"भारत छोड़ो आन्दोलन और बिहार": अवतरणों में अंतर
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१ अप्रैल, १९३३ को मोहम्मद युनुस ने अपने नेतृत्व में प्रथम भारतीय मन्त्रिमण्डल बिहार में स्थापित किया
७ जुलाई, १८३७ को कांग्रेस कार्यकारिणी ने सरकारों के गठन का फैसला
आजाद दस्ता- यह भारत छोड़ो आन्दोलन के बाद क्रान्तिकारियों द्वारा प्रथम गुप्त गतिविधियाँ
बिहार प्रान्तीय आजाद दस्ते का नेतृत्व सूरज नारायण सिंह के अधीन
सियाराम-ब्रह्मचारी दल- बिहार में गुप्त क्रान्तिकारी आन्दोलन का नेतृत्व सियाराम-ब्रह्मचारी दल ने स्थापित किया
तारापुर गोलीकांड :- मुंगेर जिले के तारापुर थाना में तिरंगा फहराते हुए 60 क्रांतिकारी शहीद हुए थे | 15 फरवरी 1932 की दोपहर सैकड़ों आजादी के दीवाने मुंगेर जिला के तारापुर थाने पर तिरंगा लहराने निकल पड़े | उन अमर सेनानियों ने हाथों में राष्ट्रीय झंडा और होठों पर वंदे मातरम, भारत माता की जय नारों की गूंज लिए हँसते-हँसते गोलियाँ खाई थी | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े गोलीकांड में देशभक्त पहले से लाठी-गोली खाने को तैयार हो कर घर से निकले थे | 50 से अधिक सपूतों की शहादत के बाद स्थानीय थाना भवन पर तिरंगा लहराया |
आजादी मिलने के बाद से हर साल 15 फरवरी को स्थानीय जागरूक नागरिकों के द्वारा तारापुर दिवस मनाया जाता है। जालियावाला बाग से भी बड़ी घटना थी तारापुर
घटना के बाद अंग्रेजों ने शहीदों का शव वाहनों में लाद कर सुलतानगंज की गंगा नदी में बहा दिया
इलाके के बुजुर्गों के अनुसार शंभुगंज थाना के खौजरी पहाड में तारापुर थाना पर झंडा फहराने की योजना बनी
इतिहासकार डी सी डीन्कर ने अपनी किताब “ स्वतंत्रता संग्राम में अछूतों का योगदान “ में भी तारापुर की इस घटना का जिक्र करते हुए विशेष रूप से संता पासी के योगदान का उल्लेख किया है |
पंडित नेहरु ने भी 1942 में तारापुर की एक यात्रा पर 34 शहीदों के बलिदान का उल्लेख करते हुए कहा था “ The faces of the dead freedom fighters were blackened in front of the resident of Tarapur “
११ अगस्त, १९४२ को सचिवालय गोलीकाण्ड बिहार के इतिहास वरन् भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन का एक अविस्मरणीय दिन
सचिवालय गोलीकाण्ड में शहीद सात महान बिहारी सपूत-
१. उमाकान्त प्रसाद सिंह- राम मोहन राय सेमीनरी स्कूल के १२वीं कक्षा का छात्र
२. रामानन्द सिंह- ये राम मोहन राय सेमीनरी स्कूल पटना के ११ वीं कक्षा का छात्र
३. सतीश प्रसाद झा- सतीश प्रसाद का जन्म भागलपुर जिले के खडहरा में हुआ
४. जगपति कुमार- इस महान सपूत का जन्म गया जिले के खराठी गाँव में हुआ
५. देवीपद चौधरी- इस महान सपूत का जन्म सिलहर जिले के अन्तर्गत जमालपुर गाँव में हुआ
६. राजेन्द्र सिंह- इस महान सपूत का जन्म सारण जिले के बनवारी चक ग्राम में हुआ
७. राय गोविन्द सिंह- इस महान सपूत का जन्म पटना जिले के दशरथ ग्राम में
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद इस स्थान पर शहीद स्मारक का निर्माण
बिहार में भारत छोड़ो आन्दोलन को सरकार द्वारा बलपूर्वक दबाने का प्रयास किया गया जिसका परिणाम यह हुआ कि क्रान्तिकारियों को गुप्त रूप से आन्दोलन चलाने पर बाध्य होना
९ नवम्बर, १९४२ दीवाली की रात में जयप्रकाश नारायण, रामनन्दन मिश्र, योगेन्द्र शुक्ला, सूरज नारायण सिंह इत्यादि व्यक्ति हजारीबाग जेल की दीवार फाँदकर भाग
