसे राजकीय कार्यों में राजा का विश्वास प्राप्त था तथा राजमुद्रा के संरक्षक के रूप में वह राजाज्ञा की अभिव्यक्ति के लिये आवश्यक था। परंतु प्रमुख रूप से वह सचिवालय के एक विभाग, चांसरी, का अध्यक्ष था। हेनरी द्वितीय के राज्य काल में चांसलर न्यायिक कार्य भी करने लगा। उसके न्यायिक कार्यो की वृद्धि का प्रमुख कारण यह था कि राजा को संबोधित सभी निवेदनपत्र उसके द्वारा ही राजा के पास पहुंचते थे। इन निवेदनपत्रों की संख्या इतनी बढ़ने लगी कि एडवर्ड प्रथम ने एक आज्ञप्ति द्वारा चांसलर को उन पर निर्णय देने का अधिकार सौंपा। एडवर्ड तृतीय के काल में चांसलर ने इन न्यायिक कार्यो के लिये यथेष्ट अधिकार प्राप्त कर लिए। सन् १४७४ ई. में उसके ये अधिकार यहाँ तक बढ़ गए कि अपने निर्णय वह प्रिवी काउंसिल को न भेज कर, स्वयं न्यायिक आज्ञप्तियाँ जारी करने लगा। १९वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में चांसलर क्रमश: मौलिक मुकदमों पर निर्णय देने के कार्य को अपने अधीन चांसरी न्यायाधीशों को सौंपता गया, और सन् १८५१ ई. में जब चांसरी में अपील के न्यायालय की स्थापना हुई तब प्राथमिक न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपील वह स्वयं तभी सुनता था जब चांसरी के अपील न्यायालय के न्यायधीशों में परस्पर मतभिन्नता होती थी।
 
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इन पदों के अतिरिक्त धार्मिक मठों तथा विश्वविद्यालयों के प्रमुख अधिकारी को भी चांसलर कहते हैं।
 
== सन्दर्भ ग्रंथ ==
* ऐडम्स जी.बी. : कांस्टिट्यूशनल हिस्ट्रीऑव इंग्लैंड, लंदन, १९५१;
* सेंसन, डब्ल्यू.आर. : दि ला ऐंड कस्टम ऑव दि कांस्टीट्यूशन, लंदन, १९०९,