द्वितीय विश्व युद्ध की प्रगति और उससे उत्पन्न गम्भीर परिस्थित्यों को देखते हुए कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार को सहायता व सहयोग
दिसम्बर, १९४१ में जापानी आक्रमण से अंग्रेज भयभीत हो गये
१४ जुलाई, १९४२ को वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक का आयोजन किया
(तत्कालीन समय में प्रान्त के प्रधान को प्रधानमन्त्री कहा जाता था।)
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भारत सरकार अधिनियम, १९३५ एवं बिहार में प्रथम कांग्रेस का मन्त्रिमण्डल
ब्रिटिश संसद द्वारा १९३५ ई. में भारत के शासन के लिए एक शासन विधान को पारित किया
कांग्रेस ने अनेक रचनात्मक कार्य उद्योग संघ, चर्खा संघ आदि
२१ जून को वायसराय लिनलिथगो के वक्तव्य ने संशयों को दूर करने में सफलता पाई अन्त में युनुस को सरकार का निमन्त्रण न देकर श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व मन्त्रिमण्डल का गठन किया गया,अनुग्रह नारायण सिंह उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री
विदेशी वस्त्र बहिष्कार- ३ जनवरी, १९२९ को कलकत्ता में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार करने का निर्णय किया
पूर्ण स्वाधीनता प्रस्ताव- जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का २९-३१ दिसम्बर, १९२९ का लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता प्रस्ताव स्वीकृत किया
नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आन्दोलन
दिसम्बर १९२९ ई. में पण्डित जवाहरलाल की अध्यक्षता में लाहौर का अधिवेशन सम्पन्न हुआ
१२ मार्च, १९३० को महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरम्भ नमक कानून तोड़ने के साथ शुरू
४ मई, १९३० को गाँधी जी को गिरफ्तार कर लिया
साइमन कमीशन वापस जाओ आन्दोलन
१९२७ ई. में ब्रिटिश संसद एवं भारतीय वायसराय लॉर्ड डरविन ने एक घोषणा की भारत में फैल रही नैराश्य स्थिति की समाप्ति हेतु १९२८ ई. में एक कमीशन की स्थापना की घोषणा
१८ दिसम्बर, १९२८ को साइमन कमीशन बिहार
नवम्बर १९२१ ई. ब्रिटिश युवराज का भारत आगमन
बिहार में स्वराज पार्टी
चौरा-चौरी काण्ड से दुःखी होकर गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को समाप्त कर दिया फलतः देशबन्धु चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू और विट्ठलभाई पटेल ने एक स्वराज दल का गठन
बिहार में स्वराज दल का गठन फरवरी १९२३ ई. में
असहयोग आन्दोलन
इस आन्दोलन का प्रारूप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में सितम्बर, १९२० ई. में पारित हुआ, लेकिन बिहार में इसके पूर्व ही असहयोग प्रस्ताव पारित हो चुका
बिहार में ६ अप्रैल, १९१९ को हड़ताल
खिलाफत आन्दोलन
प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जब विजयी राष्ट्रों ने तुर्की सुल्तान के खलीफा पद को समाप्त कर दिया तो अंग्रेजों द्वारा कोई आश्वासन न मिलने के कारण भारतीय मुसलमानों एवं राष्ट्रवादियों का गुस्सा भड़क
१६ जनवरी, १९१९ को पटना में हसन इमाम की अध्यक्षता में एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें खलीफा के प्रति मित्र राष्ट्रों द्वारा उचित व्यवहार करने को कहा
१९२२ ई. में यह आन्दोलन पूर्णरूपेण समाप्त हो
होमरूल आन्दोलन
१९१६ ई. में भारत में होमरूल आन्दोलन प्रारम्भ हुआ
बिहार में होमरूल लीग की स्थापना १६ दिसम्बर, १९१६ में हुई, इसके अध्यक्ष मौलाना मजहरूल हक, उपाध्यक्ष सरफराज हुसैन खान और पूर्गेन्दू नारायण सिंह तथा मन्त्री चन्द्रवंशी सहाय और वैद्यनाथ नारायण नियुक्त किये
चम्पारण सत्याग्रह आन्दोलन
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बिहार का चम्पारण जिला १९१७ ई. में महात्मा गाँधी द्वारा भारत में सत्याग्रह के प्रयोग का पहला स्थल था
चम्पारण में अंग्रेज भूमिपतियों द्वारा किसानों पर निर्मम शोषण किया जा रहा
२६ दिसम्बर, १९३८ को पटना में मुस्लिम लीग का २६वाँ अधिवेशन
नंगी हड़ताल- ४ मई, १९३० को गाँधी जी की गिरफ्तारी के बाद स्वदेशी के प्रचार एवं विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया
बेगूसराय गोलीकाण्ड एवं बिहार किसान आन्दोलन
२६ जनवरी, १९३१ को प्रथम स्वाधीनता दिवस को पूरे जोश से मनाने का निर्णय किया
१९१९ ई. में मधुबनी जिले के किसान स्वामी विद्यानन्द ने दरभंगा राज के विरुद्ध विरोध
स्वामी दयानन्द सहजानन्द ने ४ मार्च, १९२८ को किसान आन्दोलन प्रारम्भ
१९३३ ई. में किसान सभा द्वारा जाँच कमेटी का गठन किया
बिहार में मजदूर आन्दोलन
बिहार में किसानों के समान मजदूरी का भी संगठन
बिहार में संवैधानिक प्रगति और द्वैध शासन प्रणाली
बिहार प्रान्त का गठन १ अप्रैल, १९१२ में
७ फरवरी, १९२१ को बिहार एवं उड़ीसा लेजिस्लेटिव काउन्सिल की प्रथम बैठक का उद्घाटन हुआ जिसकी अध्यक्षता सर मुण्डी ने
१ अप्रैल, १९३६ को बिहार से उड़ीसा प्रान्त अलग किया
बिहार में क्रान्तिकारी आन्दोलन
बंग भंग विरोधी आन्दोलन से बिहार तथा बंगाल में क्रान्तिकारी आन्दोलन प्रारम्भ हो
१९०८ ई. में ही नवाब सरफराज हुसैन खाँ की अध्यक्षता में बिहार कांग्रेस कमेटी का गठन
१९०९ ई. में बिहार कांग्रेस सम्मेलन का दूसरा अधिवेशन भागलपुर में सम्पन्न
१९०७ ई. में ही फखरुद्दीन कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त होने वाले प्रथम बिहारी बने तथा स्थायी पारदर्शी के रूप में इमाम हुसैन को नियुक्त किया
इस समय कलकत्ता में राजेन्द्र प्रसाद अध्ययनरत थे वे वहाँ बिहारी क्लब के मन्त्री
बिहार प्रादेशिक सम्मेलन की स्थापना १२-१३ अप्रैल, १९०६ में पटना में हुई जिसकी अध्यक्षता अली इमाम ने की
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन एवं नव बिहार प्रान्त के रूप में गठन
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में बिहार का महत्वपूर्ण योगदान रहा
राष्ट्रीय चेतना की जागृति में बिहार ने अपना योगदान जारी
नव राज्य का गठन
रेग्यूलेटिंग एक्ट १७७४ ई. के तहत बिहार के लिए एक प्रान्तीय सभा का गठन किया तथा १८६५ ई. में पटना और गया के जिले अलग-अलग किये
१८९४ ई. में पटना से प्रकाशित समाचार-पत्र के माध्यम से बिहार पृथक्करण आन्दोलन की माँग की
ब्रिटिश सरकार आन्दोलन एवं क्रान्तिकारी गतिविधियों से मजबूर होकर अपने शासन प्रणाली के नीति को बदलने
इस बीच गाँधी जी ने १० फरवरी, १९४३ को २१ दिन का अनशन करने की घोषणा
जून, १९४५ में सरकार ने राजनैतिक गतिरोध को दूर करते हुए एक बार फिर मार्च, १९४६ ई. में बिहार में चुनाव सम्पन्न कराया
१४ मार्च, १९४७ को लार्ड माउण्टबेटन भारत के वायसराय बनाये
* २६ जनवरी, १९५० को भारतीय संविधान लागू होने के साथ बिहार भारतीय संघ व्यवस्था के अनुरूप एक राज्य में परिवर्तित हो
* १९४७ ई. के बाद भारत में राज्य पुनर्गठन में बिहार को क श्रेणी का राज्य घोषित किया लेकिन १९५६ ई. में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अन्तर्गत इसे पुनः राज्य के
* १५ नवम्बर, २००१ को बिहार को विभाजित कर झारखण्ड और बिहार कर दिया
[[श्रेणी:बिहार]]
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